गाजियाबाद (10 सितंबर2015)- घर में नहीं है दाने,अम्मा चली भुनाने… यह कहावत इन दिनों समाजवादी पार्टी के विधानसभा चुनाव के टिकट के दावेदारों पर पर पूरी तरह से चरितार्थ हो रही है। साधन संपन्न, लग्ज़री कारों और जनता के बजाए बड़े नेताओं की चापलूसी के दम पर सियासत करने वाले कुछ हवाबाज नेता पार्टी आलाकमान की मंशा के मुताबिक एक साइकिल रैली को तो कायमाब कर नहीं पाए…. लेकिन टिकट की दावेदारी जोरशोर से कर रहे हैं। जीतने के इनके जो आंकडे है, वह भी हकीकत से बहुत दूर हैं। पार्टी के उच्चपद सूत्रों का कहना है कि पार्टी आलाकमान इसको लेकर बेहद गंभीर है, वह इन्हें उलझाये रखना चाहता है। लेकिन अंदरखाने मजबूत लोगों की तलाश शुरू कर दी गई है। जो आने वाले चुनाव में विरोधी पार्टी के प्रत्याशियों से मुकाबला कर सके।
समाजवादी पार्टी पिछले करीब साढे तीन साल से प्रदेश की सत्ता पर काबिज है। प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव ने विकास के कई अच्छे काम कराए हैं और उपलब्धियां हासिल की हैं। खासतौर पर गाजियाबाद में फलाईओवर,एलीवेटिड रोड समेत कई उल्लेखनीय कार्य हुए। लेकिन नेताओं की हवाबाजी के चलते इन उपलब्धियों का प्रचार प्रसार आम जनता के ठीक से हो नहीं पा रहा है। अपनी उपलब्धियां को आम जनता तक पहुंचाने के लिए पार्टी आलाकमान ने पिछले दिनों पूरे प्रदेश में साइकिल रैली निकालने के निर्देश दिए थे। गाजियबाद में ये साइकिल रैलियां 22 से 29 अगस्त तक आयोजित की गईं। लेकिन इन साइकिल रैलियों में जो दुर्गती छोटे से लेकर बडे नेताओं की इन हवाबाज नेताओं हरकतों के कारण हुई, वह किसी से छुपी नहीं है। कौशांबी में रैली के उदघाटन कार्यक्रम में ही हवाबाज नेताओं ने खूब हवाबाजी दिखायी। भीड इकटठा करने के बजाय ये रैली में पार्टी के महासचिव व राज्यसभा सदस्य राम गोपाल को अपनी शक्लें दिखाने व फोटो खिंचवाने के लिए एक दूसरे को धक्का देते नजर आए। जिसका नतीजा यह हुआ कि इस धक्का मुक्की के लपेटे में खुद रामगोपाल भी आ गए। इसको लेकर उन्होंने इनके प्रति नाराजगी जताई और आगे की रैली के लिए राकेश यादव को शामिल रहने के लिए कह गए। उन्होंने इसकी जांच के आदेश कर इसके लिए जिम्मेदार नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की बात भी कही थी। बाद में जो भी रैलियां निकाली गई सब की हवा निकली रही। भीड को यह नेता एकत्र नहीं कर पाये लेकिन आपस में धक्कामुक्की लड़ते झगडते खूब दिखाई दिए। जबकि इन्हीं दावेदारों की जिम्मेदारी साइकिल रैलियां में ज्यादा से ज्यादा भीड जुटाकर एक संदेश देने की थी।
दिलचस्प बात यह है कि आज जनता में कमजोर पकड़ रखने वाले ये साधन संपन्न नेता हवाबाजी करने में अभी भी पीछे नहीं है। साधन संपन्न होना कोई बुरी बात नहीं है और न ही राजनीति करना। लेकिन ये लोग आलाकमान को भी अपनी दावेदारी में हवाबाजी कर रहे हैं। ये अपनी जीत का दावा अपनी बिरादरी के अलावा दूसरी बिरादरी के लोगों के आधार पर कर रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि अभी तक इन्हें यह भी पता नहीं है कि उनकी विधानसभा क्षेत्र में कितने वोट है। यह अलग बात है कि अपनी बिरादरी के वोट वे ज्यादा से ज्यादा बता रहे है। धन खर्च करने की बात भी ये बडी बेशर्मी के साथ कर रहे हैं।
बात यहीं तक नहीं है, बल्कि कुछ दावेदारों ने चुनाव के एक दिन पहले की जो वाली गतिविधि अभी से शुरू कर दी है। स्थिति यह है कि कुछ दावेदारों ने साक्षात्कार के दौरान दूसरी बिरादरियों, समाजसेवी संगठनों,धार्मिक संगठनों के समर्थन पत्र भी सौंपे हैं। भला अब इनसे कोई ये पूछे यह समर्थनबाजी की राजनीति मतदान से एक दो दिन पहले होती है ताकि माहौल को अपने पक्ष में किया जा सके। हालांकि इससे बहुत ज्यादा फर्क नहीं पडता। पार्टी का टिकट मिलने पर ये कितने कारगर होंगे इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि यह हवाबाजी पार्टी में नई नहीं है, बल्कि लंबे समय से चल रही है। यही कारण है कि आज तक पार्टी में एक भी दावेदार इतना मजबूत नहीं दिखता जिस पर पार्टी आलाकमान आंख मूंद कर यह विश्वास कर सके कि उसकी जीत पक्की है। यही कारण है कि पार्टी को हर चुनाव में या तो दूसरे दलो के मजबूत प्रत्याशी को अंतिम समय में पार्टी में शामिल कराकर चुनाव लडाना पडता है या फिर बाहर से आयातित करना पडता है। हालांकि मोदीनगर विधानसभा में जो नाम चर्चाओं में हैं उन्हें अन्य विधानसभा के दावेदारों से मजबूत माना जा रहा है। इनके राम आसरे शर्मा जहां मोदीनगर पालिका के कई बार चेयरमेन रह चुके हैं, वहीं कृष्णपाल भी टाउन एरिया को चेयरमेन रह चुके हैं, वहीं राम किशोर अग्रवाल लंबे समय से सक्रिय है।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का मानना है कि पार्टी आलाकमान हवाबाज नेताओं की एक-एक गतिविधि से अवगत है और किसकी क्या हैसियत है इसका सर्वे भी कराया जा रहा है।