इलेक्टोरल बॉड को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर आज कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने बॉड पर स्टे लगाने की मांग को नहीं माना और सभी पार्टियों को 30 मई तक चुनाव आयोग के सामने सील बंद लिफाफे में बॉड की डीटेल देने को कहा। आपको बता दें कि असोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स नाम के एनजीओ ने जनहित याचिका दाखिल कर बॉड पर रोक लगाने की मांग की थी।
दरअसल, सरकार की तरफ से इलेक्टोरल बॉड स्कीम लाई गई थी जिसमें पार्टियों को मिलने वाले चंदे में काले धन को रोकने के लिए ये स्कीम लाई गई थी। इस स्कीम के तहत अगर कोर्ट पार्टी को चंदा देना चाहता है तो वो बैंक से बॉड खरीद सकता है और पार्टी को दे सकता है। हालांकि, इसमें विवाद ये था के बॉड देने वाले की जानकारी गुप्त रखी जाती है, जिसको लेकर ही याचिका दायर की गई थी l
केंद्र सरकार और चुनाव आयोग की इस मामले पर अलग-अलग राय थी। चुनाव आयोग का कहना था के बॉड बंद नहीं होने चाहिए। हालांकि वो बॉड पार्टी को किससे मिला इसकी जानकारी चुनाव आयोग को मिलनी चाहिए, लेकिन उधर सरकार का कहना था के अगर पैसे देने वाले की जानकारी पब्लिक की जाती है, तो हो सकता है कि दूसरी पार्टी के सत्ता में आने पर उस व्यक्ति को प्रताड़ित किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता, चुनाव आयोग और सरकार का पक्ष सुनने के बाद गुरुरवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। हालांकि आज कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि बॉड को जारी रखा जाएगा, लेकिन हर पार्टी को पैसे दान करने वाले की जानकारी चुनाव आयोग को सील बंद लिफाफे में देगा होगा। कोर्ट ने 30 मई तक हर पार्टी को इलेक्टोरल बॉड की जानकारी देने को कहा है l