नई दिल्ली/ग़ाजियाबाद (4 नवंबर 2019)- कहा जाता है कि अपाराधियों से सुरक्षा चाहिए, कोई ज़ुल्म कर रहा हो या फिर कहीं कोई धमकी दे रहा हो, तो आम नागरिक को सीधा पुलिस के पास जाना चाहिए। ठीक ऐसे ही अगर कहीं ना इंसाफी हो आपके साथ या पुलिस आपको सताए या फिर कहीं कोई क़ानूनी पेंच हो तो इंसाफ पाने के लिए काले कोट वाले यानि किसी वकील से संपर्क करें। लेकिन शायद ये बात अब पुरानी हो गई है, और वैसे भी कहा यही जा रहा है कि देश बदल रहा है।
दरअसल दिल्ली में दिल्ली और देश की शान कहे जाने वाले दिल्ली पुलिस के सैंकड़ों बल्कि बज़ारों कर्मचारियों ने प्रदर्शन करके सबसे पहले तो अपने अनुशासन की चर्चाओं को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। साथ ही उनके हाथों में तख्तियां और जो बैनर थे उन पर कुछ इस तरह लिखा था जिसका सीधा सीधा मतलब यही था कि उनको सुरक्षा चाहिए क्योंकि वो अब सुरक्षित नहीं है। दरअसल ये प्रदर्शन दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट में शनिवार को ख़ाकी बनाम काले कोट यानि वकीलों और दिल्ली पुलिस के संघर्ष के बाद सामने आया है। शनिवार को पार्किंग जैसी मामूली और रोज़मर्रा होने वाली घटना के बाद क़ानून के दो मददगारों के बीच टकराव इतना बढ़ा कि समझ में नहीं आ रहा थी कि दो लड़ने वाले ग्रुप क़ानून को तोड़ने वाले कोई अपराधी हैं या कानून के रखवाले।
उधर वकीलों ने देशभर में दिल्ली पुलिस के हाथों वकीलों की कथित पिटाई के विरोध में हड़ताल और विरोध प्रदर्शन शुरु कर दिया है। उनका कहना है कि उनको इंसाफ चाहिए। हांलाकि मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने वकीलों और पुलिस के टकराव का संज्ञान लिया है। साथ ही समाज का हर तबका हैरान है कि अब आम नागरिक कहां सुरक्षित रहेगा। क्योंकि अगर देश की राजधानी की अदालत में ही क़ानून की रक्षा करने वाले दो विभागों के लोग सड़क पर एक दूसरे के खिलाफ गाली-गलोच, मारपीट, लाठी डंडा, गोलीबारी और आगज़नी करते नज़र आएंगे तो भला बचेगा क्या। साथी ही इसके बाद के हालात को क़ाबू कर के बजाए दोनों ही तरफ से मानों राजनीतिक अखाडेबाज़ी शुरु हो चुकी है।
लेकिन इस सबके बीच आम नागरिक हैरान है कि आख़िर अब उसका क्या होगा।
Tags:ADVOCATE WANT JUSTICEADVOCATES VS DELHI POLICECLASH IN TEES HAZARI COURTDELHI POLICE PROTESTITOPHQPOLICE HEAD QUARTERPOLICE WANT PROTECTIONWHERE GO PUBLIC