गाजियाबाद (29 अगस्त 2017)- उत्तर प्रदेश में काफी समय बाद कोई ऐसा मुख्यमंत्री चुना गया जिसके लिए परिवार और भाई भतीजों से पहले जनता का हित हो। जी हां योगी आदित्यनाथ सांसारिक रिश्तों को त्याग कर जनता और समाज की सेवा के भाव से मैदान में हैं। लेकिन अफसोस कुछ सरकारी अफसर और उनके आसपास के लोग शायद योगी आदित्यनाथ के मिशन को पूरी तरह सफल नहीं होने देना चाहते हैं।
इसका जीता जागता सबूत गोरखपुर के बाद अब गाजियाबाद में भी देखने को मिल रहा है। गाजियाबाद जिला मुख्यालय, जिलाधिकारी के आवास, मुख्य विकास अधिकारी के कार्यालय से महज़ चंद किलोमीटर दूर स्थित ग्राम मिसलगढ़ी व इंद्रगढ़ी की जनता आज भी मुख्यमंत्री और जिलाप्रशासन को कई माह पहले भेजी गईं अपनी शिकायतों और पीड़ा पर कार्रवाई के इंतज़ार में है।
दरअसल दिल्ली एनसीआर की जानी मानी कॉलोनी गोविंदपुरम जिन गांवों की ज़मीनों के अधिग्रहण के बाद विकसित की गई है उसमें ग्राम मिसलगढ़ी और इंद्रगढ़ी भी मुख्य रुप से शामिल हैं। परंतु बतौर सरकारी प्रापर्टी डीलर जीडीए व सरकारी मशीनरी द्वारा इन्ही गांवों की जनता को मूलभूत सुविधाओं से न सिर्फ महरूम कर दिया है बल्कि उनकी पीड़ा तक सुनने की जिलाप्रशासन को सुध नहीं है।
पूरे दिल्ली एनसीआर को एक आधूनिक अंतर्राज्यीय बस स्टैंड देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के कोरोड़ों रुपए नया बस स्टैंड से रेड मॉल तक के नाम पर बर्बाद कर चुका गाजियाबाद प्रशासन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक को कितना गंभीरता से लेता है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गांव मिसलगढ़ी के लिए गोविंदपुरम सी-ब्लॉक से आने जाने के लिए उपलब्ध रास्ता व बरसाती पानी व रोजमर्रा के पानी की निकासी के लिए बने पुराने नाले तक को तोड़ दिया गया है। जिसका मलबा व नाले पर बना पुल अभी तक वहीं पड़े हैं। हालात ये हैं कि न तो इस इलाके के लोगों के लिए आने जाने के लिए रास्ता ही बचा है न ही पानी की निकासी के लिए कोई नाला। इसके अलावा सरकारी खर्चे पर बनाए गये सीवर को भी कई साल से आजतक चालू नहीं किया गया है।
इस बारे में कई माह पहले ग्राम मिसलगढ़ी के लोगों ने पीएमओ, मुख्यमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल, गाजियाबाद के डीएम, तहसील दिवस तक में शिकायत दर्ज कराई थी। परंतु
अभी तक गाजियाबाद प्रशासन महज लीपापोती में जुटा है।
सबसे गंभीर बात यह है कि भूमि अधिग्रहण के नये मानकों के अनुरूप विकास के नाम पर जिन गांवो की जमीनों का अधिग्रहण किया जाए उनके विकास और जन सुविधाओं के नज़रअंदा़ज़ नहीं किया जा सकता। लेकिन गाजियाबाद के गांव मिसलगढ़ी की काफी भूमि गोविंदपुरम को विकसित करके जीडीए ने भले ही अपनी पीठ थपथपा ली हो लेकिन गांव वासी आज भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में भी उनके कार्यालय में या उनके जनसुनवाई पोर्टल तक पर जनता की शिकायतो पर गौर नहीं किया जाता। साथ ही जिलाधिकारी और तहसील दिवस तक में पहुंचने वाली शिकायतों पर जिलाधिकारी या जिलाप्रशासन कोई गंभीरता क्यों नहीं दिखाता।
वैसे भी लगता यही है कि हाल ही में गोरखपुर में कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का ऐलान करने के अगले ही दिन गोरखपुर अस्पताल हादसे में सरकारी अफसरों ने अपनी ताक़त का एहससा पूरे प्रदेश को करा दिया था। तो क्या ऐसे में ये मान लिया जाए कि 31 अगस्त को गाजियाबाद आगमन पर योगी आदित्यनाथ लापरवाह अफसरों को नसीहत करके जाएंगे या फिर उनका गाजियाबाद दौरा महज़ एक दौरा ही बन कर रह जाएगा।