ग़ाज़ियाबाद (1 जुलाई 2022)- भारतीय सेना के जांबाज सिपाही शहीद वीर अब्दुल हमीद साहब जी की 89वी जयन्ती मौ. जाकिर अली सैफी के नेतृत्व मे क्षेत्र के लोगों के साथ क्षेत्रीय कार्यालय जस्सीपुरा पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर मनायी गयी। इस मौके पर कार्यकारिणी सदस्य व पार्षद वार्ड सं-95 मौ. जाकिर अली सैफी ने सम्बोधन मे कहा कि वीर अब्दुल हमीद साहब का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गाँव में 01 जुलाई 1933 में एक साधारण, परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम सकीना बेगम और पिता का नाम मोहम्मद उस्मान था। अब्दुल हमीद 27 दिसम्बर 1954 को भारतीय सेना के ग्रेनेडियर रेजीमेंट में भर्ती हुए। बाद में उनकी तैनाती रेजीमेंट के 4 ग्रेनेडियर बटालियन में हुई जहां उन्होंने अपने सैन्य सेवा काल तक अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने अपनी इस बटालियन के साथ आगरा, अमृतसर, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, नेफा और रामगढ़ में भारतीय सेना को अपनी सेवाएं दीं। भारत-चीन युद्ध के दौरान अब्दुल हमीद की बटालियन सातवीं इंफैन्ट्री ब्रिगेड का हिस्सा थी जिसने ब्रिगेडियर जॉन दलवी के नेतृत्व में नमका-छू के युद्ध में पीपल्स लिबरेशन आर्मी से लोहा लिया। भारत में अस्थिरता उत्पन्न करने और शासन-व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह भड़काने की अपनी योजना ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ के तहत पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सीमा में जम्मू-कश्मीर में लगातार घुसपैठ करने की गतिविधियां शुरू कर दीं। 5 से 10 अगस्त 1965 के बीच भारतीय सेना ने भारी तादाद में पाकिस्तानी नागरिकों के घुसपैठ को उजागर किया। पकड़े गए घुसपैठियों से मिले दस्तावेजों के जरिए इस बात के पुख्ता सबूत मिले कि पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जा करने के लिए गुरिल्ला हमले की योजना बनाई थी। पाकिस्तान अपनी इस योजना को अंजाम देने के लिए 30,000 छापामार हमलावरों को इस खास उद्देश्य के लिए प्रशिक्षित किया था। 8 सितम्बर 1965 की रात में, पाकिस्तान द्वारा भारत पर हमला करने पर, उस हमले का जवाव देने के लिए भारतीय सेना के जवान उनका मुकाबला करने को खड़े हो गए। वीर अब्दुल हमीद पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरण सेक्टर में सेना की अग्रिम पंक्ति में तैनात थे। पाकिस्तान ने उस समय के अपराजेय माने जाने वाले “अमेरिकन पैटन टैंकों” के साथ, “खेम करन” सेक्टर के “असल उताड़” गाँव पर हमला कर दिया, भारतीय सैनिकों के पास न तो टैंक थे और नहीं बड़े हथियार लेकिन उनके पास था भारत माता की रक्षा के लिए लड़ते हुए मर जाने का हौसला। भारतीय सैनिक अपनी साधारण “थ्री नॉट थ्री रायफल” और एल.एम्.जी. के साथ पैटन टैंकों का सामना करने लगे। अब्दुल हमीद के पास “गन माउनटेड जीप” थी जो पैटन टैंकों के सामने मात्र एक खिलौने के सामान थी। अब्दुल हमीद ने अपनी जीप में बैठ कर अपनी गन से पैटन टैंकों के कमजोर अंगों पर एकदम सटीक निशाना लगाकर एक -एक कर धवस्त करना प्रारम्भ कर दिया। उनको ऐसा करते देख अन्य सैनिकों का भी हौसला बढ़ गया और देखते ही देखते पाकिस्तान फ़ौज में भगदड़ मच गई। अब्दुल हमीद ने अपनी “गन माउनटेड जीप” से सात पाकिस्तानी पैटन टैंकों को नष्ट किया था। देखते ही देखते भारत का “असल उताड़” गाँव “पाकिस्तानी पैटन टैंकों” की कब्रगाह बन गया। लेकिन भागते हुए पाकिस्तानियों का पीछा करते अब्दुल हमीद की जीप पर एक गोला गिर जाने से वे बुरी तरह से घायल हो गए, उनके स्वर्ग सिधारने की आधिकारिक घोषणा 10 सितम्बर को की गई थी। 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान खेमकरण सैक्टर के आसल उत्ताड़ में लड़े गए युद्ध में अद्भुत वीरता का प्रदर्शन करते हुए अब्दुल हमीद साहब ने वीरगति प्राप्त की जिसके लिए उन्हें मरणोपरान्त भारत का सर्वोच्च सेना पुरस्कार परमवीर चक्र मिला। इस युद्ध में साधारण “गन माउनटेड जीप” के हाथों हुई “पैटन टैंकों” की बर्बादी को देखते हुए अमेरिका में पैटन टैंकों के डिजाइन को लेकर पुन: समीक्षा करनी पड़ी थी। इस तरह देश के लिए शहीद हुए वीर अब्दुल हमीद साहब युवाओ के लिए प्रेरणा बन गए । कार्यक्रम मे रमीज़ राजा, सैय्यद समीर अली, शाहनवाज खान, कपिल शर्मा, विनायक खन्ना, साजिद चौधरी , शाहरुख सैफी, साबिर सैफी, नौमान सैफी, महराज कुरैसी , राजीव बत्रा, नासिर चौधरी, फैसल, शाकिर, वाहिद, मोमिन, नासिर चौधरी, शादाब चौधरी, समीर सलमानी, अंकुश शर्मा, साजिद अहमद, शौकता अली, सकील सैफी, शाहनवाज खान, नितिन अरोड़ा, सब्बीर सैफी, हनीफ मलिक, इनायत अली,सब्बीर शौकीन, जाहिद चौधरी, साजिद, शदाब चौधरी, आकरम कुरैशी, मुस्तफ़ा कुरैशी, सोनू, आदि लोग मौजूद रहे ।
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