ताली भी बजाएं और थाली भी बजाएं
नई दिल्ली (21 मार्च 2020)-कोरोना को ख़त्म करने के लिए प्रधानमंत्री महोदय के थाली और ताली बजाओ अभियान की कथिततौर हवा निकालने या उसका विरोध करने का असफल प्रयास करने वालों से एक अपील। बेहद आधूनिक और ताक़तवार देश चीन में हज़ारों लोगों को मौत की नींद सुलाने के बाद इटली और दुनियां के कई देशों में हज़ारों को बेदर्दी से मार चुका कोरोना वायरस जिस तेज़ी से दुनियां के लिए ख़तरा बनता जा रहा है।
उसको देखते हुए भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी ने कल सुबह यानि 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और अपने घर पर ही रहकर थाली बजाने का ऐलान किया है। बतौर एक सच्चे भारतीय मेरा मानना है कि हमको अपने प्रधानमंत्री महोदय पर भरोसा करते हुए उनके आदेश का पालन करना चाहिए। लेकिन देखने में आ रहा है कि सोशल मीडिया और कई जगहों पर प्रधानमंत्री महोदय की अपील का न सिर्फ मज़ाक़ उड़ाया जा रहा है बल्कि कई तरह के सवाल भी उठाए जा रहे हैं। लोगों का सवाल है कि जिस कोरोना से निबटने के लिए चीन ने हज़ारों बैड का हास्पिटल रातों रात बनाकर दुनिया के सबसे बड़ी आबादी वाले देश की जनता को राहत देने का काम किया है, इटली ने आधूनिकतम प्रयास शुरु कर दिये हैं, उसके मुक़ाबले में भारत की सरकार ने क्या खास दिया है, साथ ही थाली बजाने की अपील से क्या होगा। इतना ही नहीं सब्जी, खाने पीने के सामान की खुलेआम काला बाज़ारी को भी कुछ लोग सरकार की ही नाकामी साबित करने पर तुल गये हैं। माना कि लोगों में भय अचानक बढ़ गया है और एक अनिश्चित्ता की स्थिति जनता में पैदा हो गई है। लेकिन इसको सीधे पर प्रधानमंत्री से जोड़ना सीधेतौर पर राष्ट्रवाद के विरुद्ध है।
साथ ही हमको हर समय राजनीति और विरोध से परहेज़ करना चाहिए। भारत को विश्व गुरु बनाने का नारा देने वाले प्रधानमंत्री के सपने को क्या आप सच होता नहीं देखना चाहते हो। हांलाकि मन की बात हो या कोई और भाषण अभी तक मैं प्रधानमंत्री का कोई भी भाषण पूरा नहीं सुन पाया हूं, लेकिन बतौर एक भारतीय मैं अपने आदरणीय प्रधानमंत्री की हर अपील का सम्मान करता हूं।
मैं उन लोगों से कतई सहमत नहीं हूं जो प्रधानमंत्री महोदय के दावों और प्रयासों पर शक करते हैं। भले ही 100 स्मार्ट सिटी बनाने प्रधानमंत्री महोदय का सपना पिछले 5 साल के कार्यकाल के बावजूद अभी तक पूरा न हो सका हो, न ही आपको एक भी बुलेट ट्रेन जिसका उन्होने वादा किया था न दिखी हो। लेकिन 18-18 घंटे काम करने वाले प्रधानमंत्री के प्रयासों में कहीं कोई कमी मुझको नज़र नहीं आती। मैं उन लोगों से भी सहमत नहीं हूं जो भाजपा का विरोध या प्रधानमंत्री महोदय के राजनीतिक विरोध में इतना तक भूल जाते हैं कि आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को विश्व गुरु बनाने का वादा करके हमारे देश के युवाओं को सपने देखने की नई उड़ान बख़्शी है। हांलाकि कुछ संकीर्ण मानसिकता और विरोधी सोच के लोग ऐसे सपनों पर भरोसा करने वालों को भक्त और ऊपर से खाली तक कह देते हैं, लेकिन हमको इतना तो समझना ही होगा कि अगर सपने ही नहीं देखेंगे तो देश में सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास कैसे बनेगा।
तो जनाब हम बात कर रहे थे कोरोना वायरस के को खत्म करने के लिए रविवार यानि 22 मार्च 2020 को सुबह सात बजे से रात 9 बजे तक जनता कर्फ्यू और घर की बालकनी में थाली बजाने की प्रधानमंत्री महोदय की अपील की। आप सभी से मेरी विनम्र अपील है कि कोरोना वायरस की घातकता, उसकी मारकक्षमता और उससे देश को ख़तरे को समझते हुए प्रधानमंत्री महोदय की अपील का समर्थन करें। इस समय आपको कोई ऐसा वैसा सवाल न पूछ कर सीधे तौर पर पीएम महोदय का कहना मानना चाहिए। हो सकता है कि आपके मन में सरकार द्वारा उठाए क़दमों को लेकर कई सवाल हों. हो सकता है कि आप ये जानना चाह रहे हों कि विेदेशों से भारत आई एक एक्ट्रेस बिना जांच के कैसे कई मंत्रियों, नेताओं और सासंदों के साथ पार्टी करती रही। यहां तक कि कई लोग उसके वायरस के असर में बताए जाने लगे। हो सकता है कि आपके मन में ये भी सवाल हो कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिराने के लिए कथिततौर बंधक बनाए गये दर्जनों विधायकों को एक साथ क्यों रखा गया और उनको कथिततौर पर ख़रीदने के लिए किसने खर्च किया। साथ ही हो सकता है कि आप ये भी सोच रहे हों कि अगर जनता के एक जगह इकठ्ठा होने से वायरस फैले सकता है, तो संसद को क्यों स्थगित नहीं किया गया, और मध्य प्रदेश में सरकार गिराने के बाद मध्यप्रदेश में भाजपाई जश्न एक जगह इकठ्ठा होकर मना रहे हैं या एक एक करके। हो सकता है कि आपके मन में ये भी सवाल हो कि रेलवे स्टेशन पर प्लेटफार्म टिकट के दम कई गुना बढ़ाने की वजह जनता के बिजली का बिल और कई सरकारी देनदारी माफ करने का प्लान तो नहीं।
मेरा आपसे विनम्र अमुरोध है कि प्रधानमंत्री की क़ाबलियत और देश को आगे ले जाने के उनके इरादे पर कतई शक न करते हुए आप फिलहाल नोटबंदी, बीएसएनल, यस बैंक, एयर इंडिया, रिज़र्व बैंक की लाखों करोड़ की रिजर्व राशि या किसी भी दूसरे सरकारी उपक्रम की नाकामी या किसी भी ऐसी घटना के बारे में सोचना छोड़ दें जिससे कथिततौर पर सरकार की ज़रा सी भी नाकामी का एहसास होता हो। फिलहाल आपको इतना ही सोचना है कि भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए हमारे माननीय प्रधानमंत्री अथक मेहनत कर रहे हैं और कोरोना की वजह से पहली बार इतने दिनों से देश में ही हैं, उन्होने जो भी अपील की है वह देशहित में ही होगी। और उसका समर्थन करना हमारा राष्ट्रधर्म है। इसलिए प्रधानमंत्री महोदय की बात माननी चाहिए और थाली और ताली दोनों ही बजाएं।