मुरादाबाद(9सितंबर2015)- लगता है कि घोटालेबाज़ों की नज़र मदरसों पर भी है, जहां सरकारी अनुदान में करोड़ों के घपले की शिकायते आ रही है। ऐसा ही एक मामला मुराबाद के बिलारी में सामने आया है। जहां के राबिल हुसैन द्वारा सूचना के अधिकार के तहत जानकारी के आधार पर मदरसों के नाम पर हो रहे घपलो को बेनक़ाब किया है।
दरअसल राबिल ने पिछले साल जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत जिले के अनुदानित और वित्तहीन मदरसों के बारे में सूचना मांगी थी। उन्होंने पूछा था कि जिले में कितने मदरसें है, और वर्ष 2005 से 2015 के बीच कितने मदरसों को तहतानिया, फौकानिया और आलिया स्तर की मान्यता दी गयी है, उन्होंने जिले में संचालित मदरसों के नाम व पतें के साथ उनके पंजीकरण और नवीनीकरण की पूर्ण सूचना भी मांगी थी, साथ ही यह भी जानना चाहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा संचालित मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत कितने शिक्षकों को मानदेय वेतन का भुगतान किया जा रहा है।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, मुरादाबाद से सूचना न मिलने पर वादी ने राज्य सूचना आयोग में अपील दाखिल की। राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान के आदेश के बाद जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, मुरादाबाद ने सम्बन्धित सूचनाओं को गोपनीय और व्यक्तिगत बताते हुऐ सूचना देने में अपनी असमर्थता जाहिर की है, इस पर राज्य सूचना आयुक्त ने आदेश दिया है कि जो सूचनाएं वादी ने मांगी है, वह न तो गोपनीय है और न हीं व्यक्तिगत सूचना है, यह सरकारी अभिलेख है। सुनवाई के दौरान आरटीआई कार्यकर्ता ने दास्तावेज भी प्रस्तुत किए, जिससे खुलासा हुआ है कि जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, मुरादाबाद ने दर्जन भर से अधिक मदरसों को मान्यता दी है, जिन मदरसों का जमीन पर अस्तित्व ही नहीं है। एक-एक भवन में चार-पांच मदरसों को मान्यता दी है।
जनपद मुरादाबाद में जिन मदरसों के नाम पर केन्द्र और राज्य सरकार से हर साल करोड़ों का अनुदान लिया जा रहा है, वादी के कथन के अनुसार असल में उनका कोई नामोनिशान ही नहीं है। करोड़ों के इस अनुदान का अल्पसंख्यक विभाग के कुछ अधिकारी और मदरसा प्रबन्धक मिलकर खुर्दबुर्द कर रहे है, इसका खुलासा राज्य सूचना आयोग में मुरादाबाद के मदरसों से सम्बन्धित मांगी गयी सूचनाओं के दौरान वादी के प्रार्थना-पत्र के अवलोकन से हुआ, साथ ही विभागीय अधिकारी मदरसा प्रबन्धकों से मिल कर केन्द्र सरकार और राज्य सरकार से मिलने वाले करोड़ों रूपये का अनुदान भी खुर्दबुर्द हो रहा हैं, जिसका लेखा-जोखा भी आयोग के समक्ष पेश नहीं किया गया है, खुलासे के डर से अधिकारी सूचना देने से इन्कार कर रहे है। राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने इस प्रकरण को गम्भीरता से लेते हुए डीएम, मुरादाबाद को सम्बन्धित मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट आयोग के समक्ष 30 दिन के अन्दर पेश करने के आदेश दिए है।