नई दिल्ली (28 सितंबर 2015) सांसदों की सैलरी-भत्ते तय करने के लिए केंद्र सरकार ने एक तीन सदस्यीय वेतन आयोग के लिए प्रस्ताव दिया है। सांसदों द्वारा अपने आप सैलरी तय करने पर हुई आलोचनाओं को देखते हुए यह प्रस्ताव किया गया है। संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी प्रेस नोट से ये जानकारी दी गई ।
यह प्रस्ताव अगले सप्ताह विशाखापत्तनम में होने वाले दो दिन के अखिल भारतीय सचेतक कांफ्रैन्स के लिए तैयार एजेंडे में शामिल है। मंत्रालय के मुताबिक, स्वतंत्र वेतन आयोग के गठन किये जाने से यह भी तय होगा कि सांसदों के वेतन पर निष्पक्ष, पारदर्शी और समान तरीके से सिफारिश की जाए। इस आयोग के गठन पर आम सहमति होने जाने पर संसद सदस्यों के वेतन-भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954 में सही संशोधन किया जा सकेगा।
अभी तक सांसदों को सैलरी के अतिरिक्त सरकारी आवास, एअर ट्रैवल,रेल यात्रा के साथ ही तीन लैंडलाइन फोन और दो मोबाइल फोन की फ्री सुविधा दी जाती है।