प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक जीवन के बारे में लोग बहुत कुछ जानते हैं, लेकिन उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में लाखों लोग ज्यादा नहीं जानते हैं। राजनीतिक इंटरव्यू से अलग बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार ने उनके निजी जीवन के बारे में विशेष इंटरव्यू लिया है। इसमें प्रधानमंत्री के जीवन के कई अनछुए पहलुओं पर बात होने का दावा किया गया है।
सवाल-जवाब
अक्षय कुमार- अलादीन का चिराग मिल जाए तो आपकी तीन चाहत क्या होगी?
पीएम मोदी- समाजशास्त्री और शिक्षाविदों से आग्रह करूंगा कि आप कभी भावी पीढ़ी को अलादीन का चिराग वाली कहानी नहीं सुनाओ। मैं कहूंगा कि उन्हें मेहनत करना सिखाओ। यह कोई बाहर की फिलोसॉफी नहीं है। हमारे मूल में हैं। हम भारतीय मेहनतकश लोग होते हैं।
अक्षय कुमार- एक चुटकुला है कि एक गुजराती अंतिम सांसे ले रहा था, तो पूछा कि बेटा कहां है? बेटा बोला- यहां हूं। उसने पूछा बेटी कहां है? बेटी बोली- यहां हूं। फिर पत्नी से भी पूछा तो वही जवाब आया। फिर उसने पूछा कि सब यहां हैं तो दुकान पर कौन है? मतलब कि गुजराती जो होते हैं, पैसे संभाल कर रखते हैं।
पीए मोदी- मैं भी एक चुटकुला सुनाता हूं। एक बार प्लेटफॉर्म पर ट्रेन आई। बर्थ पर कोई पैसेंजर था। नीचे खिड़की से झांक कर पूछा कि कौन सा स्टेशन है। नीचे से आदमी बोला चार आना दो तो बताता हूं। फिर उस व्यक्ति ने कहा जवाब की जरुरत नहीं है। अहमदाबाद ही होगा।
अक्षय कुमार- विपक्ष में आपके कोई दोस्त हैं? क्या कभी चाय पीना, खाना वगैरह साथ होता है?
पीए मोदी- जरुर! शायद एक परिवार के रूप में सभी दल के लोग जुड़े हुए हैं। गुलाम नबी आजाद मेरे अच्छे दोस्त हैं। हालांकि मैं ये बोलूंगा तो चुनाव में नुकसान हो सकता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता दीदी मेरे लिए साल में एक-दो कुर्ते भी देती हैं। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री भी उपहार भिजवाती हैं। और भी कई दोस्त हैं।
अक्षय कुमार- पहली मुलाकात याद है? मैंने आपको दो चुटकुले सुनाए थे, आपने भी एक सुनाया था। क्या पीएम बनने के बाद आपका ह्यूमर वही है या फिर आप कड़क हो गए हैं?
पीए मोदी- ऐसा नहीं कि मैं बहुत कड़क हूं। काम करने-कराने का अपना तरीका है। आप किसी को झूठ बोलकर प्रभावित नहीं कर सकते। जैसे कि मैं मीटिंग लेते वक्त रखता हूं और कोई मोबाइल में व्यस्त रहता है, तो उससे पूछता हूं कि मैंने क्या बोला? वह बोल नहीं पाता, फिर उसे एहसास होता है।
मुझे शब्दों से खेलना पसंद है। अब बातों का गलत अर्थ निकाल लिया जा सकता है। बोलने से डर लगता है कि मैं कुछ बोलूं और टीआरपी की वजह से गलत मतलब निकाल लिया जाए। परहेज करता हूं। हां लेकिन दोस्तों के साथ हंसना-बोलना होता है।
अक्षय कुमार- प्रधानमंत्री मोदी अपनी मां के साथ क्यों नहीं रहते?
पीए मोदी- मैंने बहुत कम आयु में घर-बार, परिवार छोड़ चुका हूं। ऐसे में उतना अटैचमेंट नहीं रहा। मन तो होता है। कुछ दिन मां को बुला लिया था। उनके साथ समय बिताया। मां ने भी कहा कि मेरे पीछे क्या समय खराब करते हो। मैं गांव में रहूंगी, वहां लोगों से बातें करूंगी। मां भी देखती है कि कितना बिजी शेड्यूल है।
अक्षय कुमार- क्या प्रधानमंत्री को गुस्सा आता है?
राजी, नाराजी, गुस्सा, मनुष्य के व्यवहार की चीजे हैं। अगर मैं कहूंगा कि गुस्सा नहीं होता, तो विश्वास नहीं किया जा सकता। कड़क हूं। अनुशासित हूं। किसी को नीचा दिखा कर काम नहीं कराता, बल्कि प्रेरित कर के काम करवाता हूं।
अक्षय कुमार- मेरा जो अनुभव है कि गुस्सा निकाल लेना अच्छी बात है। बॉक्सिंग बैग में मार लेता हूं या समंदर किनारे जाकर जोर से चीख लेता हूं। आपका क्या मानना है?
पीए मोदी- मेरी जो 20-22 साल की ट्रेनिंग है, अच्छी चीजों से नकारात्मकता को दबाना सीखा है। चपरासी से लेकर अधिकारी तक, मुझे गुस्सा करने का अवसर नहीं मिला। अंदर तो गुस्सा होता होगा, लेकिन मैं व्यक्त करने से रोकता हूं। गुस्सा नुकसान करता है।
अक्षय कुमार- क्या आपने कभी सोचा था कि प्रधानमंत्री बनेंगे? सोचा था तो कब सोचा था? आप पीएम नहीं होते तो सन्यासी होते?
पीए मोदी- मैंने कभी नहीं सोचा था कि पीएम बनूंगा। मैं सेना में जाना चाहता था। कोई गाइडेंस नहीं मिलता था। भटकता हुआ यहां पहुच गया। कहा नहीं जा सकता है कि पीएम नहीं होता तो क्या होता।
अक्षय कुमार- क्या आप आम खाते हैं?
पीए मोदी–हां! बिल्कुल खाता हूं। पेड़ पर पके हुए आम खाता हूं। जिसे प्रकृति पकाती है।