नई दिल्ली(4 जुलाई 2015)- अजमेर ब्लास्ट मामले की जांच और इस मामले मे कई गंभीर सवालों को लेकर स्वराज अभियान ने बीजेपी सरकार और जांच ऐजेंसियों की मंशा पर सवाल उठाए हैं। स्वराज अभियान का मानना है कि अजमेर धमाके की जांच और कार्रवाई के सिलसिले में फिलहाल जो तथ्य सामने आ रहे हैं वो बेहद गंभीर हैं। स्वराज अभियन का आरोप है कि अजमेर धमाके के 14 मुख्य गवाहों का अपने बयानों से पलटना और उनमें अधिकतर का आरएसएस से संबध होना भी जांच का विषय है। इतना ही नहीं स्वराज अभियान ने सवाल उठाया है कि आख़िर क्या वजह है कि अजमेर धमाके के एक मुख्य गवाह रणधीर सिंह ने न सिर्फ बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की, बल्कि उसको झारखंड की नवगठित सरकार में मंत्री तक बना दिया गया है।
हम आपको याद दिला दें कि अजमेर ब्लास्ट जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी और 17 लोग घायल हुए थे। इस मामले की जांच 2011 में नेश्नल इंवेस्टिगेशन ऐजेंसी यानि एनआईए को सौंपी गई थी। स्वराज अभियान द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज़ के मुताबिक़ पब्लिक प्रोसिक्यूटर अश्वनी शर्मा से मिली जानकारी से पता चला है कि अजमेर धमाके 14 गवाह एंटी टैरारिस्ट स्क्वाड यानि एटीएस और सीआरपीसी के 164 सैक्शन के तहत मजिस्ट्रेट सामने रिकार्ड कराए गये अपने बयानों से पलट गये हैं। ये बयान साल 2010 मे रिकार्ड कराए गये थे।
स्वराज अभियान ने ठीक इसी तरह मालेगांव धमाकों के मामले में भी सरकार के इसी तरह के रवय्ये की पुर ज़ोर मुख़ालिफ़त की है। स्वराज अभियान का कहना है कि मालेगांव धमाकों के जांच की सुनवाई के दौरान स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर रोहिणी सलिन ने ख़ुद को आरोपियों के प्रति नरम रुख रखने की हिदायतों के बारे मे आवाज़ उठाई है। स्वराज अभियान ने समाज के प्रति नफरत और गंभीर अपराधों के आरोपियों का इस तरह बचाने की कोशिश को लेकर मोदी सरकार की कोशिशों का विरोध किया है और कहा कि इस तरह के अपराधियों को बचाया जाना गंभीर और शर्मनाक है।
स्वराज अभियान के सह संस्थापक प्रशांत भूषण ने अपने एक ट्वीट में संघ परिवार से जुड़े आंतक के मामलों में आरोपियों के प्रति सरकार के रुख और आंतकियों के प्रति नरमी पर विरोध ज़ाहिर किया है। उन्होने मालेगांव धामकों के बाद एसएसपी को भगवा आरोपियों के प्रति नरम रहने की हिदायत दिया जाना, अजमेर धमाकों के मुख्य गवाहों का हॉस्टाइल हो जाने पर बीजेपी द्वारा संघ परिवार के आंतकियों की मदद करने का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि आख़िर क्या वजह है कि अजमेर धमाकों के मामले में गवाही से मुकरने वाले को मंत्री बना दिया गया है। प्रशांत भूषण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि अगर उनको गुजरात दंगो में हज़ारों मुस्लिमों के क़त्ल के मामले अपनी छवि को दोबारा धूमिल होने से बचाना है तो इस मामले में हस्तक्षेप करके ठीक तरीके से जांच कराएं। साथ ही उन्होने कहा कि ये मामला इतना गंभीर है कि सुप्रीमकोर्ट को खुद इस मामले का संज्ञान लेकर पूरे मामले पर नज़र रखे।