मुम्बई /पुणे(12 सितंबर 2015)- ‘फिक्र आपकी’ को बतौर टैग लाइन बनाने वाले न्यूज़ चैनल न्यूज़ एक्सप्रेस को संचालित करने वाले कंपनी के मालिकान इस दिनों अपनी ही फिक्र तक करने में नाकाम दिख रहे हैं। क्योंकि पत्नि को तो पुलिस ले गई और अब पुलिस इनके पीछे है।
समाज को आईना दिखाने और दूसरों की पोल खोलने वाला मीडिया जैसे जैसे कुछ लोगों के काले कारनामों को संरक्षण देने का माध्यम बना वैसे वैसे ही इसकी गरिमा भी गिरी और पुलिस प्रशासन की नज़र भी टेढ़ी होती गई। हांलाकि इसका नुक़सान ईमानदार पत्रकारिता को भी हुआ लेकिन फिलहाल मीडिया की आड़ में अपने काले धंधे को बचाने वालों की जेल यात्रा का दौर चल निकला है। पहले सहारा, फिर कुछ दूसरे बड़े मीडिया हाउस पुलिस के निशाने पर आए और इस बार जेल की हवा खाने गईं है न्यूज़ एक्सप्रेस को संचालित करने वाली कंपनी के मालिक की पत्नि।
चिट फंड के नाम पर हज़ारों लोगों के पैसे लेकर करोडो की धोखाधडी करने के मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस ने शुक्रवार रात चिंचवड पुणे से कंपनी के मालिक की पत्नी को अरेस्ट किया है । जबकि आरोपी पति और बेटा पुलिस से आंख मिचौली मे लगा है यानि अब भी फरार है। मुबंई से दानिश आज़मी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़ गिरफ्तार महिला का नाम वंदना भपकार बताया जा रहा है और उसके पति बाला साहेब भापकर और बेटा शशांक भापकर अब भी फरार है ।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार बाला साहेब भापकर ने 2007 में साईं प्रसाद चिट फंड नाम छत्तीसगढ़ में चिट फंडिया कारोबार शुरू किया था ।और छत्तीस गढ़ में कारोबार बढ़ाने के लिए प्रत्येक जिले में एजेंटों की भर्ती भी की गयी थी 7 साल में डबल पैसे देने का वादा किया गया गया ऐसा सपना भापकर परिवार ने 10 हज़ार से अधिक लोगों को दिखा कर 5 से 7 करोड़ रुपयों की धोखा धडी की गयी थी ।
देश के कई परदेशों में काफी केस इस कंपनी पर हुए थे और SEBI में भी इस पर मामला दर्ज हुआ था । मीडिया के नाम पर चिट फंड के कारोबार को परवान चढाने वाले भापकर चैनल में ताला लगते ही उनके बुरे दिन शुरू हो गए । करोड़ों के चिट फंड फ्राड के साथ ही मीडिया कर्मियों के पैसे ना देने क्र मामले में पिता पुत्र फरार है । भापकर के खिलाफ 15 मार्च 2015 को शिकायत दर्ज हुई थी और इसी मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस चिंचवड आई थी और और पुलिस ने कल रात वंदना भापकर को अरेस्ट की जब की पति और पुत्र अब भी फरार बताये जा रहे है ।
वर्ष 2011 में साईं प्रसाद मीडिया के बैनर तले न्यूज़ एक्सप्रेस नामक नेशनल चैनल भी लाया था और मीडिया के बड़े महारथी भी भापकर के सारथी बने। लेकिन कई रीजनल न्यूज़ चैनल लाने की तैयारी करने वाला यह ग्रुप और सिर्फ एमपी-सीजी तक सिमत गया और वक़्त की रफ़्तार के साथ बड़े नामो ने किनारा कस लिया और चैनल आखिरी सांसे लेने लगा और साल 2015 में पूरी तरह कोमा में चला गया। हांलाकि कंपनी ने जिन लोगों को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी उनके कंधों का दम खम मीडिया जगच में किसी से छिपा नहीं है। अभी हाल ही में न्यूज़ एक्सप्रेस छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश का नाम बदल कर स्वराज एक्सप्रेस कर दिया गया है। जिसको लेकर भी कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं ।
दरअसल इस कंपनी को मीडिया हाउस मे उतारने वालों ने यह क्वाब दिखाया था कि अब आप के ऊपर पुलिस हाथ नहीं डाल पाएगी। लेकिन ये लोग अपने इस सब्जबाग़ के एवज़ कंपनी से करोड़ों की कमाई करके निकलते बने। ये वही लोग थे जिनके बारे तमाम मीडिया जगत में चर्चा है कि मीडिया की गरिमा को गिराने में इनका बडा़ रोल है। कभी एस वन के मालिक को ठगना तो कभी सीएनईबी के मालिकों को चूना लगाना, तो कभी मौर्य को मीडिया जगत मेंं नंबर वन बनाने का खेल, तो कभी वॉयस ऑफ इंडिया में लूट करने वाले इन लोगों के बारे फिलहाल चर्चा यही है कि चिटफंड वाले तो जेल चले गये लेकिन इन लोगों को मीडिया के नाम पर इतने दिनों तक बचाए रखने के नाम करोड़ों के वारे न्यारे करने वालों के खिलाफ किस कानून के तहत कार्रवाई होगी।
हां इतना ज़रूर है कि जिन लोगों ने कभी पत्रकारिता का पी भी न देखा हो उन लोगों ने सीईओ और एडिटर जैसी सीटों की सवारी ज़रूर कर ली है। बस किसी का नाम लेना ठीक नहीं।