नई दिल्ली (19 जनवरी 2018)- दिल्ली में एक बड़ा राजनीतिक संकट सामने आ रहा है। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है। दरअसल चुनाव आयोग ने लाभ के पद मामले में दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी यानि AAP के 20 विधायक अयोग्य घोषित कर दिये हैं। अब सभी की नजरें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पर टिकी हैं क्योंकि चुनाव आयोग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजेगा। राष्ट्रपति ही इस मामले में अंतिम मुहर लगाएंगे। सियासी जानकारों की मानें तो राष्ट्रपति अगर चुनाव आयोग की अनुशंसा पर इन विधायकों को अयोग्य घोषित कर देते हैं तो दिल्ली में अयोग्य घोषित होने वाले विधायकों की सीटों पर दोबारा से चुनाव कराने की नौबत आ सकती है। हालांकि 20 विधायकों की सदस्यता जाने के बाद भी 67 सीटों के बहुमत के साथ सत्ता में आई अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार टिकी रहेगी।
इस मामले में शुक्रवार को चुनाव आयोग की टॉप मीटिंग के बाद राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजने का फैसला हुआ है। दरअसल इस मामले की जांच राष्ट्रपति के निर्देश पर की जा रही थी। जानकारों के मुताबिक़ आम आदमी पार्टी इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दे सकती है। हम आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने आप के 21 विधायकों को लाभ का पद मामले में शो कॉज़ नोटिस दिया था।
उधर इस मामले में आम आदमी पार्टी यानि आप चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त के रुख़ पर पलटवार किया है। आप का आरोप है कि चुनाव आयोग में आप के किसी एमएलए की गवाही तक नहीं हुई।
गौरतलब है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने मार्च 2015 में आम आदमी पार्टी यानि आप के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया था। इसी को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने सवाल उठाए थे। और इसी को लेकर प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाई थी। उसका आरोप था कि ये सभी 21 एमएलए लाभ के पद पर हैं। प्रशांत पटेल ने मांग की थी कि इनकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए। शायद इसी से अपनी गर्दन बचाने के उद्देश्य से दिल्ली सरकार ने दिल्ली असेंबली रिमूवल ऑफ डिस्क्वॉलिफिकेशन ऐक्ट-1997 में संशोधन किया था। लेकिन इस संशोधन को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नामंजूर कर दिया था। और यहीं से 21 विधायकों की सदस्यता संकट खड़ा हो गया था।
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