क्या राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अशोक गहलोत से घबराते हैं…क्या कांग्रेस के सर्वेसरवा राहुल और प्रियंका, लॉकडॉउन में मजदूरों को लाने के लिए दी गई बसों के नाम पर स्कूटर और बाइक्स की लिस्ट थमाने वाले अशोक गहलोत से डरते हैं ..या जैसे सचिन पायलट पिछले राजस्थान विधानसभा चुनाव में अच्छी परमार्मेंस के बावजूद कई साल से अशोक गहलोत के सामने बेबस साबित हुए ऐसे ही कहीं कांग्रेस के रिमोट माने जाने वाले राहुल प्रियंका भी अशोक गहलोत के आगे मिमियाने लगते हैं….या फिर क्या राहुल गांधा जी और प्रियंका गांधी वाडरा जी इन दिनों छुट्टी पर हैं…क्या राहुल जी प्रियंका जी आजकल टीवी न्यूज या अख़बार नहीं देख रहे…क्या कांग्रेस के सर्टिफाइट भविष्य भाई जी और दीदी के सलाहकार उन तक देश की ख़बरों को पहुंचने नहीं दे रहे.. या फिर सबसे बड़ा सवाल कि क्या कांग्रेस को अब अल्पसंख्यक, सिख दलितों और मुस्लिम वोटरों की ज़रूरत ही नहीं रह गई है…. ये सवाल इसिलए कि कांग्रेसी सीएम अशोक गहलोत की कमान में शासित राज्य राजस्थान के करोली में न सिर्फ सांप्रदायिक दंगा हुआ बल्कि पुलिस ने जो कार्रवाई की वो भी सबने देखी। आज हम ये सवाल नहीं कर रहे कि किस समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया और किस समुदाय को मरहम के बजाय उल्टा प्रताड़ित किया गया। और हां आज हम न तो कांग्रेस के शासन काल में बाबरी मस्जिद में मूर्तियां रखवाने, मस्जिद में नमाज को बंद करने, मस्जिद मे पूजा शरु करवाने से लेकर 1992 में सुप्रीमकोर्ट के आदेशों के बावजूद बाबरी मस्जिद को गिराने तक के कांग्रेसी खेल का जिक्र करना चाहते हैं और न ही कांग्रेस शासन काल में असम के नीली नरसंहार जिसमें सरकारी तौर पर लगभग 3 हजार और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 5 हजार से ज्यादा लोगों को सरेआम मौत के घाट उतार दिया गया की चर्चा करना चाहते हैं और न ही आज हम कांग्रेस के राज में मुरादाबाद में ईद के दिन नमाज के दौरान ईदगाह को चारों तऱफ से घेरकर पुलिस की गोलीबारी से सैंकड़ों नमाजियों को मौत के घाट उतारे जाने का दर्द बयां करना चाहते हैं, न ही आज हम 1994 में भारत की सड़कों पर अल्पसंख्यक सिखों के साथ हुए अमानवीय नरसंहार और हजारों बेबस, निहत्थे सिख परिवारों के दर्द को याद दिलाना चाहते हैं। न ही आज हम इन्ही राहुल प्रियंका के परिवार की कथित बपौती कांग्रेस शासन में मेऱठ, मलियाना हाशिम पुरा, जमशेदपुर आदि में हुए सैकंड़ों नरसंहारों का रोना रोना चाहते हैं। आज तो हम सिर्फ ये याद दिलाना चाहते हैं कुछ ही दिन पहले यूपी चुनाव से ठीक पहले लखीमपुर के मामले पर विलाप करने वाले राहुल भय्या व प्रिंयका दीदी भले ही हाथरस रेप कांड पर हमदर्दी का टोकरा सिर पर रखे नाचते रहे..भले आगरा में थाने में लाखों की चोरी के आरोप के मामले पुलिस हिरासत में मारे गये युवक के परिजनों से मिलने के लिए यूपी पुलिस और सीएम योगी तक से भिड़ने वाली प्रियंका और राहुल गांधी को कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार में करोली हुई हिंसा और पुलिस प्रशासन की नाकमी पर वहां जाने या पीड़ितों से मिलने हिम्मत क्यों नहीं हुई। क्या राहुल प्रियंका को सिर्फ उन्ही राज्यों में आवाज़ उठाने का शौक़ जहां उनकी सरकार न हो। तो चलिए राहुल जी और प्रिंयका जी ज़रा मध्य प्रदेश ही चले जाते जहां खरगौन जैसी वारदातों से देश शर्मिंदा हुआ है। ये हम नहीं कह रहे कि ज़ुल्म किसके साथ हुआ लेकिन इसाफ और निश्पक्ष जांच की मांग तो आप कर ही सकते थे…जी क्या कहा इन दिनों आप सिर्फ दलित हमदर्दी में जुटे हैं…
ओह कोई बात नहीं आपको वोट बैंक की तलाश है..लेकिन ये इतना आसान भी नहीं क्योंकि आज़ादी से आज तक देशभर में दलितों के साथ जितना जुल्म कांग्रेश शासन में हुआ उसका रिकार्ड किसी से छिपा नहीं…और खुद दलितों की बड़ी नेता आपके बारे में क्या कहती हैं वो भी सुन लीजिए..
और हां राहुल जी ये बात सच है कि आप देश की जनता को केवल बहलाना चाहते हैं कहानियां सुनाना चाहते हैं….
लेकिन सच ये भी है कि आप खुद तय नहीं कर पाते कि आप चाहते क्या हो…शायद आप न अल्पसंख्यक के लिए वफादार हैं और नहीं बहुसंख्यकों के साथ…
बहरहाल देश को फिलहाल वोट बैंक के दम पर राजनीति करने वाले नेताओं की जरूरत नहीं बल्कि ऐसे किसी रहनुमा की ज़रूरत है जो कि मौजूदा हालत और भविष्य के बिगड़े हालात को समझते हुए देश की जनता को सही राह दिखा सके…और हां राहुल जी ये आप भी हो सकते हो बस शर्त ये है कि अपने फर्जी सलाहकार मंडल से बाहर निकलकर अपनी समझ और सही राय पर अमल करना शुरु कर दें। और हां आपकी कांग्रेस शासित राजस्थान के करोली में वही सब कुछ हुआ है जो कभी आपके शासन में सिख भाइयों के साथ हुआ, अल्पसख्यकों के साथ हुआ। लेकिन आप इस पर अगर भेदभाव के साथ रीएक्ट करेंगे तो कांग्रेस मुक्त भारत बनाने के लिए किसी विरधी की नहीं बल्कि आपकी खामोशी ही काफी होगा।
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