
न्यूज विद आजाद खालिद में आपका स्वागत है। दलितों और अल्पसंख्यकों के लिए हर राजनीतिक दल के पास बड़े बड़े नारे और दावे मौजूद हैं। लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। मामला चाहे 1984 के सिख नरसंहार का हो या 1983 का असम में नीली नरसंहार या फिर दलित विरोधी दर्जनों नरसंहार इनको लेकर आज भी कोई ठोस जवाबदही तय नहीं हो पाई है। ये अलग बात है कि दलितों और अल्पसंख्यकों के नाम कुछ लोगों की सियासी दुकानें खूब फल-फूल रहीं हैं। लेकिन शायद अब समय आ गया है कि समाज अपने हमदर्दों से सवाल करे। इंही मुद्दों पर देखिए न्यूज़ विद आज़ाद ख़ालिद।#minorityandbackwardinindia #azadkhalid #newswithazadkhalid #nelliemassacre #tiwaricommissionreport