कोस्टार और कथित बाय फ्रेंड सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद चर्चा में आईं रिया चक्रवर्ती को लगभग एक माह तक जेल में रहने के बाद आखिरकार जमानत मिल ही गई है। हांलाकि अभी उनके भाई शोविक की ज़मानत अर्जी खारिज कर दी गई है।
रिया को ज़मानत मिलने पर कुछ मीडिया हाउस खबर चला रहे हैं कि उनको सशर्त जमानत मिल गई है। हम आपको बता दें कि लगभग हर मामले में आरोपी को सशर्त यानि कुछ शर्तों के साथ ही अदालत ज़मानत देती है। दरअसल मीडिया पर सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या या हत्या की गुत्थी के शोर के बीच रिया चक्रवर्ती पर मेन स्ट्रीम के कुछ मीडिया हाउसों ने निशाना साधा था। सुशांत सिंह राजपूत के बारे में कहा जा रहा था कि वो जबरदस्त नशेड़ी यानि ड्रग एडिक्ट थे। जिसके बाद उनकी कथित गर्ल फ्रेंड रिया चक्रवर्ती पर शिकांज कसा गया और जब उनकी काल डिटेल खंगाली गई तो सामने आया ड्रग्स का नैक्सस। जिसके बाद एनसीबी ने पूछताछ के बाद रिया और उनके भाई को गिरफ्तार कर लिया था। हांलाकि इस दौरान कई फिल्मी सितारों के और भी नाम सामने आए और कुछ का खुद रिया ने भी लिया था। लेकिन अब लगभग एक महीने बाद बॉंबे हाईकोर्ट ने रिया चक्रवर्ती को 1 लाख के मुचलके पर जमानत दे दी है। साथ ही रिया चक्रवर्ती को अपना पासपोर्ट भी जमा करना होगा। इसके अलावा अगर रिया को मुंबई से भी बाहर जाना होता तो इसके लिए भी उनको मंजूरी लेनी होगी, और पूछताछ के लिए हमेशा उपलब्ध रहना होगा।
जबकि रिया के भाई शोविक और ड्रग पेडलर के आरोप में पकड़े गये बासित परिहार की बेल कोर्ट ने रिजेक्ट कर दी है। उधर कोर्ट ने सुशांत के स्टाफ मैनेजर सैमुअल मिरांडा को भी जमानत दे दी है। मीडिया रिपोर्टस् के मुताबिक एनसीबी का कहना है कि कोर्ट ने जिनको बेल दी है उनके खिलाफ अपील की जाएगी।
उधऱ मीडिया रिपोर्ट्स में भी कहा जा रहा है कि सुशांत सिंह राजपूत के परिजनों ने सुशांत के बैंक खाते से करोड़ों रुपये के निकाले जाने के जो आरोप लगाए थे वो भी साबित नहीं हो पाए हैं। बहरहाल सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या के बाद देश के कुछ मीडिया हाउसों ने जिस तरह की पत्रकारिता की और माहौल बनाया उस सबको देखते हुए यही लग रहा है कि उनका ऐजेंडा कुछ और ही था।
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उधर चर्चा है कि हाथरस कांड के बाद बीएसपी प्रमुख बहन मायावती के रुख से जाटव समाज कथिततौर पर नाराज है, जिसके बाद आगरा में विरोध प्रदर्शन की चर्चा है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश के आगरा में जाटव समाज के लोग बीएसपी प्रमुख मायावती से नाराज बताए जा रहे हैं। दरअसल लोगों की नाराजगी का कारण हाथरस कांड है। कहा जा रहा है कि जाटव समाज में इस बात को लेकर बेहद नाराजगी है कि मायावती ने हाथरस प्रकरण में पीड़ित परिवार से अब तक मुलाकात नहीं की है। समाज को शिकायत है कि केवल ट्वीट करके समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर ली है।
खबर है कि बीएसपी प्रमुख बहन मायावती के रूख से नाराज समाज के लोगो ने जगदीशपुरा थाना क्षेत्र में स्थित अम्बेडकर पार्क में जोरदार प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं प्रदर्शन के दौरान लोगों ने गुस्से का इजहार किया और मायावती के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई।
आक्रोशित लोगों का कहना है कि बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने दलित समाज के साथ धोखा किया है। हम आपको बता दें कि शायद यह पहला मौका है जब जाटव समाज के अंदर मायावती के खिलाफ नाराजगी देखी गई है।
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संसद में पास हुए कई कृषि विधेयकों के खिलाफ पंजाब समेत देशभर में किसान और किसान संघठन प्रदर्शन कर रहे हैं और धरने दे रहे हैं। पंजाब में किसनों के प्रदर्शन को लगभग 14 दिन हो गये हैं। ये किसान अपने अपने घरों या सड़क के किसी कोने के बजाए सड़कों पर और रेलवे ट्रैक पर अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं। उधर दिल्ली के शाहीन बाग प्रदर्शन पर सुप्रीमकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि सार्वजनिक जगहों-सड़कों पर अनिश्चितकाल तक धर नहीं किया जा सकता है। एनआरसी और सीएए के खिलाफ किये गये शाहीन बाग प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि सार्वजनिक जगहों पर अनिश्चितकाल तक प्रदर्शन नहीं हो सकता है चाहे वो शाहीन बाग हो या कोई और जगह. कोर्ट ने कहा कि निर्धारित जगहों पर ही प्रदर्शन किया जाना चाहिए. आने-जाने के अधिकार को रोका नहीं जा सकता है. विरोध और आने-जाने के अधिकार में संतुलन जरूरी है.
हम आपको याद दिला दें कि पिछले ही साल यानि दिसंबर 2019 में केंद्र सरकार ने संसद से नागरिकता संशोधन कानून पास किया था। जिसको लेकर दिल्ली से शाहीन बाग से लेकर देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आने-जाने का अधिकार जरूरी है। विरोध के अधिकार को आवागमन के अधिकार के साथ संतुलित करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में ये भी कहा कि प्रशासन को रास्ता जाम कर प्रदर्शन रहे लोगों को हटाना चाहिए, कोर्ट के आदेश का इंतजार नहीं करना चाहिए। जनहित में सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद अब उम्मीद की जा सकती है कि प्रदर्शन के नाम पर चाहे शाहीन बाग हो या फिर गुजरात का आरक्षण आंदोलन या फिर हरियाणा और यूपी का आरक्षण आंदोलन, इस तरह के सभी उग्र और कई कई दिन दिन तक देश और प्रदेश की पुलिस के लिए चेलेंज बने रहने वाले आंदोलनों पर भी अंकुश लग सकेगा। साथ ही आरक्षण के नाम पर देश को बंधक बनाने वाले लोगों को भी यह एहसास हो सकेगा कि मूरथल हो या सोनीपत के रेप कांड जहां न सिर्फ सड़कों को रोका गया था बल्कि सड़क पर मौजूद महिलाओं के साथ भी कथिततौर पर अत्याचार को भी अब प्रशासन बर्दाश्त नहीं करेगा।
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