बच्चों की पढ़ाई से गूंजता ये स्कूल छत्तीसगढ के नक्सल प्रभावित इलाके सुकमा में पड़ता है। सुरक्षाबलों की कार्रवाई के चलते धीरे-धीरे सुकमा जिला नक्सल मुक्त होता जा रहा है। यही कारण है कि नक्सलियों के पैर उखड़ने के बाद अब यहां आम जिंदगी चहल-कदमी करती हुई साफ देखी जा सकती है।
सुकमा जिले के जगरगुंडा इलाके में स्थित ये स्कूल 13 सालों बाद खुला है। 13 सालों तक स्कूल के बंद रहने और बच्चों के यहा ना आने का कारण नक्सली थे। दरअसल, साल 2006 में नक्सलियों की तादात जगरगुंडा में बढ़ने से वहा हालात खराब होने लगे। नक्सलियों ने स्कूल तोड़ दिए, रास्ते बंद कर दिए, साथ ही साथ कई व्यापारिक संस्थानों को भी जबरन बंद करा दिया। यही कारण था के बच्चों को पास के इलाके दोरनापाल में शिफ्ट कर दिया गया और पिछले 13 सालों से यहां जिंदगी का नामोनिशान नहीं था, लेकिन हालात सुधरने के बाद अब यहा एक बार फिर खुशहाली का माहौल है।
छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों ने साल 2006 के दौरान ‘सलवा जुडूम’ नाम के एक मूवमेंट की शुरुआत की थी। इस दौरान नक्सली हिंसा में अनेकों बिल्डिं ग तहस-नहस कर दिया गया था। बच्चों को मजबूरन दूसरे गांव में स्कूील भेजना पड़ा क्योंलकि यहां कोई स्कूoल नहीं बचा था, लेकिन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नई सरकार बनने के बाद वहां के सीएम भूपेश बघेल ने इसपर ध्यान दिया और जिला प्रशासन को जगरगुंडा के हालात सुधारने के लिए आदेश दिया। आज वहीं आदेश है, जिसकी वजह से एक बार फिर स्कूल में बच्चों की आवाज सुनाई दे रही है।
छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सीमा पर स्थित है। इन इलाकों में नक्सलियों का किस वक्त पर सबसे ज्यादा दबदबा था, हालांकि सुरक्षाबलों की कड़ी कार्रवाई के चलते नक्सलियों के पैर यहा से उखड़ चुके है और धीरे-धीरे जगरगुंडा के साथ-साथ आस-पास के इलाकों में जिंदगी पटरी पर लौट रही है l