गाजियाबाद (5 नवंबर 2015)- आपस में बेहद भरोसा करने वाले दो परिवारों का व्यापारिक विवाद इन दिनों शहर की सियासत में चर्चा की वजह बना हुआ है। हालात ये हैं कि लेने देन के इस आपसी विवाद में गाजियाबाद की पूरी समाजवादी यूनिट अपने महानगर अध्यक्ष के बचाव में मैदान में उतर पड़ी है।
अपने ऊपर लगे कई गंभीर आरोपों की सफाई देने के लिए समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष संजय यादव ने गुरुवार को एक पत्रकार वार्ता की और अपने ऊपर लगे आरोपों पर पलटवार किया। पत्रकार वार्ता में समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष समेत कई बड़े पदाधिकारी भी मौजूद रहे। उधर इस मामले में व्यापारी नितिन अग्रवाल का कहना है कि संजय यादव ने अपने राजनीतिक रसूख का फायदा उठाते हुए उनकी 20 लाख रुपए की दुकान और 70 लाख रुपए कैश भी ले लिये हैं।
संजय यादव व उनके पिता ने अपने ऊपर आरोप लगाने वाले लोगों पर आपसी भरोसे को तोड़ने और धोखे से करोड़ों रुपए के गबन किये जाने का आरोप लगाया। संजय यादव के पिता सुखपाल यादव को आर्थिक नुकासन से ज्यादा भरोसे को तोड़ने और अपनी साख पर दाग लगाने की कोशिश का अफसोस था। सुखपाल यादव का आरोप है कि नितिन अग्रवाल व उनके परिवार पर उनको और उनके बेटे संजय को बेहद भरोसा था। जिसके चलते दो कंपनियों में उनके साथ पार्टनरशिप की गई थी। इतना ही नहीं खुद की व्यस्तता की वजह से सारा कारोबार नितिन अग्रवाल व उनके परिवार के हवाले करने की बात सुखपाल यादव ने कही। संजय यादव के पिता सुखपाल यादव का आरोप है कि इसी भरोसे के चलते नितिन अग्रवाल व उनके परिवार के लोगों ने न सिर्फ इंडियन ओवरसीज बैंक में खोले गये संयुक्त खाते से लाखों रुपए निकाल लिये बल्कि उनके साइन किये हुए कई चैक भी गायब कर दिये । इसके अलावा नितिन अग्रवाल पर संजय यादव ने यह भी आरोप लगाया कि उनकी जानकारी के बगैर ही साझेदारी की कंपनी का बैंक अकाउंट आईसीआईसीआई बैंक में खोल लिया गया था। और कंपनी की सारी ट्रांजैक्शन उनकी जानकारी के बगैर ही उस खाते में की जाने लगी थी। इतना ही नहीं उनका यह भी कहना था कि उनकी जानकारी के बगैर आईसीआईसीआई बैंक में खोले गये खाते को ओपन करने के लिए जो चैक दिया गया वह भी उनके द्वारा ही साइन किया हुआ था। लेकिन इस चैक के बारे में भी उनको बताया नहीं गया था। इस बाबत 2014 में दो एफआईआर दर्ज करा दी गई थीं। इतना ही नहीं संजय यादव का कहना है कि उनके साथ हुई धोथाधड़ी के मामले के तमाम दस्तावेज और सबूत उनके पास मौजूद हैं। इस बाबत यदि कोई भी सीए या कोई जांच ऐजेंसी जांच करेगी तो वे उसके सामने सब रख देंगे, ताकि सच्चाई सामने आ सके। संजय यादव का कहना है कि नितिन अग्रवाल व उनके परिवार के बीच इतने अच्छे संबध थे कि उन्होने अपने साथ कभी धोखाधड़ी के बारे में कभी सोचा भी नहीं था।
साल 2000 से ही आपसी भरोसे के तहत रह रहे इन दोनों परिवारों की सबसे बड़ी ट्रैजिडी यह है इन दोनों परिवारों के बीच चल रहा विवाद थाने तक पहुंचा था। इस मामले में नितिन अग्रवाल से जब पूछा गया तो उनका कहना था कि संजय यादव का यह कहना कि हमने उनके साथ करोड़ों की धोखाधड़ी की है, बेबुनियाद आरोप है। नितिन अग्रवाल ने मै. निहार इंटरनेट सर्विसेज प्रा.लि. के आईसीआईसीआई बैंक के खाते के स्टेटमेंट की प्रतिलिपि मेल करके बताया कि इस खाते में कुल 26 लाख 81 हजार का ट्रांजैक्शन किया गया था। और इस खाते से अलग अलग समय में कुल 10 लाख 15 हजार कैश के रूप मे निकाले गये। जिनमे ऑफिस के खर्चों सहित कई दूसरे खर्च भी शामिल थे। तो भला हमारे द्वारा इस खाते से करोड़ों रुपए का घोटाला कैसे किया जा सकता है। साथ ही उनका कहना था इस मामले में संजय यादव व उनके परिवार द्वारा 2014 में एफआईआर लिखवाकर हमें थाने में बैठवा दिया गया था, जिसके एवज़ हमने 20 लाख रुपए की एक दूकान उनके नाम की और 70 लाख रुपए दिये थे। जिसके लिए संजय यादव के पिता सुखपाल यादव ने अपनी ही लिखावट में समझौतानामा भी लिख कर दिया था। जिसके बाद पुलिस ने दोनों ही मामलों में एफआर भी लगा दी थी, जिसकी प्रतिलिपि देखी जा सकती है। नितिन अग्रवाल का कहना है कि इस मामले में हम और हमारा परिवार भी किसी भी तरह की जांच को तैयार हैं।
बहरहाल कभी एक दूसरे की दांत काटी रोटी खाने वाले इन दोनों परिवारों के बीच लेन-देन का विवाद सियासी शक्ल इख्तियार करता जा रहा है। मामला थाने पुलिस से होता हुआ राजनीति के मंच तक जा पहुंचा है। गाजियाबाद में हमेशा से ही अपने सियासी वजूद की तलाश में रही समाजवादी पार्टी भी अपने महानगर अध्यक्ष के साथ हुए कथित धोखे या उन पर लगने वाले आरोपों के लेकर पसोपेश में है। एक तरफ तो सपा मुखिया के नज़दीकी माने जाने वाले अपने नेता की साख का सवाल तो दूसरी तरफ उन पर उन्ही के एक पुराने पार्टनर द्वारा जबरन लाखों रुपए की दुकान और रकम कब्जाने के आरोप। ऐसे में समाजवादी पार्टी की गाजियाबाद इकाई का खुलेतौर पर सामने आ जाना शहर की सियासत को गर्माने का एक सबूत माना जा सकता है।