नई दिल्ली (03 नवंबर 2019)- दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट के बाहर शनिवार को दिल्ली पुलिस और वकीलों की झड़प को लेकर अब देशभर के वकील लामबंद होने लगे हैं। वकीलों का आरोप है पुलिस ने कोर्ट परिसर में वकीलों के साथ जो मारपीट और फायरिंग की है उससे वकीलों में बेहद नाराज़गी है। दिल्ली की इस घटना को लेकर पूरे देश के वकीलों ने अपने ग़ुस्से का इज़ाहार किया है। https://www.oppositionnews.com ने इस बारे में वकीलों से बात की है।
दिल्ली के जाने माने एडवोकेट अंकित गुप्ता का कहना है कोर्ट परिसर में जो कुछ हुआ उसकी व्यापक और ईमानदारी से जांच होनी चाहिए। एडवोकेट अकिंत गुप्ता ने सबसे बड़ा सवाल उस पुलिस पर उठाया जिसकी ज़िम्मेदारी लोगों की सुरक्षा करना है और उसी पुलिस के हथियार अब आम नागरिक के ख़िलाफ इस्तेमाल हो रहे हैं। अंकित गुप्ता ने पुलिस की गोली से घायल होने वाले दो वकीलों के मामले में जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि पुलिस इस मामले को मैनेज करने में जुट गई है, जिसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। एडवोकेट अंकित गुप्ता का आरोप है कि जिस पुलिस कर्मी ने गोली चलाई दिल्ली पुलिस ने उसे गायब कर दिया है और रिवाल्वर भी गायब कर दिया है। साथ ही उन्होने सवाल उठाया कि हवाई फायरिंग के बजाय गोली सीधे वहां कार्यरत वकील की छाती में कैसे लगी, और एक दूसरे वकील कैसे घायल हो गये। अंकित गुप्ता का कहना है कि घयना के बाद से वकीलों में बेहद रोष है, उन्होने मामले में दोषियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ऑन रिकार्ड अश्वनी कुमार दूबे का कहना है कि निसंदेह पुलिस का यह कृत्य एक अपराध और हिंसा है। दिल्ली पुलिस के द्वारा किये गये हिंसक हमले और लाठी चार्ज के अलावा वकीलों पर गोली चलाने की घटना की निंदा करते हुए एडवोकेट अश्वनी कुमार दूबे ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्वनी दूबे का आरोप है कि दिल्ली पुलिस की बर्बर कार्यवाई में 100 से ज्यादा वकील घायल हुए हैं, जो कि बेहद अमानवीय है। श्री अश्वनी का कहना है हम सभी वकील बार एसोसिएशन की हर फैसले का समर्थन करते हैं और जब तक मामले की निष्क्ष जांच होकर दोषियों के ख़िलाफ कार्रवाई नहीं होती वकील काम नहीं करेंगे। एडवोकेट अश्वनी दूबे का कहना है कि क़ानून की मदद करने वाले वकीलों के साथ पुलिस के हाथों ऐसा गैरकानूनी कार्य होगा तो आम नागरिक कहां जाएगा।
उधर गाजियाबाद निवासी सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और भारत सरकार के पूर्व स्टैंडिग कौंसिल विजेंद्र कसाना ने घटना पर गुस्सा ज़ाहिर किया है। एडवोकेट विजेंद्र कसाना का कहना है कि तीस हजारी की घटना अपने आप में आश्चर्य करने वाली घटना है क्योंकि दोनों तरफ कानून के लोग हैं। एडवोकेट कसाना का कहना है कि लोकतंत्र के दो बड़े घटक जिनके बिना राज्य और लोकतंत्र की कल्पना ही नही हो सकती। एडवोकेट विजेंद्र कसाना ने पूरे घटना क्रम का ज़िक्र करते हुए कहा कि “अब हम असल मुद्दे पे आते हैं। जैसे सुन ने में आ रहा है। जो स्थान मुल्जिमों को लाने ले जाने में पुलिस प्रयोग करती थी और इस प्रयोजन के लिए उस स्थान पर पुलिस की गाड़ियां खड़ी होती थी।अधिवक्ता ने यह जानते हुए अपनी गाड़ी उसी स्थान पर खड़ी की मना करने पर बहस हुई तो पहली गलती अधिवक्ता महोदय की ही हुई। अब मान भी लें कि गाड़ी गलत खड़ी की तो कोई पहाड़ नही टूट गया पुलिस उस अधिवक्ता को हवालत में ले गयी और मारा भी और जब दूसरे वकील बीच बचाव को आये तो उनकी भी तेल मालिश कर डाली यह दूसरी गलती पुलिस की है अब सवाल यह उठता है कि पुलिस का रवैया जब अधिवक्ताओं के साथ ऐसा है तो बाकी नागरिकों के साथ कैसा होगा”। श्री कसना ने सवाल उठाया कि पुलिस का व्यवहार ऐसा कैसे हो गया ।आज के मौजुदा हालात में जब मुख्यमंत्री कहते हो ठोको। जब पुलिस इस लिए अलग तरह से व्यवहार करती है कि उसको आदेश दिया जाता है कि अमुक की धर्म या जाति अलग है तो पुलिस क्या करे। इसी लिए तो हम कहते हैं देश तभी बचेगा जब पुलिस सेकुलर होगी। दूसरा एक बात और भी है लगता है काबिल लोग भर्ती नही हो पा रहे।सभी संस्थानों में भ्रष्ट आचरण आ गया है कोई कम्पीटिशन ऐसा नही हो रहा जिसमे पेपर आउट न हो रहे हों। दूसरी बात ट्रेनिंग में भी कमी है।और अंतिम बात समाज के बीच एक उबाल है अशांति है। कुल मिला कर कहा जा सकता है दोनो पक्षों ने समझदारी से काम नही लिया और व्यक्तिगत नुकसान के साथ सरकारी नुकसान व साथ ही आम नागरिक भी परेशान होगा। एडवोकेट विजेंद्र कसाना ने एक पुरानी घटना का जिक्र करते हुए बताया कि एक बार बचपन मे लोनी थाने में जाने का मौका मिला था तो तत्कालीन दरोगा जी ने पेंट के बटन खोल रखे थे और उसका अंडरवियर दिख रहा था और उन्होंने लेट कर बात की थी नाम था द्विवेदी।
इसके अलावा गाजियाबाद के सीनियर एडवोकेट और बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नाहर सिंह यादव ने इस मामले पर अपनी नाराज़गी का इज़हार करते हुए तुरंत निष्पक्ष जांच और दोषियों के ख़िलाफ क़ानूनी कार्रवाई की मांग की है। नाहर सिंह यादव का कहना है कि क़ानून की मदद करने वाले वकीलों पर कानून में मंदिर में होने वाले इस ग़ैर का़नूनी कृत्य की जितनी निंदा की जाए वह कम है। नाहर सिंह यादव का कहना है कि इस मामले पर गाजियाबाद के समस्त वकील पीड़ितों के साथ है और क़ानूनी व संवैधानिक संघर्ष में पीड़तों के लिए संघर्ष करने को भी तैयार हैं। नाहर सिंह यादव ने देशभर के वकीलों से अपील की है कि इस मामले पर एकजुट होकर कार्य करें। श्री यादव का कहना है कि दिल्ली पुलिस का वकीलों के साथ किया बर्ताव यह साबित करता है कि दिल्ली में आम नागरिक की क्या हालत है।
गाजियाबाद के एडवोकेट अलीम अलवी ने दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट की घटना अफसोस जाहिर किया है। एडवोकेट अलीम अलवी का कहना है कि कल दिल्ली तीस हजारी कोर्ट मे दिल्ली पुलिस द्वारा जो नंगा नाच दिखाया गया और अपनी पावर का ग़लत इस्तेमाल किया गया वोह बहुत ही निंदनीय है और उक्त घटना पर दिल्ली पुलिस अधिकारी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज होने चाइये और दोषियों पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया जाना चाहिए। दिल्ली पुलिस ने निर्दोष वे निहते वकीलों पर फयरिंग व लाठीचार्ज कर घायल कर दिया। एडवोकेट अलीम अलवी का कहना है कि दिल्ली पुलिस की लापरवाही के कारण इतना बड़ा हादसा हुआ। जिसे पूरे देश के वकीलों मे नाराजगी है दिल्ली पुलिस अधिकारी समय पर अपनी सूझ बूझ से घटना होने से रोक सकते हैं। परन्तु पुलिस ने घटना को गंभीरता से नही लिया और इसका हर्जाना निर्दोष वकीलों को भुगतना पड़ा। और पुलिस की लापरवाही की वजह से राजस्व नुकसान हुआ। कानून के रक्षक कैसे भक्षक बन जाते है इसका का उदाहरण दिल्ली पुलिस ने बख़ूबी से दिखाया है। एडवोकेट अलीम अलवी ने मांग की है कि इस घटना पर केंद्र सरकार को संज्ञान लेते हुए सभी राज्यों को निर्देश जारी करनी चाहिए कि ऐसी घटनाएं दोबारा ना हो और घटना में घायल वकीलों को मुआवजा दिलाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट के वकील एस.पी. सिंह राठौर का कहना है कि देशभर में और ख़ुद अदालत में भी वकीलों को सैकेंड अफसर को दर्जा दिया जाता है। साथ ही वकीलों को बेहद सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। एडवोकेट एसपी सिंह का कहना है कि ख़ुद संविधान में बाबा साहब ने हर नागरिक को अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए वकीलों के एहमियत को निर्धारित किया है। बावजूद इसके पुलिस द्वारा वकीलों का यह अपमान निंदनीय है। एडवोकेट एसपी सिंह ने कहा है कि दिल्ली पुलिस के हाथों वकीलों के साथ मारपीट यहां तक की गोली तक चलाना ये साबित करता है कि आम नागरिक की सुरक्षा भी तार तार हो रही है।
बहरहाल देशभर से दिल्ली के हाथों वकीलों के अपमान पर प्रतिक्रिया मिल रही है। आप भी अपनी राय रख सकतें हैं।
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