कोरोना संकट पर चल रहे लॉक डाउन ने राम जन्मभूमि परिसर में विराजमान रामलला की चढ़ावा राशि बहुत कम हो गई है। पिछले सालों में रामनवमी के समय चढ़ावा राशि 8 लाख रुपए तक होती थी, लेकिन इस साल यह सिमटकर करीब 34 हजार तक ही रह गई है। वहीं पुजारियों की माने तो श्रद्धालुओं की संख्या रोजाना ना के बराबर ही है। रोजाना भूले भटके 4 से 6 लोग दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।
प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि लॉकडाउन के कारण मार्च के खर्च का बिल नहीं जमा हो सका, जिससे यहां कार्यरत प्रधान पुजारी, सहायक पुजारी व अन्य सहयोगी स्टाफ कोमार्च के मानदेय का भुगतान अभी तक नहीं हो सका है। इन पर हर माह 72 हजार रुपए खर्च होते हैं। इसके अलावा रामनवमी के 9 दिन के उत्सव पर हर साल अतिरिक्त तौर पर 51 हजार का बजट पिछले सालों में मिलता रहा है।
रामनवमी के अवसर पर श्रृंगार में ही खर्च हो चुके हैं 51 हजार रुपए
पुजारी का कहना है इस साल 51 हजार रुपए से ज्यादा ही रामनवमी के अवसर पर पूजा अर्चना श्रृंगार में खर्च हो चुका है। इसका बिल वे अभी तक कोरोना संकट के कारण श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र ट्रस्ट को नहीं सौंप सकें है। इसी वजह से पुजारी व अन्य स्टाफ का मार्च माह के पारिश्रमिक का भुगतान नहीं हो सका है। जिन दुकानों से सामान रामनवमी के अवसर पर खरीदा गया था वे बंद चल रही हैं। उनकी रसीद को लगाकर बिल बनेगा। अब रसीदों को किसी तरह से कलेक्ट कर लिया गया है। आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया जल्द ही मासिक खर्च व नवमी बजट के बिल ट्रस्ट को सौंप दिए जाएंगे। ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने कहा है कि बिल प्रस्तुत होने पर तुरंत भुगतान कर दिया जाएगा।