लॉकडाउन के बीच महाराष्ट्र के उल्लास नगर से बिहार के सीतामढ़ी जा रहे 28 मजदूरों को रविवार सुबह ललितपुर में रोक लिया गया। ये सभी एक लोडिंग गाड़ी में बैठे थे। उन्हें शेल्टर होम में रखा गया, जहां सभी मजदूरों की जांच हुई। जिनमें दस लोगों के रैंडम सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।मजदूरों ने आरोप लगाया कि, राहत सामग्री बांटने वाली संस्थाओं द्वारा भेदभाव किया जा रहा था। सिर्फ मुंबईकरों को ही खाद्य सामग्री दी जाती थी। इसलिए भूखे प्यासे घरों को निकलना पड़ा।
बिस्कुट खाकर बिताया समय
उल्लासनगर में डी-मार्ट कम्पनी में काम करने वाले मजदूर पिकअप वेनसे ललितपुर पहुंचे तो उन्हें रोक लिया गया। मजदूर रमाकांत ने बताया कि वह बिहार के सीतामढ़ी जनपद के सुंदरनगर का रहने वाले हैं। लॉकडाउन के चलते कंपनी का काम बंद हो गया। जब तक उनके पास खाने पीने की चीजें थी, दिन बीतता रहा। लेकिन जब पैसा खत्म हो गया तो वह वहां पर चार दिन तक भूखे रहे। बताया कि, जो संस्थाएं खाना बांटने आती थीं, वह उनका नाम, पता लिखकर ले जाती थीं। लेकिन, उन्हें खाना नहीं दिया गया। वह लोग मुंबईकरों को ही खाना देकर जाते थे। हरेन्द्र यादव ने बताया कि जिला प्रशासन ने सभी के लिए खाने का इंतजाम कराया। खाना मिलने पर मजदूर रमाकांत ने कहा कि उन्हें आज भरपेट खाना मिला है। नहीं तो वह लोग छह दिनों से पानी पीकर व बिस्किट खाकर पेट भर रहे थे।
चार दिन में एक हजार किमी की यात्रा कर पहुंचे ललितपुर
महाराष्ट्र के उल्लासनगर से ललितपुर की दूरी एक हजार किमी है। हितेन्द्र यादव ने बताया कि वह लोग बुधवार की सुबह 4 बजे टाटा मैजिक से निकले थे। रुकते-रुकते आज एक हजार किमी की दूरी कर चार दिन बाद ललितपुर पहुंचे हैं।
सीएमओ ने कहा- सभी की जांच कराई गई
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. प्रताप सिंह ने बताया कि महाराष्ट्र से ललितपुर पहुंचे 28 मजदूरों की जांच कराई गई है।सभी को शेल्टर होम में रखा गया है। सभी मजदूरों को खाने पीने की व्यवस्था की गईहै।