नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चार जजों के मीडिया में आकर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर सवाल उठाना मंहगा पड़ा है सुप्रीम कोर्ट ने 8 अहम मामलों में संवैधानिक पीठ का गठन किया है. जिसमें चारो जजों को शामिल नहीं किया गया है
धारा 377 जैसे अहम मामलों पर सुनवाई के लिए 5 सदस्यों वाले संवैधानिक पीठ में न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले चारों सीनियर जजों जस्टिस जे चेलामेश्वर, रंजन गोगोई, एम बी लोकुर और कुरियन जोसेफ में से कोई भी शामिल नहीं है.
जानकारी के अनुसार पांच न्यायाधीशों की पीठ में सीजेआई दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं. यह संविधान पीठ 17 जनवरी से कई महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई शुरू करेगी.
यह पीठ 17 जनवरी से आधार कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने, समलैंगिकता पर अपने ही 2013 के फैसले पर पुनर्विचार जैसे महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगी. इसके अलावा केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर रोक, पारसी महिला के दूसरे धर्म के शख्स से शादी करने के बाद धार्मिक पहचान खो देने, अनैतिक संबंधों में सिर्फ पुरुष को ही दोषी ठहराने समेत तीन अन्य मामले भी संविधान पीठ के समक्ष होंगे.
पिछले साल 10 अक्टूबर के बाद से इन्हीं जजों की बेंच ने कई अहम मामलों की सुनवाई की थी. इस मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच प्रशासकीय अधिकार और इच्छामृत्यु से जुड़े मामले भी शामिल थे.