श्रीरामलला के जन्मोत्सव पर अयोध्या हर्षित होगी, लेकिन घरों में ही। श्रद्धालु घर के भीतर ही रामनाम, सुंदरकांड का कीर्तन करेंगे। श्रीरामलला के नए अस्थायी मंदिर में श्रीराम प्रकटोत्सव की तैयारी शुरू हो गई है। गुरुवार को दिन में ठीक 12 बजे श्रीरामलला का जन्मोत्सव हुआ। इसके साथ ही जन्मभूमि व अयोध्या के मंदिरों में शंख ध्वनि और घंटों की गूंज के साथ ही रामनाम का जाप शुरू हो गया। जन्मभूमि मंदिर में षोड्सोपचार और शृंगार के बाद श्रीरामलला पीले वस्त्र धारण कर दर्शन देंगे। मुख्य पुजारी सत्येंद्रदास ने कहा कि सैकड़ों साल के इतिहास में यह पहला मौका है, जब अयोध्या में रामनवमी मेला और उत्सव नहीं हो रहा है। रामनवमी पर अयोध्या में आमतौर पर 15 लाख लोग भाग लेते हैं। इस बार लॉकडाउन के चलते रामनवमी का मेला भी नहीं हो रहा है।
प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं से अयोध्या न आने की अपील की जा रही है। अस्थाई मंदिर में पुजारियों, श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सदस्यों और सुरक्षाकर्मियों के अलावा कोई और भाग नहीं ले सकेगा। जो मौजूद होंगे, वे भी आपस में दूरी बनाए रखेंगे। विहिप ने सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए घर-घर में प्रकटोत्सव मनाने की अपील की है। शाम को घरों में दीप जलाने और मंदिरों में सुंदरकांड के पाठ का आह्वान किया है। जन्मोत्सव के बाद पंजीरी के रूप में दिए जाने वाले प्रसाद की मात्रा भी 50 किलो से 20 किलो कर दी गई है।
जन्म के बाद श्रीरामलला पीले वस्त्र धारण करते हैं। इस बार संयोग से गुरुवार है, जब दिन के मुताबिक श्रीरामलला पीले वस्त्र पहनते हैं। पुजारी सत्येंद्रदास ने कहा कि तुलसीदासजी ने बालकांड में श्रीरामलला जन्म का वर्णन करते हुए लिखा है- ‘भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी। हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।’ इसका अर्थ है, दीनों पर दया करने वाले, कौशल्या जी के हितकारी कृपालु प्रभु प्रगट हुए।