बिहार (10 अगस्त 2017)- तेजस्वी यादव पर कथित आरोपों के बाद मोबाइल सिम की तरह बिहार के सीएम के बदलने की घटना के बाद आई राजनीतिक गहमा गहमी में एक बार फिर तेज़ी देखने को मिल रही है। जनता यू के पूर्व अध्यक्ष ने बिहार के घटनाक्रम से आहत होते हुए कहा है कि महगठबंधन के टूटने से 11 करोड़ लोगों का भरोसा टूटा है। उन्होने कहा कि जनता ने महागठबंधन पर भरोसा किया था और अब उसके टूटने से जनता का भरोसा टूटा है।
बिहार के तीन दिन के दौरे के मौके पर शरद यादव ने कहा कि महागठबंधन को बनाने में सबसे आगे लालू यादव, नितीश कुमार और वो खुद सबसे आगे थे। ऐसे में महागठबंधन के टूटने का मुझे निजी तौर पर बहुत दुख है। दरअसल जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने बिहार में महागठबंधन के टूटने पर काफी वक्त तक चुप्पी साधे रखी थी, लेकिन अब वो खुलकर अपनी नाराज़गी जाहिर कर रहे हैं। उनका कहना है कि महागठबंधन टूटने के बाद उनके सामने दो ही रास्ते थे, या तो वे सत्ता का भोग करते या जनता के बीच जाकर उसके टूटे भरोसे को जीतने की कोशिश करते और उन्होंने दूसरा रास्ता चुना।
अपने तीन दिन के बिहार दौरे पर उनका कहना है कि वो महागठबंधन के मतदाताओं को एकजुट करना चाहते हैं। जिसके लिए वो गुरुवार को पटना पहुंचे। इसके बाद शरद यादव की मुज़फ़्फ़रपुर, मधुबनी और मधेपुरा जाने की भी योजना है। शरद यादव का कहना है कि वोटर और वोट ही लोकतंत्र के इंजन हैं और इन्हें तोड़ना लोकतंत्र को तबाह करना है। उन्होंने कहा कि अब गठबंधन का घोषणापत्र भाजपा के घोषणापत्र से मिल गया है। जबकि इसका हम पहले विरोध कर रहे थे। उनका मानना है कि यह अंधेर जैसी स्थिति है और ऐसे हालात पैदा करने की भूमिका हमारे जेडीयू के साथियों ने ही निभाई है। जिससे जनता के विश्वास को जो चोट पहुंची है, और मैं उसे ही जोड़ने आया हूं। शरद यादव ने कहा कि मैं किसी के विरोध या बयानबाज़ी का जवाब नहीं देता। मैं अकेले ही निकला हूं और जनता सबसे बड़ी मास्टर है। मैं जनता के बीच अकेले आया हूं, मैंने तो पहले से ऐसा कोई प्रोग्राम भी नहीं बनाया था।
sharad yadav deffends mahagathbandhan
उधर जेडीयू के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार का मानना है कि पार्टी फिलहाल ‘वेट ऐंड वॉच’ की स्थिति में है।