उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है। इससे संक्रमित लोगों की संख्या 400 को पार कर गई है। लोगों के सामने रोजी रोटी का भी संकट पैदा हो गया है। इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया, बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, अवध बार एसोसिएशन लखनऊ, एडवोकेट्स एसोसिएशन इलाहाबाद को नोटिस जारी कर पूछा है कि अधिवक्ताओं और उनके पंजीकृत मुंशियों के कल्याण के लिए उन्होंने क्या योजनाएं शुरू की है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी करते हुएपूछा है कि एडवोकेट्स वेलफेयर फंड के तहत उन्होंने अधिवक्ता कल्याण के लिए क्या किया है।
कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन से वकीलों और मुंशियों के सामने पैदा हुई आर्थिक कठिनाई पर स्वत संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की पीठ ने यह निर्देश दिया है। कोर्ट ने इन सभी पक्षकारों को अपना पक्ष ईमेल के माध्यम से 15 अप्रैल तक कोर्ट में दाखिल करने को कहा है और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपना पक्ष 15 अप्रैल को रखने के लिए का निर्देश दिया है।
कोर्ट का कहना है कि अदालत के पास बहुत से वकीलों के प्रत्यावेदन और ऑनलाइन मैसेज आ रहे हैं। लॉकडाउन के कारण अदालतें बंद हैं और सिर्फ अति आवश्यक कार्य ही हो रहे हैं। ऐसे में वकीलों की आमदनी भी प्रभावित हुई है। मगर इस अदालत के पास ऐसा कोई फंड नहीं है जिससे वकीलों के कल्याण के लिए कोई योजना चलाई जा सके।
अधिवक्ता कल्याण की योजनाएं चलाएं
कोर्ट ने कहा कि, अधिवक्ता कल्याण की योजनाएं चलाना बार काउंसिल ऑफ ऑफ इंडिया और बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश का वैधानिक दायित्व है। दोनों के एक्ट में इस बात का प्रावधान है कि वह अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए योजनाएं चलाएंगे।कोर्ट ने कहा कि उनको नहीं मालूम है कि अभी तक ऐसी कोई योजना शुरू की गई है या नहीं। इसके अलावा हर अदालत से संबद्ध बार एसोसिएशन है, उनकी भी जिम्मेदारी है कि वह अपने सदस्यों का ऐसे कठिन समय पर ध्यान रखें।
कोर्ट ने कहा कि, उत्तर प्रदेश में एडवोकेट वेलफेयर फंड स्थापित किया गया है। जिसके पास अधिवक्ता कल्याण हेतु योजनाएं लागू करने की व्यापक शक्ति है। फंड के ट्रस्टियों की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी योजनाएं लाएं जिससे इस कठिन समय में अधिवक्ताओं और उनकी मुंशियों को राहत दी जा सके।
15 अप्रैल को मामले की सुनवाई
अदालत का यह भी कहना था कि बहुत से ऐसे अधिवक्ता है जिनकी वकालत बहुत अच्छी है। वह बार काउंसिल और बार एसोसिएशन को आर्थिक रूप से मदद दे सकते हैं। कोर्ट ने इन संगठनों से जानना चाहा है कि क्या उन्होंने जरूरतमंद वकीलों और मुंशियों की मदद के लिए अभी तक कोई योजना शुरू की है अथवा नहीं। इसकी जानकारी ईमेल के जरिए जवाब दाखिल कर 15 अप्रैल तक देने को कहा है मामले की सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।