
नई दिल्ली (02 दिसंबर 2019)- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को लेकर विरोधी कितनी बातें बनाएं। लेकिन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ आरटीआई को लागू करने की दिशा में सुधार हुआ है। सूचना आयोग को लेकर संसद मे दी गई रिपोर्ट के मुताबिक सेवाओं को बेहतर किया गया है।
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के द्वारा दी गई जानतारी के मुताबिक़ केन्द्रीय सूचना आयोग यानि सीआईसी की वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 के आंकड़े अच्छा संकेत दे रहे हैं।
दरअसल केन्द्रीय सूचना आयोग यानि सीआईसी की वार्षिक रिपोर्ट जो कि 20 और 21 नवंबर, 2019 को लोकसभा और राज्यसभा में पेश की गई थी। इसके मुताबिक़ वर्ष 2018-19 के दौरान कुल 13.70 लाख आरटीआई आवेदन पंजीकृत हुए। जो कि केंद्रीय सार्वजनिक प्राधिकरण (पीए) को प्राप्त हुए थे। आवेदनों की यह संख्या 2017-18 की तुलना में 1,36,922 यानि 11 प्रतिशत अधिक है। जबकि केंद्रीय सार्वजनिक प्राधिकरण (पीए) ने समीक्षाधीन वर्ष 2018-19 के दौरान संसाधित किए गए आरटीआई आवेदनों में से 4.70 प्रतिशत (64,344) को अस्वीकार कर दिया, जो 2017-18 की तुलना में 5.13 प्रतिशत से गिरकर 0.43 प्रतिशत पर आ गया है। साथ ही जनजातीय मामलों के मंत्रालय (26.54%) और गृह मंत्रालय (16.41%) द्वारा सबसे ज्यादा आरटीआई आवेदन खारिज किए गए थे।
इसके अलावा वर्ष 2018-19 के दौरान, केंद्रीय सार्वजनिक प्राधिकरण (पीए) को पिछले वर्ष के 9.72 प्रतिशत (1,40,810) की तुलना में 9.29 प्रतिशत (1,51,481) प्रथम अपील (आरटीआई आवेदन के संबंध में) प्राप्त हुए थे। केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने समीक्षाधीन वर्ष 2018-19 में 17,188 दूसरी अपील और शिकायत के मामलों का निपटारा किया। इसी अवधि के दौरान कुल 22,736 मामले भी दर्ज किए गए। वर्ष के अंत में आयोग के पास 29,655 मामले पहले से लंबित थे। सभी 2,145; आयोग के साथ पंजीकृत सार्वजनिक प्राधिकरणों ने वार्षिक रिटर्न जमा किया है जो 100 प्रतिशत है।