कोविड-19 ने 5 महीने में पूरी दुनिया को ही बदल डाला है। जिंदगी में जीने का, सोचने का, काम करने का, रहने का, खाने का, आने-जाने का, मिलने-जुलने का… हर एक तरीका बदल चुका है। इसी दौरान धीरे से हमारी जरूरतें भी बदल गईं। लेकिन इसमुश्किल वक्त में भी कुछ ऐसे इनोवेशन हुए, जो अब हमारी जिंदगी को आसान और सुरक्षित बनाने में मददगार बन सकतेहैं।
बाजार में कुछ ऐसे नए प्रोडक्ट आ चुके हैं, या आने की तैयारी में हैं। इनमें हैंड फ्री डोर ओपनर, एंटी फॉग फेस शील्ड, सिलिकॉन स्क्रबिंग गलव्ज, कॉटन फेस मास्क, कोविड क्वारैंटाइन बेड, सैनिटाइजर स्प्रे मशीन, जीरो टच स्टैंड, सैनिटाइजिंग टनल एंड बूथ जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं।
बीएचयू में जूलॉजी विभाग में प्रोफेसर और मॉलिक्युलर एंथ्रोपोलॉजी में एक्सपर्ट्स ज्ञानेश्वरचौबे इन नए प्रोडक्ट को फायदेमंद बताने के साथ सावधान रहने की भी सलाह देते हैं। कहते हैं कि ये चीजें यूजफुल तो हैं, लेकिन इनसे आप पूरी तरह निश्चिंत नहीं हो सकते हैं। इन्हें खरीदने के बाद आप यह कतईन महसूस करें कि अब पूरी तरह सुरक्षित हो गए हैं।
ये हैं नए प्रोडक्ट-
- सावधानी की बात
कोई भी प्रोडक्ट 100% सुरक्षा की गारंटी की बात नहीं कर रहा
प्रोफेसर चौबे कहते हैं कि कोई भी प्रोडक्ट कंपनी यह नहीं लिखती है कि यह 100% वैक्टीरिया को मार देंगे या इससे आप 100% सुरक्षित रहेंगे। अभी तक दुनिया में कोई ऐसी रिसर्च नहीं हुई है, जिसमें पता चला हो कि कोई भी प्रोडक्ट कोरोना से आपको कितना सुरक्षित रख सकता है।
- अच्छी बात
हमारे यहां ड्रॉप्लेट्स वातावरण में 10 से 20 सेकंड में ही खत्म हो जाते हैं
प्रोफेसर चौबे कहते हैं कि भारत और अमेरिका में तापमान का स्टेटस अलग-अलग है। हमारे यहां यदि कोई ड्रॉप्लेट्स वातावरण में आती है तो वो महज 10 से 20 सेकंड में ही खत्म हो जाती है। जबकि अमेरिका में यह ज्यादा वक्त तक जिंदा रहती है, क्योंकि वहां का तापमान बहुत कम है। इसीलिए भारत में जब तक कोई व्यक्ति किसी इन्फेक्टड व्यक्ति के सीधे संपर्क में नहीं आता, तब तक उसे कोरोना नहीं हो रहा है। वैक्टीरिया और कोराना का साइज भी अलग-अलग है।
इन बातों का रखें ध्यान-
- थोड़े-बहुत साइड इफ्केट को रूल्ड आउट कर सकते हैं
एक मल्टीनेशल कंपनी में बायो मैट्रिक्स और टेक एक्सपर्ट ललित मिश्रा कहते हैं कि सैनिटाइजेशन टनल बहुत अच्छी चीज है। मेरी ऑफिस में भीलगा है, हम रोज इसी से होकर गुजरते हैं। कुछसाइड इफेक्ट की भी बातें लोग करते हैं, लेकिन इतनी बड़ी रिस्क के सामने इन चीजों को रूल्ड आउट करना चाहिए। ज्यादा फायदे की बातों को सोचना चाहिए।
- मास्क में 15 माइक्रॉन से बड़ा छेद नहीं होना चाहिए
बाजार में आ रहे कॉटन मास्क के बारे में ललित कहते हैं कि कोई भी मास्क पहनें तो सबसे पहले यह जरूर देखें कि उसमें पोर(छेद) 15 माइक्रॉन से बड़ा न हो। यदि इससे बड़ा छेद होगा तो वायरस अंदर आ सकता है। स्प्रे मशीन भी बहुत बढ़िया चीज है, इससे आप घर में सैनिटाइजेशन अच्छे तरीके से कर सकते हैं। हां, एक बात का जरूर ध्यान रखें कि सैनिटाइजर की क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए।
- कॉपर और ब्रॉन्ज के बर्तन में खाना ज्यादा सुरक्षित
ललित कहते हैं कि डब्ल्यूएचओ ने भी माना है कि कॉपर और ब्रॉन्ज पर कोरोनावायरस ज्यादा देर नहीं टिकता। इसलिए हमें खाने पीने के लिए कॉपर और ब्रॉन्ज के सामान इस्तेमाल करनेचाहिए।
ब्रिटेन एंटीवायरल कोटिंग वाले मास्क का प्रोडक्शन बढ़ा रहा
ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस एंटीवायरल कोटिंग वाले मास्क का प्रोडक्शन बढ़ा रहा है। इसके तहत एक हफ्ते में ऐसे दस लाख मास्क बनाए जाएंगे।ब्रिटेन के ग्लैनविली हॉस्पिटल में डॉक्टर रायस थॉमस कहते हैं कि इस तरह के प्रोडक्ट के मार्केट में आ जाने से डॉक्टर और नर्सों को भी मदद मिलेगी। क्योंकि जब ये सेफ्टी प्रोडक्ट लोगों को आसानी से ऑनलाइन उपलब्ध होंगे तो वे कोरोना से अधिक सुरक्षित होंगे। ऐसे में डॉक्टर और नर्स गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों की अच्छी तरह से देखभाल कर सकेंगे।
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