बीजेपी से घबराकर जनता के मुद्दों से क्यों भाग रही है कांग्रेस
कांग्रेस का एक नया शगूफा
क्या अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ने वाले उस समय के नेता या स्वतंत्रता सैनानी बिना काडर के या बिना जमीन पर काम किये ही कामयाब हो गये। क्या किसी भी देश की जनता बिना किसी काडर बेस लीडर के खुद ब खुद किसी भी आंदोलन में कूद जाती है क्या किसी भी आंदोलन को किसी भी नेतृत्व या काडर बेस लीडर के दिशाहीन जनता कामयाब कर सकती है क्या गांधी जी, खान अब्लुगफ्फार खान, नेहरू जी या मौलाना आजाद अगर काडर बेस या जमीनी नेता न होकर सिर्फ जनता को घर बैठे आजादी की अहमियत बताते तो क्या जनता खुद ब खुद अंग्रेजों से देश को मुक्त करा पाती। शायद नहीं। लेकिन सुनिए क्या कह रहे हैं कांग्रेस के एक लीडर।
इसके अलावा क्या कांग्रेस पार्टी बिना कॉडर की पार्टी है। क्या बिना काडर के कोई पार्टी अपना वजूद बचा सकती है। क्या कांग्रेस में कभी काडर नहीं रहा। क्या गांधी जी, नेहरू जी, इंदिरा जी और राजीव जी ने काडर के लिए कांग्रेस सेवादल को न सिर्फ प्रमोट किया बल्कि उसकी अहमियत को भी नहीं समझा था। क्या बिना बूथ कार्यकर्ता और जमीनी वर्कर के कोई पार्टी राजनीति में बनी रह सकती है। दरअसल ये सभी सवाल एक प्रेस कांफ्रेस के दौरान कांग्रेस के सीनियर लीडर पवन खेड़ा जी के द्वारा यह कहे जाने पर कि हमें काडर की जरूरत नहीं है बल्कि हमें मुद्दे की जरूरत है।
तो पवन जी आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि आप जैसे ही कुछ लोगों ने कांग्रेस की न सिर्फ नय्या डुबोई है बल्कि आज भी कांग्रेस के नेतृत्व को सही दिशा पाने से रोका जा रहा है। कौन कहता है कि मौजूदा समय मे कांग्रेस के पास मुद्दे नहीं है, मुद्दों की भरमार है लेकिन नहीं है तो काडर नहीं है कार्यकर्ता नहीं है।
जबकि अगर बात बीजेपी की करें तो पैट्रोल के नाम पर या फिर मंहगाई के नाम पर या फिर करप्शन के नाम पर मनमोहन सिंह सरकार को महज अपने काडर के दम पर न सिर्फ धराशाई कर दिया था।
बल्कि आज तक कांग्रेस न तो टू जी पर न ही कोल ब्लाक न बीजेपी को जवाब तक नहीं दे पाई है बल्कि आज जबकि पैट्रोल मंहगाई जैसे कई मुद्दे उसके सामने हैं लेकिन पवन जी जैसे डिबेटी नेता वर्कर को अपमानित करते रहेंगे तो पार्टी ऐसे ही हाशिये पर पड़ी रहेगी।
बेहद बचकाना बयान है कि हमें काडर की ज़रूरत नहीं है। उधर आज की कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेस में पीएम द्वारा आंदोलन जीवी जैसी लूज बाल पर बात होनी थी लेकिन कांग्रेस के रणनीतिकारों ने स्वीकार किया कि सात साल से न तो हमारे पर सोशियल मीडिया की टीम है न ही हम अभी तक इस पर सोच सकें है।
आज भी हम अगर सोच रहे हैं तो सिर्फ इसलिए कि सैलेब्रिटीज के अकाउंट बंद किये जा रहे हैं।
जबकि आज तो सिर्फ पीएम द्वारा कांग्रेस को जबरन अपनी पिच पर खींचने और लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर में लोकतंत्र को अपमानित करने पर होनी चाहिए थी। पीएम ने कहा कि आंदोलन जीवी।
सवाल ये है कि प्रधानमंत्री किसी पार्टी के नहीं बल्कि देश के होते हैं। और किसी भी लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत आंदोलन ही तो होती है। चाहे बात आजादी की लड़ाई की हो या फिर किसान आंदोलन के दौरान खुद सुप्रीमकोर्ट का यह कहना कि आंदोलन करना हर नागरिक का अधिकार है की मिसाल के बावजूद आखिर आदरणीय प्रधानमंत्री संसद में किसको अपमानित कर रहे थे। हांलाकि अगर पिछली स्व. अटल बिहारी बाजपेयी जी समेत बीजेपी के ही कुछ नेताओं की बातों को याद किया जाए तो प्रधानमंत्री महोदय की बातों का जवाब खुद सामने आ सकता था।
लेकिन शायद आज का दिन बतौर विपक्ष कांग्रेस का था, उसके सामने पीएम ने लूज बाल फेंकी थी, अब शार्ट कांग्रेस को लगाना था, आंदोलन जीवी क्या होता है ये सवाल कांग्रेस को पूछना था लेकिन इसके बजाय उसने बताया कि हम अब लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और इसके लिए हम सोशल मीडिया टीम का गठन कर रहे हैं ये एक राष्ट्रीय पार्टी की त्रास्दी और मानसिक दीवालियेपन का सबूत कहा जा सकता है।
उधर एक उत्साही प्रवक्ता ने कहा कि हमारे वरिष्ठ नेता खड़गे साहब को विजय चौक यानि संसद के सामने धमकी भरी काल आई गालियां दी गईं, तो क्या देश की संसद के पास एक सासंद को धमकाया गया और पांच घंटे बाद तक भी एफआईआर दर्ज नहीं कराने वालों से देश की जनता सवाल नहीं करेगी।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस ने जनता को जोड़ने के नाम पर जो प्लान आज बाकायदा प्रेस कांफ्रेस करके बताया वो उसकी अधिकारिक वेब साइट पर कई साल से पहले ही मौजूद है। चाहे वालिंटियर बनने की बात हो या फिर जुड़ने की बात। जो बातें आज के बड़े मुद्दों से भागते हुए प्रेस कांफ्रेस के दौरान बताईं गईं तो क्या उनको कभी कांग्रेस के आज के इन आयोजकों ने देखा नहीं था। क्या कभी इन लोगों ये देखा कि जो नंबर जो ईमेल कई साल पहले से ही कांग्रेस फ्लेश करती आ रही है वो उठते क्यों नहीं, कितने साल से इन मेल आईडीओं को चेक नहीं किया गया। क्या जनता इस सच्चाई को नहीं जानती होगी। तो ऐसे में भला कांग्रेस के नये शगूफे का भरोसा कौन करेगा। खासतौर से जब कि खुद रणनीतिकार मान रहे हैं कि हम सात साल लेट हैं। हम बीजेपी को सात साल से देख रहे हैं। तो क्या 2019 के चुनावों में भी कांग्रेस बगैर सोशल मीडिया के ही मैदान में थी। #andolanjivi #andolan #parliament_andolan_jivi #andolan_jeevi #oppositionnews #opposition #azadkhalid #newswithazadkhalid