नई दिल्ली (5 दिसंबर 2019)- कुछ साल पहले तक हिंदु राष्ट्र रहे नेपाल के बाद अब शायद कैलासा नाम का पहला हिंदु राष्ट्र वजूद मे आ सकता है। हांलाकि ये कहां है इसका तो अभी फिलहाल पता नहीं। लेकिन एक वेहसाइट कैलासा डॉट ओआरजी के मुताबिक़ कैलासा हिंदु राष्ट्र के तौर पर वजूद मे आ चुका है। इसकी अलग करेंसी, पासपोर्ट और नागरिकता होगी। इसके गठन का उद्देश्य हिंदु धर्म की रक्षा करना और मानवता के लिए काम करना बताया गया है।
कैलासा हिंदु राष्ट्र की वेबसाइट कैलासा डॉट ओआरजी के मुताबिक़ इसके फाउंडर परशिवम नित्थयानंद जी हैं जो लाखों लोगों के पूज्नीय जीवित अवतार है।
लेकिन फोटो और शुरुआती तौर पर देखने के बाद ये वही नित्यानंद लग रहे हैं जिनके ख़िलाफ कर्नाटक और गुजरात मे रेप जैसे कई गंभीर आरोपों में मामले दर्ज थे और जिनको पुलिस तलाश करती बताई जा रही थी। विजय माल्या,नीरव मोदी, दाऊद समेत कई बडे आरोपियों के ख़िलाफ सख़्त कार्रवाई करने की तैयारी में जुटी जांच ऐजेंसियां और पुलिस फिलहाल ये बताने से बच रही है कि हिंदु राष्ट्र कैलासा के संस्थापक और राष्ट्राध्यक्ष वही आरोपी हैं जिनको पिछले महीने तक पुलिस तलाश करने के लिए छापेमारी कर रही थी या फिर कोई और । साथ ही नित्यानंद अगर वही हैं तो कथिततौर पर हज़ारों करोड़ के आइलैंड को ख़रीदकर अलग देश बसाने वाले, गंभीर मामलों के आरोपी पुलिस को चकमा देकर देश से बाहर कैसे निकल लिए।
बहरहाल ये एक अच्छी ख़बर है कि दुनियांभर में परेशान किसी भी हिंदु भाई के लिए इस देश के दरवाजे हमेशा खुले बताए गये हैं। वैसे भी भले ही अभी इस देश की लोकेशन न बताई जा रही हो। लेकिन ये दावा ज़रूर किया गया है, कि इसकी सीमाएं नहीं होंगी। साथ ही अलग झंडा अलग संविधान और भाषा वाले इस हिंदु राष्ट्र की वेबसाइट पर डोनेशन के अलावा नागरिकता लेने का भी कॉलम मौजूद है। यहां ये दावा भी किया गया है कि इस राष्ट्र की परकल्पना युएस में की गई थी। लेकिन है कहां ये अभी तक नहीं घोषित किया गया है।
तिकोने आकार का नंदी और कई धार्मिक संकेतो से सजे राष्ट्र ध्वज का नाम ऋषभ बताया जा रहा है। राष्ट्रीय पशु, पक्षी के अलावा सबसे ख़ास बात राष्ट्रीय फूल ‘कमल’ बताया गया है। रक्षा विभाग, होम डिपार्टेमंट फाइनेंस और टैक्नॉलॉजी समेत शिक्षा और हैल्थ डिपार्टमेंट तक इस हिंदु राष्ट्र में बताए जा रहे हैं। बहरहाल सच्चाई ये भी है किसी के ख़िलाफ लगने से लेकर एफआरआर,गिरफ्तारी, चार्जशीट,गवाही और ट्रायल समेत क्रास एग्ज़ामिनेशन और कनविकशन और अपील दर अपील ऐसी प्रक्रियाएं जिनको पूरा होने से पहले किसी को भी मुजरिम मानना जल्दबाज़ी कहलाती है। तो ऐसे में नये काननू, नये संविधान के नये राष्ट्र के निर्माता को कुछ भी कहना अभी ठीक नहीं है। साभार कैलासा डॉट ओआरजी।