अपोजिशन न्यूज डॉट कॉम में आपका स्वागत है आपका मेजबान आजाद खालिद हाजिर है…आतंकवाद की समस्या और देश की वर्तमान स्थिति से सरकार को अवगत कराने के लिए वोटर्स मंच ने महामहिम राष्ट्रपति महोदय को पत्र लिखकर उनको एक 20 सूत्रीय ज्ञापन सौंपने हेतु समय प्रदान करने की मांग की है। साथ ही इस संबध में देश की जनता से भी इसके लिए सोचने और महामहिम के समक्ष लाइव मीडिया के सामने उपस्थित होने की अपील की है। वोटर्स मंच के संयोजक की अपील ज्यूं की त्यूं आप तक पहुंचा रहे हैं।
आज सबसे पहले तो उन लोगों से मुखातिब होना चाहता हूं जो कि सांप्रदायिकता की शिकायत करते हुए एक पार्टी विशेष से बहुत नाराज है। जो ये कहते हैं कि फलां पार्टी सांप्रदायिक है और मुस्लिम विरोधी भी। दरअसल समाज को इस पार्टी का एहसानमंद होना चाहिए कि सैक्यूरिजिम्म की अफीम के असर में सत्तर साल से सोए समाज की नींद को इस पार्टी ने तोड़ने का काम किया है। आज कमजोर और लाचार समझे जाने वाली महिलाएं अपने अधिकारों के लिए सड़क पर धरना देने की हिम्मत जुटाने लगी हैं। साथ ही आज समाज को ये भी समझ लेना चाहिए कि अब बीमारी पर या समस्याओं पर चर्चा के बजाय इलाज करने या समस्याओं से बाहर निकलने का समय आ गया है। सबसे पहले तो मैं अपनी तीन दिन पुरानी उस वीडियो पर भी चर्चा करना चाहता हूं, जिसको लेकर भारतीय मीडिया के कुछ लोगों ने सवाल उठाए हैं। मैं उन लोगों से सिर्फ ये कहना चाहूंगा कि न तो मैंने मीडिया को कुछ कहा है, न ही किसी मीडिया हाउस का नाम लेकर उस पर सवाल उठाएं हैं। साथ ही मैं ये साफ कर दूं कि भारतीय मीडिया के साथ मेरा अपना अनुभव लगभग 22 साल का है। इस दौरान मुझे गर्व है कि मैंने देश के मीडिया का बड़ा हस्ताक्षर और सच्ची पत्रकार मैडम नलीनि सिंह, आदरणीय प्रभात डबराल जी, श्री विनोद दुआ जी, श्री रजत शर्मा जी जैसे कई नामों का न सिर्फ आशीर्वाद प्राप्त हुआ, बल्कि उन्ही से सब कुछ सीखने को भी मिला है। इसके अलावा श्री मुकेश कुमार जी,श्री अंबिकानंद सहाय जी,सुधीर चौधरी, दीपक चौरसिया, सईद अंसारी और रोहित सर्दाना जैसे कई लोगों से भी बहुत कुछ समझने को मिला है। इन्ही लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक मीडिया न तो किसी का पक्ष लेता है न ही किसी से बैर रखता है। शायद इसी सोच का असर था कि जब शुक्रवार को शाहीनबाग सहित कई जगहों पर चल रहे प्रदर्शन में भीड़ की कमी पर खासतौर से ख़बर बनाने वाले कुछ लोग सक्रिय हुए, और उनको भले ही लगभग तीन महीने से चल रहे प्रदर्शन के दौरान कड़ाके की सर्दी में रात दिन खुले में बैठी मांओ बहनों की न तो मांग दिखी न ही उनका दर्द समझ में आया, लेकिन जुमे को जबकि हर मुसलमान को नमाज का हुक्म दिया गया हो उसी दिन की कम भीड़ को लेकर हमारे कुछ पत्रकारों को ठीक उसी तरह खबर बनाने को शौक उठने लगा, कि जैसे उनको 500 रुपये में प्रदर्शन के लिए दिये जाने की सूचना थी। हांलाकि ठीक उसी दिन की एक बड़ी ख़बर ये भी थी कि देश के एक बड़े बैंक यानि यस बैंक के कथिततौर पर डूबने की ख़बर से लाखों लोगों की धड़कने बढ़ी हुईं थी। लोग यस बैंक की सच्चाई को लेकर बेचैन थे लेकिन हमारे कुछ पत्रकारों के लिए शाहीन बाग में भीड़ की कमी पर स्पेशल रिपोर्ट बनाना ज़रूरी था। ऐसे में मुझे लगा कि एक पत्रकार की हैसियत से मैं भी इस पर चर्चा करूं। लेकिन इसपर कई लोग भले ही मुझसे सहमत थे लेकिन कुछ लोग मुझसे नाराज भी दिखे। मेरी गुज़ारिश है कि आप मेरी विडियो देखकर इंसाफ करें, और अगर मेरी किसी बात से निजी तौर पर किसी को तकलीफ पहुंची है तो मैं उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूं। लेकिन आज मैं ये भी कहना चाहूंगा कि देश के वर्तमान हालात और कुछ लोगों की पत्रकारिता को लेकर मेरे द्वारा उठाए गये सवालों के बाद अगर कोई भी मीडिया हाउस या कोई भी कथिततौर पर बड़ा पत्रकार मुझसे खुली चर्चा करना चाहते हैं तो मैं देशहित में खुली चर्चा को जनता के सामने लाइव मीडिया पर कहीं भी करने को तैयार हूं।
हां तो हम बात कर रहे थे एक राजनीतिक पार्टी को सांप्रदायिक पार्टी कहने वालों लोगों की। तो जनाब देश में सांप्रदायिक सौहार्द की इससे बड़ी मिसाल क्या होगी कि जिस यस बैंक को लेकर लोग परेशान हैं, उस यस बैंक ने न सिर्फ हिंदुओं को छला है, बल्कि उसने मुस्लिमों को भी नहीं बख्शा है। तो भला सांप्रदायिक एकता की इससे बड़ी और क्या मिसाल होगी। साथ ही बेरोजगारी हो या फिर महिला सुरक्षा या फिर दिल्ली हिंसा, हिंदु और मुस्लिम समाज दोनों का ही नुकसान देखने में आ रहा है।
अब बात करते हैं लखनऊ में कुछ लोगों के पोस्टर लगने की, दिल्ली हिंसा में पुलिस के कथिततौर पर पक्षपात पूर्ण रवय्ये की, इसकी बदौलत दर्जनों मौत और हजारों के कारोबार की बर्बादी और सीएए जैसे कई मुद्दों पर कराह रहे लोगों की। उनसे भी इतना पूछना चाहिए कि कई माह से जेल में बंद गुजरात के आईपीएस संजीव भट्ट जेल में रातें सोकर गुजार रहे हैं या रोकर, ये उन्होने कभी सोचा। जज लोया की मौत से पहले उनके पास कौन सा ऐसा केस था, कि जिसको लेकर लोग मांग करने लगे कि उनकी मौत की जांच होनी चाहिए। साथ ही गोरखपुर में 70 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद किसी और पर भले ही कोई कार्रावाई हुई या नहीं लेकिन, लेकिन क्या कोई जानता है कि डॉक्टर कफील जेल की काल कोठरी में लोगों का इलाज कर रहे हैं या मुजरिमों की कतार में खड़े हैं। क्या किसी ने कभी सोचा कि दिल्ली के शाहीन बाग और जामिया इलाके में धरना दे रहीं महिलाओं पर फायरिंग करने वाले कपिल गुर्जर और गोपाल या बुर्का पहन कर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाली कुंजा कपूर के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने भले ही जो भी कार्रवाई की हो, लेकिन शाहरुख, ताहिर हुसैन और शर्जील इमाम से पुलिस रिमांड और पुलिस एक्शन में क्या कुछ सामने आने की उम्मीद है।
हर सभ्य समाज यही दुआ करता है कि किसी भी इंसान को चाहे हिंदु हो या मुस्लिम, चाहे दिल्ली पुलिस का हैडकास्टेबल रतन लाल हो या फिर अंकित शर्मा या कोई मुस्लिम भाई, वो बदनसीब समय कभी देखने को न मिले कि जब उसके मुंह से ये निकले कि उसका भाई, उसका बेटा उसका कोई अपना पुलिस की गोली या हिंसक भीड़ के हाथों उत्तर प्रदेश हो या दिल्ली या देशभर में कहीं भी मारा गया है। आज ये सोचना भी ज़रूरी हो गया है कि दिल्ली हिंसा और उत्तर प्रदेश पुलिस की कथिततौर पर नाकामी से पहले, गुजरात नरसंहार हो या फिर 1984 का सिख नरसंहार या फिर मेरठ, मलियाना, हाशिमपुरा या फिर मुरादाबाद और मेहम या मिर्चपुर जैसे दंगों में मरने वालों की चीखों पर उस समय समाज की क्या प्रतिक्रिया थी। जब तक हम दूसरे के दर्द को समझने की समझ नहीं रखते तब तक हम ये कैसे मान लें कि हमारे दर्द को कोई दूसरा जरूर समझ रहा होगा।
एक सच्चाई ये भी है कि देशभर की पुलिस की कार्यशैली हर रोज अखबारों और टीवी चैनलों की मदद से बेनकाब होती रहती है। पुलिस के पास हजारों की तादाद में ऐसी महिलाओं और कालगर्लों की सूची मौजूद है जो उसके एक इशारे या जरा से धमकाने पर किसी भी शरीफ या बेगुनाह व्यक्ति पर रेप या कोई भी गंभीर आरोप लगाकर उसको सलाखों के पीछे पहुंचा सकती हैं। साथ ही पुलिस का मुखबिर तंत्र और उसके द्वारा फंसाया गया या पकड़ा गया कोई अपराधी या आरोपी पुलिस के इशारे पर किसी भी बेकसूर का नाम लेकर पुलिस के ही हाथों किसी का भी जीवन बर्बाद कर सकता है। ये पूरा देश जानता है कि किसी भी व्यक्ति को फर्जी मामलों में फंसाना या जेल में डालना पुलिस के लिए बाएं हाथ का खेल हैं, लेकिन समाज की खामोशी भी इसके लिए किसी हद तक जिम्मेदार है।
इस समय ये आवश्यक हो गया है कि देश और समाजहित में समाज को हिंदु मुस्लिम की दीवारों से बाहर निकलकर कुछ सवालों पर गौर करना और सरकार को जगाना चाहिए।
इस सबको लेकर वोटर्स मंच और उसके संयोजक आजाद खालिद ने एक छोटी से पहल की है। महामहिम राष्ट्रपति महोदय को एक 20 सूत्रीय ज्ञापन भेजकर देश से और आप ही जुड़े कुछ सवालों पर कार्रवाई हेतु महामहिम से समय का अनुरोध किया गया है। आप सभी से विनम्र अनुरोध है कि महामहिम को ज्ञापन सौंपने हेतु सभी लोग राष्ट्रपति भवन पहुंचे और लाइव मीडिया के सामने महामहिम को ज्ञापन सौंपें।
20 सूत्रीय ज्ञापन में जिन मांगो को प्रमुखता से रखा गया है उनमें सुप्रीमकोर्ट और हाइकोर्ट्स मे जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता के साथ वरिष्ठता के आधार पर बिना राजनीतिक हस्तक्षेप के नियुक्ति और आरक्षित वर्गों की भागीदारी के अलावा देशभर की अदालतों कैमरों से निगरानी की मांग की गई है।
इसके अलावा हजारों करोड़ के खर्च के बाद श्री टीएन सेशन के कार्यकाल से अब तक बनाई गई वोटर लिस्ट व वोटर कार्ड्स की स्थिति बताई जाए और इसको लेकर श्वेतपत्र जारी किया जाए। साथ ही वोटर लिस्ट में गड़बड़ी होने और लोगों के नाम काटने और फर्जी वोटरों के नाम बढ़ाने जैसे आरोपों पर स्थिति साफ करने के लिए सुप्रीमकोर्ट की निगरानी में वोटर्स का संत्यापन व लिस्टों की जांच की जाए।
साथ ही देश में किसी भी घुसपैठियो को,चाहे किसी भी धर्म का हो, उसको देश में न रुकने दिया जाए और देशभर मे एनआरसी पर हुए खर्च और उसकी वस्तुस्थिति को सार्वजनिक किया जाए। और जैसा कि कथिततौर पर कहा जा रहा है कि देश की नागरिकात साबित करने के लिए वोटर आईडी, आधार कार्ड, पासपोर्ट आदि को अमान्य घोषित किया जा सकता है तो इन्ही दस्तावेजो के आधार पर चुने गये जन प्रतिनिधि और सरकारों को भी अमान्य घोषित किया जाना चाहिए।
साथ ही किसी भी भारतीय को, जिसकी कई पीढ़ी भारत में ही रहीं हो, या जिनका नाम राजस्व विभाग, शिक्षा समेत कई दस्तावेजों में मौजूद हो लेकिन किसी साजिश के तहत या किसी के इशारे पर विदेशी घोषित करने की कोशिश या उसको देश से निकालने कोशिश की जा रही हो तो ऐसा करने वाले अधिकारियों या सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध एफआईआर करके कार्रवाई की जाए।
सुप्रीमकोर्ट द्वारा बाबरी मस्जिद बनाम राम मंदिर के मामले पर सुप्रीमकोर्ट के ही फैसले का संज्ञान लेते हुए ओपनकोर्ट में लाइव मीडिया के सामने सुनवाई की जाए ताकि देश के न्यायिक व्यवस्था पर उठ रहे सवालों पर दुनियां का मुंह बंद किया जा सके। और सच्चर कमेटी, लिब्राहन आयोग और देश की विभिन्न सरकारों द्वारा गठित आयोगों व जांच रिपोर्टों की सच्चाई पर श्वेतपत्र जारी किया जाए। ताकि कुछ राजनीतिक दलों की राजनीति से जनता को अवगत कराया जा सके।
आतंकी संघठनों और नक्सली आतंक और उसमें होने वाले जान और माल के नुकसान पर श्वेतपत्र जारी किया जाए ताकि देश की जनता को इसकी असलियत पता चल सके।
कोयला घोटला, टू जी स्कैम, आदर्श घोटाला समेत देश के बड़े बड़े घोटालों पर श्वेतपत्र जारी किया जाए ताकि देश की जनता को पता चल सके कि सभी घोटालों में लाखों करोड़ की रकम का कहां गई।
दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी द्वारा हर छात्रा को स्कूटी, हर परिवार को दो किलो चावल जैसे कई वादों वाला घोषणापत्र को पूरे देश में खासतौर से बीजेपी शासित राज्यों में तुरंत लागू किया जाए। ताकि बीजेपी जो काम दिल्ली में करने का दावा कर रही था उसके द्वारा जनता की भलाई को सभी तक पहुंचाया जा सके।
गुजरात नरंसहार,जज लोया की मौत,गुजरात के पुलिस मुठभेड़,बाबू बजरंगी,साध्वी प्रज्ञा,माया कोडनानी,नानावटी कमीशन,आईजी वंजारा केस,मेजर कुलकर्णी केस पर पुलिस कार्रवाई, सीबीआई व पुलिस की चार्जशीट समेत सभी मामलों पर श्वेतपत्र जारी किया जाए। और मेरठ मलियाना, मुरादाबाद, 84 का सिख नरसंहार,मिर्चपुर समेत सभी बड़े दंगों की जांच पर कार्रवाई पर श्वेतपत्र जारी किया जाए।
आसाराम और राम रहीम जैसों की तरह स्वामी चिम्यानंद जैसे कई रसूखदार लोगों पर लगे रेप जैसे गंभीर मामलों की ओपनकोर्ट में सुनवाई की जाए। साथ ही बीएसएनएल,एयर इंडिया,जैसे सरकारी उपक्रमों की बिक्री की ख़बरों और रिजर्व बैंक की करोड़ों की रिजर्व राशि को पहली बार निकाले जाने के मामले सरकारी संस्थानों को निजी हाथों में सौंपे जाने को सरकारी की नाकामी घोषित करते हुए पूरे मामलों को सार्वजनिक किया जाए।
अलग अलग जातियों द्वारा किये गये आरक्षण आंदोलन, नार्थ ईस्ट का सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान तोड़फोड़ महिलाओं से रेप की आरोपों, कांवडियों द्वारा हरिद्वार से दिल्ली तक व देशभर में बाधित रास्तों के मामले पर श्वेतपत्र जारी किया जाए।
माधुरी गुप्ता समेत देशभर में पाकिस्ताव के लिए जासूसी करने वाले सभी जासूसों के नाम पर उन पर की गई कार्रवाई को सार्वजनिक किया जाए साथ ही ईसाई मिशनरी व गिरजाघरों पर हमले के आलावा ग्राह्म स्टेन हत्याकांड व मॉब लिंचिंग में लोगों के मारे जाने के मामलों पर श्वेतपत्र जारी किया जाए।
विजय माल्या, नीरव मोदी व दाऊद समेत सभी भगोड़ों पर सरकारी दावों और सच्चाई पर बताई जाए। साथ ही मध्य प्रदेश व राजस्थान के सरकारी गोदामों से दर्जनों ट्रकों में भरकर सैंकड़ो टन बारूद व घातक हथियार चोरी व गायब किये जाने के मामले में कई साल पहले लिखी गईं एफआईआर के मामले में अब तक की गिरफ्तारी व कार्रवाई को सार्वजनिक किया जाए।
सुर्पीमकोर्ट के 4 जजों द्वारा प्रेस कांफ्रेस में उठाई मांगो और उन पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई से देश की जनता को अवगत कराया जाए। इसके अलावा सुप्रीमकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर कथिततौर पर रेप और छेड़छाड़ के आरोप लगाने वाली महिला की शिकायत पर सुर्पीमकोर्ट के दिशा निर्देश में ओपनकोर्ट में सुनवाई और अब तक की कार्रवाई को सार्वजनिक किया जाए।
सीबीआई के दो डायरेक्टरों द्वारा एक दूसरे पर करोड़ों की रिश्वत लेने के आरोप, उस पर की गई एफआईआर, उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया पर श्वेतपत्र जारी करते हुए देश की जनता को सच्चाई बताई जाए।
आतंकी व अपराधिक आरोपों, एफआईआर जेल में बंद लोगों में हिंदु मुस्लिम दलित व पिछड़ों की संख्या व कार्रवाई को सार्वजनिक किया जाए।
बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष, लोकप्रिय जन प्रतिनिधि व देश के सम्मानित गृहमंत्री के विरुद्ध फर्जी एफआईआर, फर्जी मामलों में फंसाने और तड़ीपार तक घोषित करने वालों के विरुद्ध की गई कार्रवाई और इस पूरे मामले पर दर्ज एफआईआर चार्जशीट व पुलिस और सीबीआई की कार्रवाई को सार्वजनिक किया जाए।
सीएए जैसे गंभीर मुद्दे पर प्रधाममंत्री महोदय, गृहमंत्री महोदय और संसद मे दिये गये बयानों की स्थिति व सच्चाई देश की जनता को बताई जाए। और सेना और पुलिस की कुछ फर्जी लोगों द्वारा वर्दी खरीदने और फर्जी पुलिस वालों की कथित अफवाहों की सच्चाई से देश को अवगत कराया जाए।
सीएए के विरोध में प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस की कथित नाकामी और मुख्यमंत्री के बदला लिये जाने जैसे बयानों के मामले की जांच के अलावा, बुलंदशहर के इंसपैक्टर सुबोध हत्याकांड और माब लिंचिग समेत, जेएनयू के छात्र नजीब के मामले पर की गई कार्रवाई को सार्वजनिक किया जाए।
बाबरी मस्जिद के मामले में तीन बार लिखी गईं एफआईआर व कंटेम्ट ऑफ कोर्ट के मामलों पर ओपन कोर्ट मे लाइव मीडिया के सामने सुनवाई की जाए।
जैसा कि आप जानते ही हैं कि दुनिया के सामने आज आतंकवाद सबसे बड़े खतरे के तौर पर सामने खड़ा है। ऐसे में उपरोक्त सभी मांगो जिनको लेकर एक 20 सूत्रीय ज्ञापन की प्रति महामहिम, पीएमओ, कैबिनेट, लोकसभा व राज्यसभा स्पीकर्स, सभी राजनीतिक दलों व विपक्ष को भेजी जा चुकी हैं, पर देश की जनता को हिंदु मुस्लिम की सोच से बाहर निकलकर राष्ट्रपति महोदय से जांच व कार्रवाई की मांग करनी चाहिए।
अगर आप चाहते हैं कि देश की समस्याओं का सही मायनों में कोई हल निकाला जाए तो एक भारतीय नागरिक का कर्तव्य निभाते हुए महामहिम राष्ट्रपति महोदय के समक्ष उपस्थित होकर देश की समस्याओं से उनको अवगत कराएं। फिलहाल मुझे इजाज़त दें… जय हिंद
अपोज़िशन न्यूज़ डॉट कॉम के लिए आज़ाद ख़ालिद की रिपोर्ट
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