तेलंगाना (4 नंवबर 2019)- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को सुनकर भले अच्छा महसूस होता हो लेकिन मौजूदा हालात को देखकर सवाल उठता है कि बेटी को बचाओ किन से और पढ़ाकर भी सुरक्षित नहीं तो कैसे काम चलेगा। दरअसल ये सवाल यूं ही नहीं उठ रहे। तेलंगाना की बेहद दर्दनाक घटना को सुनकर हर भारतीय का सिर तो शर्म से झुक ही जाएगा, साथ ही बेटियों को लेकर महज़ नारेबाज़ी करने वालों से सवाल पूछने का भी मन करेगा।
दरअसल तेलंगाना की एक महिला तहसीलदार विजया रेड्डी को उनके ही ऑफिस में घुस कर न सिर्फ आग लगा दी गई बल्कि अंदर से बंद ऑफिस करके तब तक वहीं खोला गया जब तक कि उनकी मौक़े पर मौत न नहीं हो गई। दिल दहलाने देने वाली इस घटना से इतना तो साफ हो गया है कि देश में फिलहाल जनता और अफसरशाही के बीच सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है।
मामला सोमवार का है जब तेलंगाना में हैदराबाद के बाहरी हिस्से में एक महिला तहसीलदार को ज़िंदा जला दिया गया। यहां के रंगा रेड्डी जिले के अब्दुल्लापुरमेट तहसील कार्यालय में कार्यरत प्रदेश के राजस्व विभाग की एक महिला अधिकारी को उनके ही कार्यालय में घुसकर एक व्यक्ति ने जिंदा जला दिया।। हांलाकि आरोप यह भी है कि वह व्यक्ति अपनी जमीन के रिकॉर्ड में कुछ खामियों दूर किये जाने में हो रही देरी से नाराज़ था। अब इस घटना को लेकर सरकारी कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन भी शुरु हो गया है। और महिला तहसीलदार को जिंदा जलाने के विरोध में तेलंगाना के राजस्व कर्मचारी सड़को पर उतर गये हैं और ख़ुद के लिए सुरक्षा की मांग करने लगे हैं। इस हादसे के बाद राजस्व कर्मचारियों का संगठन और कॉलेजिएट स्टाफ ने विरोध जताया है।
ऐसे में सवाल ये भी पैदा होता है कि लगभग हर रोज हर सरकारी कार्यालय में किसी न किसी को अपने काम से न सिर्फ चक्कर लगाने पड़ते हैं बल्कि सरकारी कर्मचारियों की मनमानी से भी दो-चार होना पड़ता है तो क्या ऐसे में इस तरह की घटनाओं को लेकर समाज और अफसरशाही को भी सोचना नहीं चाहिए। लेकिन इतना तो तय है कि हर रोज सड़क पर किसी लाचार पर अपना गुस्सा निकालने वाली वारदातों मॉब लिंचिग आदि को सुनकर हर किसी के मन का शैतान बेक़ाबू होता जा रहा है।
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