नई दिल्ली(17अगस्त2015)- बैंको के डी-नेश्नलाइज़ेशन के खिलाफ जनता दल यू ने अपनी नाराज़गी का इज़हार किया है। जनता दल यू के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव और प्रवक्ता केसी त्यागी ने बैंकों के विराष्ट्रीयकरण के प्रयासों का विरोध किया है। केसी त्यागी ने चेतावनी दी है कि बैंकों का विराष्ट्रीयकरण नहीं होने दिया जाएगा।
सोमवार को जारी एक बयान में श्री त्यागी ने कहा है कि वर्ष 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद पहली बार ऐसा हो रहा रहा है कि जब सार्वजनिक बैंकों के संचालन में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को शामिल किया गया है। यह कदम अब तक की नीतियों में सबसे बडा बदलाव है। इस बदलाव के तहत बैंकों के डायरेक्टर्स एवं नॉन एक्ज्यूक्यूटिव चेयरमेन का चयन करने वाली समिति की जगह नव निर्मित बैंक बोर्ड को प्रभावी बनाया गया है। नई नीति में निजी क्षेत्र के लोगों का जमावडा है। नई नीतियों का बैंकों से जुडी तमाम यूनियनों के लोग विरोध करते आ रहे हैं। चूंकि इस नीति के तहत बडे उद्योगपतियों को ही लाभ मिलेगा। बडे उद्यमियों को बैंकों का छह लाख करोड का एनपीए का बकाया है। जिसका भुगतान वित्त मंत्रालय की चेतावनी के बावजूद नहीं हो सका है। इस दिशा में कानून मजबूत नहीं होने के कारण लोन वापिस नहीं हो पा रहे है। श्री त्यागी ने अपने वक्तव्य में कहा है कि बैंकों की यूनियन लंबे समय से मांग करती आ रही हैं कि सीएमडी की नियुक्ति की जाए चूंकि निजी क्षेत्र के निवेशकों की भागीदारी बढकर 49 प्रतिशत हो गई है।