कोई क्या सोचता है इस पर न तो कोई टैक्स है, न कोई दिशानिर्देश न ही पाबंदी। सलमान ख़ान, मुख़्तार अब्बास, नर्गिस दत्त आदि को सच्चा मुसलमान मानना या संजय दत्त, करीना या आसाराम जैसों के लिये हिंदु कट्टरपंथी कोई गलतफहमी पाल लें तो उससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ सकता।
इस देश और हमारे समाज की सबसे बड़ी सुंदरता यही है कि अंग्रेज़ों की ग़ुलामी हो या मुग़लों और दीगर मुस्लिम राजाओं का सैंकड़ो साल का शासन या फ़़िर मौजूदा आज़ादी की खुली फ़िज़ाए.. लेकिन न तो हिंदु भाइयों के बग़ैर हिंदोस्तान का सपना पूरा हो सकता है न ही कभी मुसलमान के बग़ैर ख़ूबसूरत भारत की परिकल्पना। हुकमरान, राजा और सियासतदां भले ही भिड़ते रहे… लेकिन समाज और आम आदमी ने न सिर्फ एक दूसरे को पनाह दी बल्कि एक दूसरे के अस्तित्व में अपने अस्तित्व को महसूस किया। जिसका नतीजा है कि आज भी मंदिरों में रफी के भजनों की वजह से मौहम्मद का नाम पहुंचा और कोई भी भारतीय मुस्लिम अपने हिंदु भाइयों के बग़ैर अपने वजूद को साबित नहीं कर सकता।
आमिर ख़ान की बीवी को किसी हिंदु से शादी के बजाय आमिर से शादी के बाद भी देश में डर लगने लगा इसी पर सियासत गर्मा गई। आमिर की बीवी या आमिर बड़े नाम हैं, लेकिन जहां तक हिंदु या मुस्लिम होने के पैमाने का सवाल है, न तो किरन को हिंदुओ का रहनुमा कहा जा सकता है न ही आमिर को मुस्लिमों का रहबर। इसी तरह सलमान के गणेश पूजा से या किसी हिंदु द्वारा अजमेर में चादर चढ़ाने से हिंदुत्व कमज़ोर या मज़बूत होता न ही इस्लाम को कोई ख़तरा या फायदा..।
आसाराम बापू की कथित रासलीला या असीमानंद और प्रज्ञा ठाकुर पूरे हिंदु समाज का नेतृत्व नहीं कर सकते न ही सभी हिंदु भाई उनको अपना आइकन मानते।
बाबर ने दिल्ली की सत्ता पाने के लिए इब्राहीम लोधी को हराया लेकिन कुछ लोग बाबर से हिंदुत्व के नाम नाराज़गी जताते हैं। जबकि इब्राहीम लोधी और बाबर दोनों ही शासक थे और शासक से धर्म की उम्मीद या शिकायत करना अपनी समझ से परे है। वैसे भी अगर मुग़ल या दूसरे मुस्लिम शासक मुस्लिम प्रेमी या हिंदु विरोधी होते तो सैंकड़ों साल की हुकूमत के बावजूद मुस्लिमों की इतनी दुर्दशा न होती साथ ही हिंदु नाम के लोग भारत में देखने को भी न मिलते।
सैफ के करीना से शादी या उनके पिता नवाब पटौदी द्वारा हिंदु लड़की शर्मिला से शादी करने से न तो इस्लाम को बढ़ावा या कोई नुक़सान पहुंचा और न ही हिंदुत्व पर कोई ख़तरा पैदा हुआ। उसके बाद पटौदी की औलाद में सोहा कुणाल खेमू से जा मिली और सैफ पहले अमृता और बाद में करीना कपूर से अटक गये। जिस लेवल या सोच के ये मुसलमान थे उसको लेकर इनके द्वारा की जा रहीं शादियों से न तो मुस्लिम समाज बेचैन हुआ न ही हिंदुओं ने कोई नाराज़गी जताई। ऐसे एक नहीं हज़ारो उदाहरण हैं जब माता पिता ने हिंदु लड़की को बहु बना कर या बेटी को हिंदु ल़ड़के साथ विदा कर दिया ठीक ऐसे हीं कई हिंदु भाइयों ने बड़े दिल का सबूत देते हुए अपने बेटों और बेटियों का साथ दिया।
सैफ और करीना की शादी हुई तो बच्चे भी होंगे, उनको एक प्यारा सा बेटा मिला। जिसका नाम तैमूर रख दिया गया। शायद ये सोच कर कि तैमूर के मायने फौलाद के हैं। वैसे भी सैफ को तलवार कहा जाए तो उसके बेटे का नाम फौलाद होने से कौन फ़र्क़ पड़ गया। सैफ जैसी तलवार तो करीना कपूर और अमृता को गले लगाए और तैमूर पैदा होते ही हिंदुओं का क़ातिल दिखे। ये कौन सा चश्मा है जी..
लेकिन चलिए आज हम इस विवाद को भी ख़त्म कर देते हैं। सैफ और करीना को मनाने के लिए, कि तैमूर का नाम बदल कर कुछ और रखते हैं। लेकिन क्या देश में करोड़ों अशोक अपना नाम बदलने की हिम्मत रखते हैं, क्योंकि भले ही इतिहास में हमारे कभी ज़्याद नंबर न आए हों लेकिन अशोक एक ऐसा राजा था जिसने लाखों हिंदुओ का कत्लेआम करके अपनी सत्ता का लोहा मनवाया था। ये अलग बात है कि बाद में बही अशोक अहिंसा का पुजारी कहलाने में फ़ख़्र महसूस करने लगा था।
(लेखक आज़ाद ख़ालिद टीवी पत्रकार हैं डी.डी आंखों देखी, सहारा समय, इंडिया टी.वी, इंडिया न्यूज़ समेत कई नेश्नल चैनल्स में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं।)