
नई दिल्ली (02 दिसंबर 2019)- महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के नतीजों लगभग एक महीना पहले आए थे। चुनाव में गठबंधन करके लड़ने वाली बीजेपी और अपना और बीजेपी का डीएनए एक बताने वाली शिव सेना के बीच, सरकार बनाने को लेकर कैसे जूतों में दाल बंटी ये सभी ने देखा। हालात इतने बिगड़े की गवर्नर भगत कोश्यारी को राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करनी पड़ी और राष्ट्रपति महोदय ने उसको मानते हुए महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। लेकिन अचानक एक दिन बहुत सुबह, जबकि शायद देशभर में आमतौर पर लोग सो रहे होते हैं, लेकिन गवर्नर महोदय ने महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फड़्णवीस को एक ऐसे शख़्स के समर्थन के बाद मुख्यमंत्री जैसे पद शपथ दिला दी, जिसके बारे में कुछ ही दिन पहले यही बीजेपी और खुद देवेंद्र फड़्णवीस करप्शन के आरोप लिये जांच की बात कर रहे थे।
विधायकों को बंधक बनाने उनको अपहरण करने, जैसे कई गंभीर आरोपों ने दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र की मर्यादा को सवालों के दायरे में ला खड़ा किया। मामला सुप्रीमकोर्ट जा पहुंचा। और सुप्रीम कोर्ट ने संविधान और क़ानून के दायरे में बीजेपी के अरमानों पर मानों पानी ही फेर दिया।
सुप्रीमकोर्ट का रुख़ कहें या फिर अजित पवार का बैकफुट पर जाना। डिप्टी सीएम अजित पवार का महज़ 78 घंटों में ही सरकार से मोह भंग हो गया। और मजबूरन देवेंद्र फड़णवीस को भी 80 घंटें में मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ गया। बाद में भी जो कुछ हुआ है वो भी आपके सामने ही है। शिव सेना की सरकार बनी और उद्धव ठाकरे ने बहुमत साबित कर दिया।
लेकिन इस सबके बाद आज सोमवार की सुबह नये सप्ताह की ख़ुशी भले ही सबके लिए लाई हो। लेकिन बीजेपी के लिए उनके ही सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े ने मुसीबत खड़ी कर दी है। बीजेपी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके और मौजूदा बीजेपी सांसद ने 80 घंटे के सीएम देवेंद्र फड़्णवीस पर जो ख़ुलासा किया है वो पूरे सिस्टम में लग चुके ज़ंग और राजनीतिक गिरावट को दर्शा रहा है। अनंत हेगड़े का कहना है कि देंवेंद्र फड़णवीस को कुछ घंटे का सीएम बनाने के ड्रामे की स्क्रिप्ट लिखी गई ताकि 40 हज़ार करोड का पिछला फंड बचाया जा सके। देवेंद्र फड़णवीस को कुछ घंटे सीएम बनाने और उसकी आड़ में 40 हज़ार करोड़ को बचाने और उस रकम को ठिकाने लगावे के आरोपों के बाद भले ही देवेंद्र फड़णवीस बैकफुट पे आकर सफाई दे रहे हों, और अपने ही सासंद और पूर्व केंद्रय मंत्री को झूठा बता रहे हों। लेकिन इस तमाम सियासी ड्रामे से इतना तो साफ हो ही गया है। कभी हिंदुत्व तो कभी राष्ट्रवाद भले ही सुनने में अच्छे लगते हों लेकिन शायद इनके पीछे का सियासी चेहरा अब जनता के सामने आने लगा है।