न्यूज़ विद आज़ाद ख़ालिद में आपका स्वागत है। मुझे उन लोगों से बेहद शिकायत है तो हमेशा निराशावादी और नेगेटिव बाते करते हैं। माना कि देशभर में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या 1500000 पार कर गई है और मरने वालों की तादाद भी 34000 तक पहुंच गई है। लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं कि सरकार ने कोरोना से लड़ने में कोई कमी छोड़ दी हो। ये नेगेटिव सोच से लोग सवाल उठा रहे हैं कि देश की स्वास्थ व्यवस्था लचर है अस्पताल नहीं बने हैं। लेकिन जो लोग अस्पताल न बनने पर सरकार पर निशाना साध रहें हैं वो सरकार को किसी भी तौर पर कमज़ोर या नाकाम न कहें। न तो सरकार कमज़ोर है न ही सरकार के पास पैसे की कमी है। यक़ीन न आए तो जो लोग अस्पताल न बनाए पर सवाल उठ रहे हैं वो इतना सुन लें कि देशभर में बीजेपी ने पार्टी के लिए 500 अल्ट्रामॉड्रन ऑफिस तैयार कर लिए हैं और जल्द ही 400 और ऑफिस तैयार हो जाएंगे। करोड़ों की लागत से बनने वाला हर ऑफिस देखने दिखाने लायक़ है। इतना ही नहीं पैसे की ऐसी रेलम पेल है कि घोटाले बाजों तक के मुंह में पानी आ गया है। अकेले हिमाचल प्रदेश के सोलन में बीजेपी के ऑफिस के लिए ज़मीन ही खरीदने में कई बीजेपी नेताओं पर 85 लाख रुपए के घोटाले के आरोप लग रहे हैं मामला थाने तक जा पहुंचा है। तो भला कोई यह कैसे कह सकता है कि पैसे की कमी है। अभी सत्ताधारी बीजेपी के लिए अपने नेताओं और वर्करों के लिए फाइव स्टार ऑफिस के ज़रूरत महसूस हुई तो उसने अरबो रुपये इस पर खर्च कर दिये, हां अगर जनता ने विकास, स्वास्थ और शिक्षा पर वोट दिया होता तो बीजेपी यकीनन अस्पताल भी बनवाती और शराब की दुकानों को खोलने के साथ साथ स्कूलों के खोलने के लिए ठोस कदम उठाती। आड मैं नेगेटिन सोचने वालों को चेचावनी देना चाहता हूं, सरकार पर उंगरी उठाने से पहले कुछ जानकारी भी ले लिया करें। अकेले गुजरात में सरदार पटेल की मूर्ती को चीन से बनवाने और आयात करने लिए अगर हम लगभग साढ़े तीन करो़ड़ खर्च कर सकते हैं तो कौन कहता है कि हमारे पास पैसे की कमी है। अगर मोटा मोटी बात करें तो सरदार पटेल की मूर्ति लगभग 3500 करोड़, कुंभ का बजट लगभग 4000 करोड़, ट्रंप के स्वागत में 125 करोड़ जैस कई खर्चे देखकर भी कुछ नेगेटिव लोग पैसे की कमी का रोना अगर रोते हैं तो दुख होता है। इसके अलावा कुछ लोग कानपुर में हुए अपहरण के बाद बच्चे की हत्या की चर्चा करते हुए हमारी तेज़ तर्रार पुलिस पर सवाल उठाते हैं। माना कि गोरखपुर में एक युवक का पहले अपहरण हुआ एक ही नबंर से 26 बार फिरौती की काल आई पुलिस सर्विलांस पर न फोन का न लगा सकी लेकिन उसने परिजनों को सलाह दी कि 30 लाख की फिरौती ाक इंतजाम करो हम आपके बेटे को छुडा़ लेगें। ये अलग बात है कि अपहरण कर्ताओं ने धोखा दे दिया, तीस लाख भी ले लिए और उनके बेटे को भी मार डाला अब इसमें पुलिस क्या कर सकती थी। लेकिन इसी दौरान एक के बाद एक अपहरण हत्या होती चली गंई, नोएडा में युवती की लाश मिली तो विरोधियों और नेगेटिव सोचने वालों ने सवाल उठाने शुरु कर दिये आज मैं हमारी बहादुर पुलिस पर सवाल उठाने वालों के मुंह पर ताला ही लगाना चाहता हूं। कौन कहता है कि हमारी पुलिस निकम्मी है, अपराधियों के समाने नाकाम है, अगर ऐसा होता तो भला बिना मास्क लगाए घूम रहे बकरे को गिरफ्तार करके कैसे कार्रवाई की जा सकती थी। माना कि कानपुर के आतंकी विकास दूबे ने एक डीएसपी समेत आठ पुलिस वालों को एके 47 जैसे कई आधूनिक हथियारों से मौत के घाट उतार दिया लेकिन उसका अंजाम भी आपने देखा ही होगा। गाड़ी भी पलटी और मुठभेड़ भी हो गई मजाल है कि किसी को शक हुआ हो और मुठभेड़ पर सवाल उठा सके। लेकिन अब नेगेटिव सोच रखने वाले अच्छे से समझ लें कि जब हमारी पुलिस ने बगैर मास्क लगाए हुए इंसानों तक को तो क्या बकरे तक को नहीं छोड़ा उसको भी जेल की सैर करा दी और लाखों रुपये इंसानों से कोरोना के नियमों के उल्लंघन के नाम पर वसूल लिये तो फिर किसी के कैसे हिम्मत हो जाती है कि हमारी पुलिस को निकम्मा कह सके। आज फिलहाल इतना ही अपने मेजबान आजाद खालिद को इजाज़त दें।#coronavirusandhospital #coronavirus #coronavirusupdate #azadkhalid #newswithazadkhalid
Tags:azad khalidcoronaviruscoronavirus and hospitalcoronavirus and hospital admissioncoronavirus and hospital appointmentcoronavirus and hospital capacitycoronavirus and hospital operationscoronavirus and hospital staffcoronavirus and hospital visitingcoronavirus and hospital workerscoronavirus and hospitality industrycoronavirus indiacoronavirus mapcoronavirus numberscoronavirus symptomscoronavirus treatmentnews with azad khalid