गाजियाबाद (01जुलाई 2017)- ग़ाज़ियाबाद की जिलाधिकारी मिनिस्ती एस बच्चों के साथ होने वाले अपराधों ख़ासतौर
शारीरिक शोषण को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को बच्चों के लैगिक शोषण की घटनाओं पर तत्काल एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिये। शनिवार को जिलाधिकारी ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में लैगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पाक्सो) एक्ट के बारे में आयोजित कार्यशाला में उन्होने सख़्त तेवर दिखाए। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में रिपोर्ट दर्ज करने में किसी भी प्रकार की देरी नही होनी चाहिए। जिलाधिकारी मिनस्टी एस ने चेतावनी दी कि अगर कहीं लापरवाही पाई गई तो सम्बन्धित अधिकारी के विरूद्व सख्त कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि पाक्सो के अधीन दर्ज धाराओं की सूचना बाल कल्याण समिति को 24 घन्टे के अन्दर उपलब्ध करा दी जाये। पोक्सो अधिनियम के सम्बन्ध में जिलाधिकारी ने कहा कि यह अधिनियम बच्चों के लैंगिक उत्पीडन, लैगिक हमलों के अपराधों से संरक्षण प्रदान करने के साथ ही कानूनी कार्यवाही के दौरान हर स्तर पर बच्चे का हित भलाई सुनिश्चित करता है। इस अधिनियम के तहत सभी प्रकार के बाल यौन शोषण की रिपोटिंग जरूरी है। उन्होंने कहा कि पुलिस को बाल संरक्षक के रूप में अन्वेषण की प्रक्रिया का दायित्व निभाना चाहिये पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों को वाल यौन शौषण की घटना सामने आते ही बालक की देख रेख एवं संरक्षक हेतु आवश्यक व्यवस्था करने चाहिए। उन्होंने ऐसे मामलों में प्रदेश सरकार द्वारा संचालित रानी लक्ष्मीबाई सम्मान कोष से अर्थिक सहायता के लिए जिला प्रोवेशन अधिकारी को सूचित करने के लिए कहा।
लैगिक शोषण की रिपोर्ट दर्ज न करने पर दोषी को छह माह सजा: एच.एन सिंह
इस अवसर पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एच.एन. सिंह ने पाक्सो अधिनियम के तहत पुलिस द्वारा की जाने वाली कार्यवाही के सम्बन्ध में जानकारी दी उन्होंने कहा कि किसी भी बच्चे के ऊपर लैगिक शौषण के संज्ञान में आते ही अनिवार्य रूप से प्राथमिक सूचना रिपोट दर्ज करें। ऐसा न करने वाले दोषी अधिकारी को 06 माह की सजा अथवा जुर्माने से दण्डित किये जाने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि पीड़ित बच्चे के बयान को बच्चे के निवास अथवा उसके पसन्द के स्थान पर किसी महिला पुलिस अधिकारी द्वारा अभिलिखित किया जाये। बच्चे का बयान दर्ज किये जाने के समय पुलिस अधिकारी वर्दी में नही होगें बच्चे का चिकित्सकीय परीक्षण बच्चे के माता-पिता अभिभावक अथवा चिकित्सा संस्था के प्रमुख द्वारा नामित किसी महिला की उपस्थिति में कराये जाये। इस अवसर पर शक्तिवाहिनी संस्था के रविकान्त, शहबाज, निशिकान्त ने भी अधिनियम के सम्बन्ध में जानकारी दी। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक नगर, आकाश तौमर, अपर जिलाधिकारी प्रशासन ज्ञानेन्द्र सिंह तथा उप जिलाधिकारी सदर प्रेम रंजन सिंह मुख्य चिकित्साधिकारी अजय अग्रवाल सहित पुलिस विभाग तथा चिकित्सा विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।