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गाजियाबाद (5 जनवरी 2022)-
-तो क्या केवल अवैध उगाही और डग्गामार वाहनों से कमाई के ही आरोप थे, पुराना बस अड्डा चौकी इंचार्ज और अन्य पुलिस कर्मियों पर?
-क्या केवल अवैध उगाही, पुराना बस स्टैंड चौकी इंचार्ज और चौकी के ही लोगों तक ही सीमित थी?
-क्या पुराना बस स्टैंड चौकी पर होने वाली कथित अवैध उगाही, थाने स्तर पर बंटवारे या प्रभारी के संज्ञान और संरक्षण के बगैर ही चल रही थी?
-क्या थाना प्रभारी को गुमराह करते हुए उनके आशीर्वाद के बगैर भी किसी चौकी पर अवैध उगाही की जा सकती है?
-क्या पुराना बस अड्डा चौकी इंचार्ज और कई पुलिसकर्मियों पर अवैध उगाही के आरोप किसी जाति विशेष के अधिकारी को बचाने या किसी जाति विशेष के छोटे अधिकारी की बलि दिये जाने का मामला तो नहीं?
-इसके अलावा क्या बस अड्डा चौकी क्षेत्र में शहर के व्यस्तम बाज़ार में 22 दिसंबर को दिनदहाड़े कार का शीशा तोड़कर दो छात्रों के लाखों रुपए के लैपटाप चोरी का मामले सहित कुछ अन्य मामलों में कथित लापरवाही भी पुराना बस अड्डा चौकी पर गाज गिरने की वजह तो नहीं बन गया है?
सवाल कई हैं, हांलाकि फिलहाल कहा तो यही जा रहा है कि एसएसपी गाजियाबाद की जांच के दौरान पुराना बस अड्डा चौकी इंचार्ज और कई पुलिसकर्मियों द्वारा डग्गामार वाहनों से उगाही और उसके लालच में जनता से जुड़े मामलों की अनदेखी ही गाजियाबाद पुलिस कप्तान द्वारा सख्त कार्रवाई की वजह बनी है। कई गंभीर सवाल हैं, आइए लेते हैं पूरे मामले का जायजा।
पिछले साल के आख़िरी महीने के अंतिम सप्ताह और 25 तारीख़ को लेकर जहां ग़ाज़ियाबाद पुलिस बेहद व्यस्त और दबाव में थी, वहीं कुछ अपराधी और चोर उचक्के पुलिस की व्यस्तता का फायदा उठाते हुए अपने आसान टारगेट की तलाश में थे। एक तरफ तो प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गाजियाबाद आगमन और रैली की तैयारियों में पूरे जनपद की पुलिस हलकान हो रही थी, वहीं सरेआम बाजार और शहर के कई इलाक़ों में चोरों के हौंसले बुंलद थे। हालात इतने बेक़ाबू हो गये थे, कि कोई दिन ऐसा नहीं जा रहा था कि जब किसी न किसी बाजार और इलाके में चोरों और अपराधियों का शिकार कोई नागरिक न बना हो। एक तरफ तो सूबे के मुखिया की रैली को लेकर पुलिस के छोटे से बड़े अफसर तक रात-दिन एक किये हुए थे, दूसरी तरफ पुराना बस अड्डा चौकी से चंद क़दम की दूरी पर, कार चोर गैंग बीच बाजार, दिन दहाड़े कार का शीशा तोड़कर दो छात्रों के लैपटाप व कई कीमती सामान चोर ले उड़ा। बीआर्क फाइनल ईयर के दोनों छात्रों का प्रोफेश्नल लैपटाप क़ीमत के लिहाज़ से तो महंगा था ही, लेकिन उनमें, उनके पांच साल की मेहनत और अगले ही दिन से होने वाले फाइनल एग्ज़ाम की तैयारी के दस्तावेज़ व कई महत्वपूर्ण रिकार्ड थे। छात्रों ने तुंरत पुलिस की कथित तेज़ तर्रार 112 नंबर पर कॉल की, जिसके कुछ देर बाद पुलिस मौका ए वारदात पर आई तो ज़रूर, लेकिन स्पॉट पर लगे सीसीटीवी खंगालने या किसी संदिग्ध की तलाश या कोई पुलिसिया कार्रवाई करने के बजाय, सिहानी गेट थाने जाकर रिपोर्ट लिखवाने की सलाह देकर वापस चली गई।
दोपहर की इस वारदात की सूचना प्रदेश के डीजीपी गाजियाबाद के एसएसपी समेत कई महत्वपूर्ण अधिकारियों को भी दिये जाने के बावजूद लगभग 6 घंटे बाद एफआईआर लिखी जा सकी। लेकिन चूंकि जनता की सुरक्षा और अपराध को नियंत्रित करने के लिए बनाई पुलिस, जनता के सेवक के स्वागत में बेहद व्यस्त थी, इसलिए पीड़ित छात्रों को तसल्लीबख्श आश्वासन भी देने की स्थिति में गाजियाबाद के सिहानी थाने की पुलिस नहीं थी।
लेकिन जैसे तैसे मुख्यमंत्री महोदय की कामयाब रैली संपन्न कराकर पुलिस ने राहत की सांस ली तो, पुलिस को अभीतक तेज़ तर्रार और अपने लिए राहत मानने वाले छात्रों ने सिहानी गेट थाना प्रभारी ठाकुर देवपाल पुंडीर जी और चौकी इंचार्ज श्री पम्मी चौधरी जी से मदद की उम्मीद जताई। लेकिन सच्चाई ये थी (जोकि भले ही फिलहाल छात्र न समझ पा रहे हों) लेकिन पुलिस जानती थी, कि कई दिन तक लगातार लापरवाही करने और अपराधियों को लैपटाप ठिकाने लगाने का मौका देने का नतीजा क्या होंगा। इसलिए महज लीपापोती और कार्रवाई के नाम पर पांच-छह दिन बाद बताया गया कि नवयुग मार्केट में घटना स्थल पर लगे सीसीटीवी कैमराज़ भी खराब पड़े हैं, वैसे हम लोग गैंग को गंभीरता से ट्रेस कर रहे हैं। बहरहाल इस बीच इस पीड़ित छात्रों ने अपने साथ हुई वारदात को लेकर गाजियाबाद के एसएसपी, प्रदेश के डीजीपी, प्रदेश के मुखिया, पीएमओ, गृहमंत्रालय से लेकर राष्ट्रपति महोदय तक को अवगत करा दिया, क्योंकि देश की वर्तमान व्यवस्था में किसी भी पीड़ा के लिए इनके अलावा और इनसे ऊपर कोई विंडो मौजूद भी नहीं थी।
वैसे इस दौरान जनपद के कई दूसरे इलाकों में भी कार का शीशा तोड़ गैंग सक्रिय रहा और लगातार लाखों रुपए लूटने और पुलिस के भरोसे पर जी रही जनता को निशाना बनाए जाने की कई वारदातें सामने आतीं रहीं। इतना ही नहीं, कुछ अन्य मामलों में भी पुलिस द्वारा सही कार्रवाई न करने से मायूस होकर एसएसपी कार्यालय में शिकायतकर्ताओं द्वारा हंगामा करने और आत्मदाह तक की कोशिश की गई। जिसके बाद ग़ाजियाबाद के पुलिस कप्तान ने मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच और एक्शन लेने का मन बना लिया था।
इस बीच पीड़ित परिवार ने जब गाजियाबाद के एसएसपी महोदय से गुहार लगाई तो उन्होंने बेहद ज़िम्मेदारी और गंभीरता से कार्रवाई का न सिर्फ आश्वासन दिया बल्कि अपने मातहतों को निर्देशित भी किया। इतना ही नहीं दिल्ली एनसीआर और नोएडा में कार शीशा तोड़ गैंग की वारदातों और उनकी गिरफ्तारी पर नज़र बनानी शुरु की, जिसके बाद नोएडा के सैक्टर 49 में 8 लैपटाप और कीमती मोबाइल फोन के साथ पकड़े गये कई लोगों से पूछताछ के लिए टीम को निर्देशित भी किया। लेकिन चूंकि जो लोग डग्गामार वाहनों और कई तरह के अपराधिक लोगों से उगाही मे व्यस्त थे उनको शायद न तो अपने फर्ज का एहसास न हो सका और न ही जनता की पीड़ा का।
बहरहाल एक ज़िम्मेदार और जागरुक कप्तान का रोल अदा करते हुए गाजियाबाद के एसएसपी ने, न सिर्फ पुराने बस स्टैंड चौकी इंचार्ज और कई पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त एक्शन ले लिया है, बल्कि ये भी मैसेज दे दिया है कि आइंदा वर्दी पर लगने वाले दाग बर्दाश्त नहीं किये जाएंगे। हालांकि फिलहाल कहा यही जा रहा है कि मामला अवैध उगाही का है लेकिन किससे..? क्या सिर्फ प्रदेश सरकार को करोड़ों की चपट लगाने वाले डग्गामार वाहनों से या फिर इलाक़े के हैबिचुअल क्रिमिनल्स और गैंग्स से..? बहरहाल कप्तान न जांच शुरु करा दी है। हो सकता है इस बार कोई ठोस नतीजा भी सामने आ जाए।
लेकिन सवाल तो ये पैदा होता है कि क्या किसी भी कथित अवैध उगाही या अनियमित्ता के लिए केवल चौकी इंचार्ज या नीचे के पुलिसकर्मी ही ज़िम्मेदार होते हैं, या फिर ये बगैर अपने थाना प्रभारी को बताए भी निचले लोग कथिततौर पर सारा माल डकार सकते हैं? या फिर हाल ही में किसानों के आंदोलन के बाद कुछ लोगों के लिए किरकिरी बन चुके कुछ जाति विशेष के लोगों की तरह पुराना बस अड्डा चौकी इंचार्ज पम्मी चौधरी बलि का बकरा बनाए गये हैं, या फिर कथिततौर पर किसी चहेती जाति विशेष के किसी अफसर के खिलाफ फिलहाल कोई सबूत हाथ नहीं लग सका है?
वैसे आने वाले विधानसभा चुनावों में जनता के मन में एक सवाल तो ज़रूर रहेगा कि पुलिस जनता की सुरक्षा और अपराध को काबू करने के लिए है, या फिर किसी जनसेवक के कथित स्वागत के लिए जनता की सुनवाई से मुंह मोड़ने के लिए?
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