गाजियाबाद(26अगस्त2015) राज्यसभा सांसद और जनता दल (यू) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने केन्द्र सरकार के जारी किये गये धार्मिक आंकड़ो पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा है जनता दल (यू)सरकार की इस कोशिश को धार्मिक धुर्वीकरण करने का प्रयास आंकड़े जारी करने से अभी तक सरकार परहेज कर रही है ।
उन्होने कहा कि इस तरह की जातिगत जनगणना की शुरूआत 2011यूपीए लरकार के द्वारा शुरू की गई थी जिसमें सपा, जनता दल (यू), राजद, डीएमके,बीजेपी,के स्व गोपीनाथ मुंडेऔर अन्य दलो ने जाति के आधार पर जनगणना कराने की आवाज उठाई । उन्होने कहा कि तत्कालीन सरकार के अलावा कई दूसरे दलों ने 1931 की तर्ज पर जनगणना की वकालत की थी । मगर वर्तमान की मोदी सरकार सामाजिक ,आर्थिक, और जातिगत जनगणना में जातिगत आंकड़े जारी करने से बचने और घार्मिक आंकड़े जारी करने जैसा चुनावी हथकंडा अपना रही है । जनता दल (यू) सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध करता है क्योकि यह फैसला कमजोर और वंचित वर्ग के हित में नही है ।
उन्होने कहा कि आंकड़े उपलब्ध हो जाने के बावजूद जारी नही किये जाने पर इस मामले संबंधित मंत्री वीरेन्द्र सिंह का कहना था कि आंकड़े रजिस्ट्रार जारी करेगा ।जबकि आज बिहार चुनाव से ठीक पहले और गुजरात के पट्टीदार समाज के आन्दोलन के मौके पर जारी किये गये इन धार्मिक आंकड़ो से सांप्रदायिक्ता की बू आरही है । केसी त्यागी ने कहा कि जो आंकड़े जनचा और समाज हित में हैं। उनको सरकार छिपा रही है जबकि इस जनगमना सर्वेक्षण के दौरान धार्मिक आंकड़ो का कहीं जिक्र नहीं था इसजनगणना सर्वेक्षण में केवल जातिगत आर्थिक सर्वेक्षण कर ये पता लगाया जाना था, कि किस समाज के किस वर्ग को जनकल्याण की योजना का लाभ मिल रहा है।
उन्होने कहा कि जनगणना के द्वारा देश के हर क्षेत्र समुदाय,जाति,और लोगो की आर्थिक स्थिति तथा विकास की जानकारी मिलती है। जबकि सरकार के जातिगत आंकड़े ना जारी करना और धार्मिक आंकड़े जारी करने से पिछड़े वर्गो के विकास में बाधा ही उत्पन्न होगी।
केसी त्यागी का कहना है कि लिए जनता दल (यू) केन्द्र सरकार के पिछड़े और दलित वर्ग के विरोध और सांप्रदायिक्ता को बढ़ावा देने वाले इस रवैये की कड़े शब्दो में आलोचना करता है। साथ ही उन्होने जातिगत आंकड़े जारी कराए जाने की मांग की है ।