पांचवे चरण में उत्तर प्रदेश की 14 लोकसभा सीटों पर सोमवार को मतदान होना है, जिन 14 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है, उनमें अमेठी, रायबरेली और लखनऊ प्रमुख सीट है। अमेठी और रायबरेली कांग्रेस का गढ़ रही है, जबकि लखनऊ भाजपा का। केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की प्रतिष्ठा अमेठी में इस बार दांव पर है। वहीं, रायबरेली में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ कभी उनके अपने रहे दिनेश प्रताप सिंह सामने हैं। वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी की सीट रही लखनऊ में गृहमंत्री राजनाथ सिंह के सामने कांग्रेस प्रत्याशी आचार्य प्रमोद कृष्णम और सपा प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम चुनौती दे रहीं हैं।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह, सोनिया और राहुल गांधी के भाग्य का फैसला जनता कल करेगी, जिसका पिटारा 23 मई को खुलेगा। उत्तर प्रदेश में सोमवार को फिरोजाबाद, धौरहरा, सीतापुर, मोहनलालगंज, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, बांदा, फतेहपुर, कौशांबी, बाराबंकी, बहराइच, कैसरगंज और गोंडा पर मतदान होना है। दिग्गजों की सीट होने के कारण अमेठी, रायबरेली और लखनऊ सीट पर होने वाले दिलचस्प मुकाबले पर पूरे देश की नजर है।
अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक कर्मभूमि रही लखनऊ को हाई प्रोफाइल सीटों में गिना जाता है। 28 सालों से इस लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। मौजूदा सांसद गृहमंत्री राजनाथ सिंह हैं। पिछली बार उन्होंने कांग्रेस की प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी को 2 लाख 72 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। राजनाथ सिंह, 17वें लोकसभा चुनाव में भाजपा की तरफ से एक बार फिर मैदान में हैं। महागठबंधन ने शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने आध्यात्मिक गुरु प्रमोद कृष्णम पर दांव खेल रही है।
राजनाथ सिंह के खिलाफ मैदान में उतरे प्रमोद कृष्णम अपनी ही पार्टी के नेता शत्रुघ्न सिन्हा पर भड़के हुए हैं। पिछले दिनों उन्होंने कहा था कि शत्रुघ्न सिन्हा की हरकतों से लगता है कि उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन तो कर ली है, मगर अभी तक आरएसएस से इस्तीफा नहीं दिया है। पति शत्रु कांग्रेस में हैं, जबकि पत्नी पूनम सिन्हा यूपी में कांग्रेस के विरोध में लड़ रही सपा-बसपा गठबंधन में शामिल हैं। ऐसे में प्रमोद कृष्णम का कहना है कि शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी यहां कांग्रेस का ही वोट काटने वाली हैं। ऐसे में राजनाथ सिंह को चुनौती देने वाले आपस में ही अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं।
रायबरेली से एक बार फिर सोनिया ताल ठोक रही हैं। कांग्रेस सुप्रीमो रहीं और वर्तमान में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी यहां से पांचवीं बार चुनाव लड़ रही हैं। कांग्रेस ‘इस बार पांच लाख पार’ नारे के साथ चुनावी मैदान में उतरी है, हालांकि पिछले चुनाव में सोनिया को 5.26 लाख वोट मिले थे। सपा-बसपा गठबंधन ने तो यहां गांधी परिवार का सम्मान करते हुए उम्मीदवार ही नहीं उतारा है, लेकिन इस बार कांग्रेस का ‘हाथ’ छोड़ कमल की खुशबू की ओर जाने वाले भाजपा के उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह सोनिया के लिए थोड़ी दिक्कत पैदा कर सकते हैं।
पांच विधानसभा क्षेत्रों वाले रायबरेली में महज दो सीटें कांग्रेस के पास हैं और भाजपा के पास भी दो। रायबरेली में जहां कांग्रेस वर्चस्व में रही है, वहीं पिछली बार हरचंदपुर में भाजपा बहुत कम अंतर से हारी थी। बछरावां और सारेनी सीटें भाजपा के पास हैं, जबकि ऊंचाहार से सपा के विधायक हैं। पिछले विधानसभा चुनावों से उत्साहित भाजपा इन्हीं आंकड़ों के बलबूते कांग्रेस को उसके गढ़ में घेरने की तैयारी में है।
चुनिंदा हॉट सीटों में से एक अमेठी लोकसभा सीट कांग्रेस और खासकर नेहरू-गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु, उनके पोते संजय गांधी, राजीव गांधी के अलावा सोनिया गांधी यहां का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। तीन बार यहां से सांसद रहे राहुल गांधी ने चौथी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। वहीं, पिछली बार की तरह इस बार भी उनका मुकाबला स्मृति ईरानी से है।
2004 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी लड़े और बड़ी जीत हासिल की। जीत का अंतर रहा 49.33 फीसदी। 2009 में राहुल 57.24 फीसदी के अंतर से जीते, लेकिन 2014 में मोदी लहर के बीच उनकी जीत का अंतर महज 12 फीसदी रह गया। राहुल गांधी के केरल की वायनाड सीट से नामांकन, अमेठी में स्मृति के डेरा जमाने और राहुल गांधी पर भाजपा नेताओं की आक्रामकता इस ओर इशारा करती है कि गांधी परिवार के लिए अपनी साख बचाना बहुत आसान नहीं है।
फिलहाल पांचवे चरण के चुनाव के लिए प्रचार का शोर थम चुका है। प्रत्याशी डोर टू डोर कैंपेन में लगे हैं। इन तीनों सीटों पर भी सोमवार को मतदान होगा और जनता उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेगी।