नई दिल्ली (1 दिसंबर2015)-राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि असली मलिनता सड़कों पर नहीं, बल्कि हमारे मन-मस्तिष्क में है कि हम समाज को विभाजित करने वाले ‘वे’ और ‘हम’ तथा ‘शुद्ध’ और ‘अशुद्ध’ के दृष्टिकोण को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक बहसों को हर प्रकार के शारीरिक और शाब्दिक हिंसा से मुक्त होना चाहिए। राष्ट्रपति ने मंगलवार को अहमदाबाद में साबरमती आश्रम में एक नये अभिलेखागार एवं अनुसंधान केन्द्र का उद्घाटन किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज दुनिया को गांधी जी की ज्यादा जरूरत है। गांधी जी केवल राष्ट्रपिता ही नहीं थे, बल्कि वे राष्ट्र निर्माता भी थे। उन्होंने हमें नैतिक मूल्य प्रदान किये, जिन्हें अपनाकर हम आगे बढ़ सकते हैं। गांधी जी ने कहा था कि किसी कार्य की उपयोगिता इस बात से समझी जानी चाहिए कि समाज के अन्तिम व्यक्ति के लिए वह कितनी लाभप्रद है। समाज का यह अन्तिम व्यक्ति महिला, दलित या आदिवासी है।