पटना(03 जनवरी 2018)- घपले घोटालों के नाम सुनते ही अरबों खरबों की बंदरबांट के ख़्याल से ही पूरा देश सहम जाता है। अपनी गाढ़ी कमाई और टैक्स को अपने नेताओं के हाथों लुटते देखकर जनता यही सोचती है कि आख़िर ये नेता जनता की भलाई का दावा ही क्यों करते हैं जब इनको अपनो का ही पेट भरना और देश को लूटना ही है। बहरहाल बिहार का बहुचर्चित कई साल बाद एक बार फिर चर्चा में है। चारा घोटाले में पहले ही दोषी पाए गए राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को सीबीआई कोर्ट गुरुवार को सजा सुनाएगी। लालू यादव सुबह होटवार के बिरसा मुंडा की सैंट्रल जेल से रांची की सीबीआइ की विशेष अदालत में पहुंचे थे। जानकारों की मानें तो अगर लालू को सात साल की सजा हुई तो लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें बढ़ सकतीं है। लेकिन सजा तीन साल की होती है तो उनके लिए बेल मिलना आसान हो जाएगा। राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का कहना है कि इस मामले को लेकर हाइकोर्ट जाएंगे, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उनका आरोप है कि षड्यंत्र करके लालू यादव को फंसाया गया है।
चारा घोटाला मामले में सीबीआई की विशेष कोर्ट ने लालू समेत 16 लोगों को 23 दिसंबर को चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख़, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में दोषी ठहराया था। जिसके बाद पुलिस ने सभी को हिरासत में लेकर रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल भेज दिया था। इसी मामले में आज सजा सुनाई जाएगी। आपको याद दिला दें कि आपूर्तिकर्ताओं पर सामान की बिना आपूर्ति किए बिल देने और विभाग के अधिकारियों पर बिना जांच किए उसे पास करने का आरोप है। जबकि पूर्व सीएम लालू प्रसाद पर गड़बड़ी की जानकारी होने के बावजूद इस पर रोक नहीं लगाने का आरोप है।
23 दिसंबर को रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने जगन्नाथ मिश्र को बरी किया गया तो लालू के चेहरे पर मुस्कान दिखी लेकिन जब चारा घोटाले में लालू यादव को दोषी करार दिया तो वे सन्न रह गए। लालू यादव के मुंह से निकल गया देखो न डॉक्टर साहेब को तो छोड़ दिया हमको सजा दे दिया..! गजबे किया !
बहरहाल चारा घोटाला लालू प्रसाद यादव और करप्शन एक बार चर्चा में है। चारा घोटाला हुआ सरकारी ख़जाने को जमकर लूटा गया। मामला दर्ज हुआ देश की सबसे बड़ी जांच ऐजेंसी ने रात दिन मेहनत करके दोषियों को अदालत में बेनक़ाब भी किया। कई दशक तक चली प्रक्रिया के बाद अब लालू प्रसाद और कई दूसरे लोग दोषी क़रार दिये गये हैं। लेकिन एक बार सवाल यही है कि भले ही चोरा घोटाले में कुछ लोग बरी होने के बावजूद कई लोग दोषी निकले हैं लेकिन टू-जी और कई दूसरे मामलों में कई साल लंबी जांच के बावजूद साफ बच निकले आरोपियों को देखकर यही लगता है कि घोटालों को लेकर सरकार और अदालत को एक बार फिर मंथन करना होगा कि आख़िर घोटाले बाज़ों पर जल्द और सटीक नकेल कैसे लगे