उत्तर प्रदेश ही नहीं देशभर में कोरोनावायरस का असर तेजी से फैलता जा रहा है। इसको लेकर आम लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है कानपुर में जहां एक डाक्टर पिता अपने बेटे को हैलट अस्पताल के कोविड 19 वार्ड में थर्मल स्क्रिनिंग कराने के लिए गया था। तभी उसकी हालत इतनी बिगड़ी कि वो बदहवास हो गया। बेटे को लेकर बुजुर्ग पिता भटकता लेकिन स्ट्रेचर नहीं मिला। बेटे के लिए खुद इमरजेंसी वार्ड से स्ट्रेचर लेकर आया। इस आपाधापी के बीच उपचार शुरू होने में इतनी देर हो गई कि उसके बेटे ने उपचार के दौरान ही दम तोड़ दिया। वहीं अधीक्षक आरके मौर्या के मुताबिक इस घटना की जांच कराई जाएगी। उपचार में देरी करने वालों के खिलाफ कार्यवाई जाएगी।
बुजुर्ग पिता बेटे को स्ट्रेचर पर नहीं रख पा रहा था । किसी तरह से उसने स्ट्रेचर पर रख कर एक्सरा कराने ले गया। कोरोना संदिग्ध होने की वजह से उसकी मदद के लिए मेडिकल स्टाफ आगे बढ कर नहीं आया। उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को ट्वीट कर लिखा कि हैलट अस्पताल में स्ट्रेचर व चिकित्सीय अभाव में अपना बेटा खोना पड़ा।
कल्यानपुर थाना क्षेत्र में रहने वाले राजेश पांडेय होम्योपैथिक डाक्टर हैं। परिवार में पत्नी सरोज दो बेटे आनंद और अकाश के साथ रहते हैं। इनके बड़े आनंद की शादी 21 जनवरी 2018 को हुई थी। अंनद की एक तीन माह की बेटी है। दरअसल बीते 5 अप्रैल की दोपहर अचानक अनंद की तबियत बिगड़ गई। आनंद को तेज बुखार के साथ ही उसकी सांस फूलने लगी और आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा था ।
आनंद के पिता डॉ राजेश पांडेय ने बताया कि जब बेटे की तबियत बिगड़ी तो लॉकडान होने की वजह से मैं अकेले ही आंनद को लेकर हैलट अस्पताल के कोविड-19 वार्ड पहुंचा कि इसकी थर्मल स्क्रिनिंग करा दूं। जब मैं बेटे को लेकर कोरोना वार्ड पहुंचा तो आधें घंटे तक मुझे और बेटे को बाहर खड़ा कर दिया। उसकी तबियत बिगड़ती चली जा रही थी। जब डाक्टरों ने देखा तो मुझसे बेटे का एक्सरा करा कर लाने को कहा।
चलने की स्थिति में नहीं था आनंद
आंनद चलने की स्थिति में नहीं था मैने डाक्टरों से स्ट्रेचर मुहैया कराने को कहा तो डाक्टरों ने कहा कि स्ट्रेचर नहीं है। कोविड-19 वार्ड से जहां एक्सरा होता है उसकी दूरी लगभग 500 मीटर है। मैं किसी तरह से बेटे को लेकर एक्सरा कराने के लिए चल पड़ा। जब मैं हैलट चौकी के पास पहुंचा तो आंनद वहीं गिर पड़ा वो बेहोशी की हालत में हो गया। कोरोना संदिग्ध समझकर किसी ने मेरी मदद नहीं की। पिता ने बताया, मैंदौड़ कर इमरजेंसी पहुंचा और वहां से स्ट्रेचर लेकर आया। मैं अकेले बेटे को स्ट्रेचर पर नहीं रख जा रहा था। मैंने हाफंते हुए किसी तरह से बेटे को स्ट्रेचर पर रख। खुद स्ट्रेचर को घसीटते हुए एक्सरा कराने के लिए ले गया। एक्सरा कराने के बाद मैं स्ट्रेचर घसीट कर फिर से कोविड-19 वार्ड पहुंचा। जहां डाक्टरों ने मुझसे कहा कि बेटे को इमरजेंसी ले जाओ।
कहा- मैं हैलट इमरजेंसी लेकर पहुंचा वहां डाक्टरों ने देखा फिर मुझे सीटी स्कैन करा कर लाने को कहा। जब सिटी स्कैन करा कर लाया तो इसके बाद डाक्टरों ने उसे वेंटिलेटर पर रख दिया। उन्होने कहा कि आंनद की मौत इमरजेंसी में ही हो गई थी। डाक्टरों ने औपचाकिता करने के लिए वेंटिलेटर पर रखा था। डाक्टरों ने दो घंटे बाद बताया कि उसकी मौत हो गई है । इसके बाद उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से बेटा खोया
मृतक के पिता का आरोप है कि डाक्टरों की लापरवाही की वजह से बेटे की मौत हुई है। यदि उसे समय से इलाज मिल जाता तो उसकी जान बच सकती थी। कोरोना संदिग्ध समझकर उसको किसी ने हाथ नहीं लगाया। उन्होंने बताया कि बेटे की एक साल पहले शादी हुई थी। तीन माह की बेटी है जरा सी लापरवाही में मेरा परिवार उजड़ गया। सिर्फ इस वजह से किसी ने हाथ नहीं लगाया कि मेडिकल स्टाफ को शक था कि उसे कोरोना है।
इस बीच, बुधवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर हैलट अस्पताल पर निशाना साधते हुए कहा कि ये दुखद है कि कानपुर के एक डॉक्टर को एंबुलेंस की अनुपलब्धता और हैलट हॉस्पिटल में स्ट्रेचर व अन्य चिकित्सीय सहायता के अभाव में अपना बेटा खोना पड़ा। सरकार व्यतिगत सुरक्षा उपकरण देकर ये सुनिश्चित करें कि कोरोना की आशंका के डर से मेडिकल स्टाफ किसी भी उपेक्षा न करे।