गाजियाबाद(24 अक्तूबर 2015)- कहते हैं कि दुनियां में संस्कार ही सबसे बड़ी दौलत है। और हर इंसान का व्यक्तित्व उसके परिजनों के व्यक्तित्व का प्रतिबिंब होता है। ये बात गाजियाबाद के जाने माने समाजसेवी सिकंदर यादव पर भी लागू होती है। जोिन लोगों के मन में ये सवाल है कि सिकंदर यादव समाज और जनता के लिए कैसे हमेशा समर्पित रहते हैं। उनके लिए ये बात अब राज़ नहीं रह गई है। क्योंकि इसमें सिंकदर यादव का कोई कमाल नहीं है, बल्कि उनको ये तमाम खूबियां विरासत में ही मिली हैं।
जी हां सिंकदर यादव के पिता से मिलकर हर कोई ये बात आसानी से समझ सकता है। इसका एक नज़ारा नया विजयनगर के-ब्लाक की रामलीला कमेटी में भी देखने को मिला। जब यहां पर रामलीला के दौरान उनके पिता की सादगी और उनके व्यक्तित्व के अलावा लोगों ने उनके पिता श्री रतम सिंह यादव के विचार सुने। समाज के कमजोर और गरीब तबके के लिए हमदर्दी रखने वाले रतन यादव का कहना है कि माता पिता की सेवा और उनका आदर करना ही सबसे बड़ी पूजा है। इस मौके पर रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों ने समाजसेवी सिकंदर यादव के पिता श्री रतन सिंह यादव का फूलमाला पहनाकर जोरदार स्वागत किया।
इस मौके पर रतन सिंह यादव ने कहा कि रामायण से जो सीख मिलती है उसका अनुसरण हर किसी को करना चाहिए। रामायण में श्रीराम ने पिता की आज्ञा का पालन करके राजपाट तक को ठुकरा कर समाज को एक बड़ी शिक्षा दी है। ताकि हर कोई अपने माता पिता का आदर व सम्मान करे।