नई दिल्ली (2दिसंबर2015)-जहाज निर्माण एवं मरम्मत कार्यों में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल को सीमा शुल्क एवं केन्द्रीय उत्पाद शुल्क से मुक्त कर दिया गया है। इस आशय की छूट से पहले जहां एक ओर जहाजों को मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) की लगभग नगण्य दरों और शून्य प्रतिकारी शुल्क (काउंटरवेलिंग ड्यूटी) पर आयात किया जा सकता था, वहीं जहाज निर्माण एवं मरम्मत कार्यों में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल (इनपुट) पर बीसीडी एवं काउंटरवेलिंग ड्यूटी (सीवीडी) की सामान्य दरें अदा करनी पड़ती थीं। ऐसे में घरेलू बाजार के लिए जहाजों का निर्माण करने वाले भारतीय शिपयार्ड लागत के मामले में नुकसान में रहते थे। अतः इस विलोम (इनवर्टेड) शुल्क ढांचे में सुधार आवश्यक था।
भारतीय शिपयार्डों को लागत के मामले में हो रहे नुकसान को खत्म करने और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत स्वदेशी जहाज निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए शिपिंग मंत्रालय ने इस मसले को वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के समक्ष उठाया था। वित्त मंत्रालय ने जहाजों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल को 24 नवंबर, 2015 से सीमा शुल्क एवं केन्द्रीय उत्पाद शुल्क से मुक्त कर दिया है।