गलवान घाटी में चीन और भारत के सैनिकों में झड़प की वजह पड़ोसी देश की एक ऑब्जर्वेशनल पोस्ट थी। चीन ने ठीक एलएसी पर एक ऑब्जर्वेशनपोस्ट बना ली थी। भारतीय सेना को इस स्ट्रक्चर पर आपत्ति थी। 16 बिहार इंफैन्ट्री रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू इसे लेकर कई बार चीनी कमांडर को आपत्ति दर्ज करवा चुके थे। एक बार उनके कहने पर चीन ने इस कैम्प को हटा भी दिया,लेकिन 14 जून को अचानक फिर से ये कैम्प खड़ा कर दिया गया।
कर्नल संतोष के जवान उस कैम्प को खुद उखाड़ फेंकना चाहते थे, लेकिन तभी उन्होंने खुद कैम्प तक जाकर चीन के सैनिकों से बात करने का फैसला किया। शाम 4 बजे के आसपास वो अपने 40 जवानों के जवानों को लेकर पैदल उस कैम्प तक चले गए।
इससे पहले तक वहां तैनात चीन और भारतीय सैनिकों की आपस में पहचान थी। लेकिन जब कर्नल संतोष वहां पहुंचे तो उन्हें नए चेहरे नजर आए। इंटेलिजेंस ने उन्हें इसकी रिपोर्ट पहले ही दी थी कि तिब्बत में चल रही किसी एक्सरसाइज से सैनिकों को लाकर गलवान में डिप्लॉय किया गया है। जैसे ही कर्नल संतोष ने सवाल किया एक चीनी सैनिक ने आकर उन्हें धक्का दिया और गालियां देने लगा।
ऐसा देखते ही 16 बिहार इंफैन्ट्री रेजिमेंट के सैनिकों को गुस्सा आ गया और उन्होंने चीन के सैनिकों को पीटना शुरू कर दिया। मुक्केबाजी में दोनों ओर के सैनिक घायल हो गए। गुस्साए भारतीय सैनिकों चीन के ऑब्जर्वेशन पोस्ट को तहस-नहस कर दिया। इसी बीच कर्नल संतोष ने घायल सैनिकों को वापस पोस्ट पर भेज दिया और वहां से और सैनिकों को बुलवाया।
शाम को शुरू हुई लड़ाई आधी रात तक चलती रही और खूनखराबे में बदल गई
धीरे-धीरे अंधेरा होने लगा था और वहां भारतीय और चीन सैनिक जमावड़ा बढ़ता जा रहा था। तभी अचानक एक बड़ा पत्थर कर्नल संतोष के सिर पर आकर गिरा। फिर दोनों ओर से पथराव होने लगा और एक घंटे तक ये गुत्थम-गुत्था झगड़ा चलता रहा। कुछ ही देर में ये खूनखराबे में बदल गया।
चीन के लगभग 300 सैनिक थे और इनका सामना करने के लिए भारतीय जवानों की संख्या 45 से 50 थी। भारतीय सैनिकों के पास हथियार तो थे, लेकिन वो उनका इस्तेमाल नहीं कर रहे थे। वहीं चीन के सैनिकों ने इस झगड़े की प्री-प्लानिंग के लिए कंटीले तार बंधे डंडे, लोहे की रॉड और बड़े बोल्डर पत्थर जमाकर रखे थे। मानों वो भारतीय सैनिकों के इंताजर में बैठे हों।
चीन के सैनिक जब इन सब सामान का इस्तेमाल कर भारतीय जवानों पर हमला कर रहे थे। तब तक हर इंफैंट्री बटालियन में तैनात भारतीय सेना की घातक प्लाटून वहां पहुंच गई। उन सैनिकों ने चीन के सोल्जर्स पर जमकर हमला किया, जिसमें चीन के सैनिकों की गर्दन और रीढ़ की हड्डी तक टूट गई।
झगड़ा गलवान घाटी के किनारे खड़ी खाई के ठीक पास चल रहा था। यही वजह थी कि जब चीन और भारतीय सैनिक के बीच खूनखराबा हुआ तो कुछ सैनिक जाकर नीचे गलवान नाले में गिर गए। इनमें भारतीय भी थे और चीन के सैनिक भी। गलवान नाले में बर्फीला पानी था और खड़े नुकीले पत्थर भी।
दस भारतीय सैनिक चीन के इलाके में और चीन के कर्नल भारत के इलाके में आ गए
घटना की जगह मौजूद सैनिकों और इलाके के कमांडर ने जो रिपोर्ट सेना मुख्यालय और सरकार को सौंपी है, उसके मुताबिक आधी रात तक ये झगड़ा जारी था, जब हालात कुछ नियंत्रण में आए तो दोनों ओर के सैनिक अपनों के शव अपनी-अपनी पोस्ट पर ले जाने लगे। इसी बीच कुछ गंभीर रूप से जख्मी सैनिकों को भी उस इलाके से पोस्ट तक लाया जाने लगा। ये दोनों ओर चल रहा था।
चीन की सेना ने भारतीय सेना के 10 अफसर और जवानों को बंधक बना लिया था। दो दिन बाद मेजर जनरल स्तर की बैठक में हुई बातचीत के बाद इन्हें छोड़ा गया। सूत्र बताते हैं कि चीन सेना के एक कर्नल और कुछ सैनिकों भारतीय सेना की गिरफ्त में भी थे। ये सभी सैनिक युद्धबंदी नहीं थे, क्योंकि दोनों ओर के सैनिक उस रात घायल हुए और एक दूसरे की सीमा में गलवान नाले के आसपास बहकर आ गए थे।
उस रात भारतीय सेना ने कर्नल संतोष समेत 20 जवानों को खोया है। जबकि चीन के 16-20 सैनिकों की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि 17 गंभीर घायल जवानों ने बाद में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
एक दिन पहले दिए बयान के मुताबिक केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह ने माना है कि इस लड़ाई में भारत ने चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों को मार गिराया है। उन्होंने ये भी कहा है कि भारतीय सेना ने 16 चीनी सैनिकों के शव उन्हें सौंपे हैं। वहीं मेजर जनरल स्तर की बातचीत के बाद जो 10 भारतीय सैनिक चीन के इलाके से लौटे हैं उनमें 2 मेजर भी शामिल हैं।
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