लखनऊ (23 अक्तूबर 2019)- पुरानी कहावत है कि ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम, शायद इसके अब राजनीतिक मायने में उत्तर प्रदेश की जनता को देखने को मिलने लगे हैं। दरअसल सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को एलान किया कि समाजवादी पार्टी यूपी में साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव अकेले ही लड़ेगी।
अखिलेश यादव का यह ऐलान ऐसे समय में हो रहा है कि जब बुआ ने ताज़ा ताज़ा उनको हाथी से उतार फैंका और चाचा से पुरानी नाराज़गी अभी दूर होती नहीं दिख रही हैं। ऐसे में सपा का ह ऐलान कि वो किसी भी दल से चुनावी गठबंधन नहीं करेंगी और पार्टी अपने काम और जनता के लिए किए जा रहे संघर्षों के बल पर चुनाव मैदान में उतरेगी। साथ ही जनादेश प्राप्त करने और अगली सरकार बनाने का दावा पेश किया गया है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का मानना है कि जनता बीजेपी को 2022 के चुनाव में सत्ता से बेदखल करने का इरादा कर चुकी है। पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई है। नोटबंदी-जीएसटी जैसे फैसलों से जनता और व्यापारी त्रस्त हैं। उद्योगधंधे बंद हो रहे है, बाजार में मंदी है। हर रोज नौजवान रोटी-रोजगार से वंचित किए जा रहे हैं। रुपये की साख लगातार गिरती जा रही है।
अखिलेश यादव का कहना है कि बीजेपी की नीतियों से देश के लोकतंत्र को खतरा है। साथ ही प्रदेश सरकार गरीबों, पिछड़ों और एससी/एसटी के साथ अन्याय हो रहा है। प्रदेश सरकार पर कर्ज लेकर अपने झूठे कामों का ढोल पीटने का आरोप लगाते हुए अखिलेश ने कहा कि भाजपा की गलत नीतियों से यूपी विकास की दौड़ में पिछड़ता जा रहा है। किसानों का ज़िक्र करते हुए उन्होने कहा कि किसानों की आमदनी दुगनी की बात तो छोड़िए, किसान कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर रहे हैं। शिक्षामित्रों की बेरोजगारी और अपराध को लेकर अखिलेश ने यूपी की योदी सरकार की जमकर आलोचना की है।
लेकिन सच्चाई यही है कि लोकसभा चुवाव में बीएसपी मुखिया मायावती के साथ के बावजूद बड़ी नाकामी, सपा के चाणक्य चाचा से दूरी और लोकसभा के नतीजों के बाद बुआ के अलगाव के बाद अखिलेश के लिए अकेले लहने का बस ऐलान करना ही बाकी था। हांलाकि इसको लेकर अखिलेश यादव ही नहीं बल्कि सपा का आम कार्यकर्ता भी उत्साहित है कि पार्टी अपने काम का लेखा जोखा लेकर जनता के बीच अपने दम पर जाएगी तो उसका फायदी पार्टी को ही होगा।