नई दिल्ली(11अगस्त2015)- मंगलवार को राज्यसभा में सरकार द्वारा जीएसटी बिल पेश किया गया। लेकिन भारी हंगामे की वजह से इस पर कोई बहस नहीं हो सकी। इसके बाद सदन की कार्रवाई को पूरे दिन के लिए स्थगित करना पड़ गया। कांग्रेस के सांसदों ने सोमवार को भी हाथों में काली पट्टी बांधकर सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। हंगामे की वजह से पहले भी राज्यसभा की कार्यवाही को दो बार स्थगित करना पड़ा था। कांग्रेस और बीजेपी ने अपने सांसदों को सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया था। उधर लोकसभा में ललित मोदी पर नियम 193 के तहत सोमवार को चर्चा होनी थी। लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही विपक्ष ने भाषणबाजी बंद करो के नारे लगाए और हंगामा भी किया। जिस पर वैंकेया नायडू ने कहा कि सुषमा के बहाने कांग्रेस जीएसटी बिल को रुकवाना चाहती है। जबकि कांग्रेस के नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार हैं।
कांग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने आरोप लगाया कि सदन में गतिरोध का कारण प्रधानमंत्री का अहंकार है। उन्होंने कभी इस विपक्ष को गंभीरता से नहीं लिया है। उन्होने बीजेपी से पूछा कि क्या वह उसके लिए माफी मांगेगी जो बीजेपी ने पिछले पांच वर्षों में विपक्ष में रहते हुए किया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष में रहते हुए उसने सदन को चलने नहीं दिया और जीएसटी का विरोध लगातार पांच साल तक बीजेपी ने ही किया था। उन्होने कहा कि कांग्रेस जीएसटी के समर्थन में हैं, लेकिन प्रश्न जीएसटी का नही हैं। बीएसी में जीएसटी पर कुछ बताया ही नहीं गया है। जवाब में नितिन गडकरी ने कहा कि ये बड़े दुर्भाग्य की बात है कि कांग्रेस लोकतंत्र के मंदिर का मजाक उड़ा रही है। इसके पीछे उनकी भावना यही है कि हम तो डूबेंगे सनम, लेकिन तुम्हें भी ले डूबेंगे। कांग्रेस द्वारा लोकसभा में हंगामा किए जाने पर केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू ने तंज भी कसा। उन्होंने कहा कि काग्रेस नहीं चाहती है कि जो वह सत्ता में वर्षों तक रहकर नहीं कर सकी वह भला हम कैसे करें। सदन में हंगामा बढ़ते देख अध्यक्ष ने कार्यवाही को स्थगित कर दिया।
इससे पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस से अपील की कि वह सदन को चलाने में मदद करें।
लगातार सदन में हो रहे शोर-शराबे की वजह से सदन की कार्रवाई बाधित हो रही है। इससे नाराज सपा, एनसीपी समेत कुछ अन्य दलों ने सोमवार को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से मुलाकात की और अपनी राय रखी थी। सपा ने कहा था कि वे चाहते हैं कि सदन सुचारू रूप से चले और यदि कांग्रेस हंगामा करती है तो वह उसका साथ नहीं देंगे। उधर मानसून सत्र में अब सिर्फ तीन दिन ही बाकी बचे हैं। ऐसे में सरकार कुछ जरूरी बिलों को दोनों सदनों में पास करवाने की कोशिश में है।