ईस्टर के मौके पर रविवार को हुए आठ बम धमाकों ने श्रीलंका को अंदर से हिला दिया है। पूरी दुनिया इन हमलों की कड़ी निंदा कर रही है। धमाके में करीब 290 लोगों की मौत हो गई है। जबकि 500 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। मरने वालों में छह भारतीय नागरिक भी हैं। फिलहाल किसी आतंकी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। हालांकि शक के आधार पर 24 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बताया कि इन 24 लोगों को कोलंबो और उसके आसपास दो स्थानों से गिरफ्तार किया गया है।
इन हमलों के पीछे तौहिद जमात संगठन का नाम सामने आ रहा है। यह एक इस्लामिक संगठन है जिसका एक धड़ा भारत के तमिलनाडु में सक्रिय है। इसका नाम आतंकी घटनाओं से जुड़ता रहा है। इन हमलों से पहले श्रीलंका के मुख्य पुलिस अधिकारी ने चेतावनी दी थी कि देशभर के चर्चों को निशाना बनाया जा सकता है।
पुलिस मुखिया पूजुथ जयसुंद्रा ने 11 अप्रैल को श्रीलंका के वरिष्ठ अधिकारियों को चेतावनी दी थी। अपने भेजे हुए अलर्ट में उन्होंने लिखा था, ‘विदेशी खुफिया विभाग से जानकारी मिली है कि नेशनल तौहिद जमात नाम का संगठन आत्मघाती हमला करने की तैयारी कर रहा है।’ रविवार को हुए हमले ठीक उसी तरह के हैं जिन्हें इस्लामिक संगठन अंजाम देता है।
श्रीलंका के पूर्वी प्रांत में श्रीलंका तौहिद जमात की मौजूदगी है जो महिलाओं के लिए शरिया कानून और मस्जिदों के निर्माण पर जोर देता है और सांप्रदायिक संदेशों को प्रसारित करता है। इन हमलों को जिस तरह से अंजाम दिया गया है कि वह 2016 में बांग्लादेश के ढाका में होली आर्टिसन बेकरी में हुए धमाके के समान है। इसे वहां के स्थानीय लड़कों ने अंजाम दिया था लेकिन उन्हें इस्लामिक स्टेट ने प्रशिक्षण दिया है।
हमलों को अंजाम देने के लिए ईस्टर के मौके को चुना गया जिससे कि यह साफ है कि उनका निशाना ईसाई धर्म के लोग ही थे। तौहिद का हाथ इन हमलों के पीछे है या नहीं यह अभी साफ नहीं है। जांच के बाद ही कुछ साफ हो पाएगा लेकिन यह संकेत है कि जिहादी आतंकवाद श्रीलंका में अपने पैर पसार रहा है।
एसएलटीजे की गतिविधियों का बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने विरोध किया था जिसकी वजह से बौद्ध और मुस्लिमों के बीच तनाव बढ़ गया था। शुरुआती आंकलन से यह पता चला है कि हमलों को श्रीलंका के स्थानीय मुस्लिमों ने अंजाम दिया है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसे बिना बाहरी शक्ति के समर्थन के अंजाम देना मुश्किल है।