चुनाव के दौरान ध्रूवीकरण की राजनीति कर अपने-अपने वोट साधने में व्यस्त राजनीतिक पार्टियों पर चुनाव आयोग सख्त है। अली और बजरंग बली की बात करके योगी और मायावती ने वोट साधने की क्या कोशिश की चुनाव आयोग ने दोनों को नोटिस थमा दिया है। दोनों नेताओं को नोटिस भेजकर चुनाव आयोग ने उनसे उनके बयान पर जवाब मांगा है।
आपको बता दें कि मायावती ने देवबंद में हुई महागठबंधन की रैली में कहा था मुस्लिम किसी के बहकावे में आकर वोट बंटने ना दें, कांग्रेस इस लायक नहीं के बीजेपी को हरा सकें इसलिए मुस्लिम महागठबंधन को वोट करें जबकि, इसके जवाब में यीगी आदित्यनाथ ने कहा था अगर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का अली में विश्वास है, तो हमारा बजरंगबली में विश्वास है।
चुनावों के दौरान अक्सर ध्रूवीकरण की राजनीति कर धर्म के आधार पर वोटरों को लुभाने की कोशिश की जाती है। हालांकि नियम के मुताबिक कोई भी नेता धर्म के आधार पर वोटों की अपील नहीं कर सकता
सेक्शन 123 (3) के तहत जनप्रतिनिधि कानून 1951 के तहत उम्मीदवार धार्मिक आधार पर मतदान की मांग नहीं कर सकते ना ही उम्मीदवार कहीं मतदाताओं को धर्म के आधार पर मतदान के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
आपको बता दें कि चुनाव आयोग की तरफ से योगी आदित्यनाथ को मिलने वाला ये दूसरा नोटिस था। इससे पहले योगी को भारतीय सेना को मोगी की सेना कहने पर नोटिस भेजा था। हालांकि उसपर बाद में चुनाव आयोग ने योगी को चेतावनी देकर छोड़ दिया। अब दूसरी बार योगी आदित्यनाथ को नोटिस पहुंचा है। उम्मीद है धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले दोनों नेताओं पर चुनाव आयोग इसबार सख्ती से कार्रवाई करेगा l