नई दिल्ली (25जनवरी 2016)-अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्र्पति शासन थोपे जाने के केंद्र सरकार के असंवैधानिक फैसले की जनता दल (यू) कड़े शब्दों में निंदा करता है। राज्य सभा सांसद एवं जनता दल (यू ) के प्रवक्ता के सी त्यागी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी नीत केंद्र सरकार का यह फैसला पहला संवैधानिक पाप है जो लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने वाला भी है। राज्यपाल जैसे उच्च संवैधानिक पद का दुरूपयोग कर अरूणाचल प्रदेश में बहुमत से बनी सरकार को अस्थिर करने का केंद्र सरकार का प्रयास संवैधानिक ढांचे का अपमान करने वाला कदम है। सरकार के इस कुकृत्य से ‘कापरेटिव फेडरलिज्म‘ के प्रति उसकी मानसिकता भी परिलक्षित होती है। चैंकाने वाली बात है कि जब अरूणाचल प्रदेश विवाद का मसला सर्वोच्य न्यायालय में विचाराधीन है, न्यायालय के निर्णय का इंतजार किये बगैर केंद्र सरकार ऐसा निर्णय कैसे ले सकती है? यह सर्वोच्य न्यायालय का भी अपमान करने वाला कदम है।
पिछले वर्ष के दिसम्बर माह में अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल द्वारा मुख्य मंत्री व अन्य कैबिनेट मंत्रियों से विमर्श किये बिना राज्य के विधान सभा सत्र की तिथि को आगे बढ़ाने जैसा असंवैधानिक कदम उठाया गया था। विधान सभा सत्र की पूर्व निर्धारित तिथि 14 जनवरी 2016 थी। उन्होंने बेवजह हस्तक्षेप करते हुए 16 दिसम्बर 2015 को सत्र शुरू करने का आदेश दिया था। राज्यपाल का यह प्रयास चुनी हुई बहुमत की सरकार को अस्थिर करने का घिनौना प्रयास था।
लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा हेतु जनता दल ;यूद्ध अरूणाचल के राज्यपाल को वापिस बुलाये जाने की मांग करता है। पार्टी माननीय राष्ट्र्पति महोदय से भी अनुरोध करती है कि वह राज्य में राष्ट्र्पति शासन को मंजूरी प्रदान न करें।