नई दिल्ली (11-01-2018)- क़ाबलियत हालात की मोहताज नहीं होती है। संसद हमले के आरोप में सज़ा ए मौत पा चुके अफज़ल गुरु के बेटे ने इस बात को एक बार फिर साबित कर दिया है। संसद पर आतंकी हमले के दोषी और कश्मीर में शहीद माने जाने वाले अफ़ज़ल गुरु के बेटे ग़ालिब ने हायर सेकेंडरी स्कूल एग्ज़ाम्स में डिस्टिंक्शन हासिल की है!
दरअसल ये ख़बर इसलिए भी अहम हो गई है कि अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्क़ॉलर मन्नान वानी का क़लम छोड़कर हथियार उठाने यानि आतंकी कनेक्शन की ख़बरे अभी शांत नहीं हुई थीं। ऐसे में अफ़ज़ल गुरु के बेटे ग़ालिब ने जम्मू-कश्मीर बोर्ड ऑफ द्वारा आयोजित हायर सेकेंडरी स्कूल परीक्षा में विशेष योग्यता यानि डिस्टिंकशन के साथ पास करके ये साबित कर दिया है कि योग्यता परस्थितियों की मोहताज नहीं होती। दरअसल जम्मू-कश्मीर बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन यानि बीओएसई द्वारा आयोजित परीक्षाओं के रिज़ल्ट गुरुवार को आए जिसमें गालिब को 88.2 फीसदी अंकों के साथ पास दिखाया गया है। हांलाकि इस एग्ज़ाम में पास होने वालों में लड़कियों की तादाद लड़को से ज़्यादा है। लेकिन 17 साल के ग़ालिब की कामयाबी को पूरा जम्मू-कश्मीर सेलेब्रेट कर रहा है। उधर सोशल मीडिया पर भी ग़ालिब को बधाईयों का सिलसिला जारी है। जम्मू-कश्मीर के ज़िला बारामूला के सोपोर क़स्बे में उनके घर पर बधाई देने के लिए दोस्तों और मिलने वालों की कतारें लगी हैं।
आपको याद दिला दें कि गालिब गुरु ने जम्मू-कश्मीर बोर्ड की 10वीं के एग्ज़ाम में भी 95 प्रतिशत नंबर हासिल किए थे। ग़ालिब ने बोर्ड की ओर से जारी नतीजों में 500 में 475 अंक हासिल किए थे। नतीजों के मुताबिक़ गालिब को अंग्रेजी, मैथ्स, सोशल साइंस और उर्दू विषयों में ए वन ग्रेड मिले थे। नतीजों के मुताबिक़ एग्ज़ाम का टॉपर 99.6 फीसदी नंबर लेने वाला ताबिश मंजूर था।
ख़बरों के मुताबिक़ संसद हमले के दोषी अफज़ल गुरु को फांसी होने के बाद उनकी पत्नी तबस्सुम ने कहा था कि हमारा परिवार अब शांति के साथ बाक़ी ज़िंदगी जीना चाहता हैं। मां तबस्सुम के मुताबिक़ गालिब ने बचपन में डॉक्टर बनने की ख़्वाहिश ज़ाहिर की थी।
एएमयू के रिसर्च स्कॉलर मन्नान वानी द्वारा क़लम छोड़कर हथियार उठाने की ख़बरों के बीच ग़ालिब का शिक्षा के प्रति प्रेम ये साबित कर रहा है कि अगर इंसान बेहतर सोचे तो नतीजे भी बेहतर ही आते हैं। साथ ही हालात कितने ही मुश्किल क्यों न हों लेकिन अगर इंसान अगर हिम्मत न हारे तो कामयाबी ज़रूर मिलती है।